****** होली ****** Jyotish Aacharya Dr Umashankar Mishra 9415 087 711 कल फाल्गुन पूर्णिमा अर्थात् होली है और शास्त्रों में फाल्गुन पूर्णिमा का धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा के दिन स्नान-दान कर उपवास रखने से मनुष्य के दु:खों का नाश होता है और उस पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है। होलिकादहन के समय ऐसी परंपरा भी है कि होली का जो डंडा गाडा जाता है, उसे प्रहलाद के प्रतीक स्वरुप होली जलने के बीच में ही निकाल लिया जाता है। इसके साथ ही होलिका दहन के दिन से होलाष्टक समाप्त हो जाएगे, जिसके चलते विवाह आदि सभी शुभ कार्य अब फिर से शुरू हो जायेंगे। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त: Poornima तिथि- 27 मार्च ki Ratri- 28 मार्च ke Subah 0 2 बजकर 30 मिनट से पूर्णिमा तिथि समाप्त- 29 मार्च रात्रि 12 बजकर 40 मिनट पर दहन का मुहूर्त– शाम 6 बजकर 37 मिनट से रात 11 बजकर 56 मिनट तक रंगवाली होली खेलने की तिथि- 29 मार्च फाल्गुन मास की पूर्णिमा को बुराई पर अच्छाई की जीत को याद करते हुए होलिका दहन किया जाता है। कथा के अनुसार असुर राज हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था, लेकिन यह बात हिरण्यकश्यप को बिल्कुल अच्छी नहीं लगती थी। बालक प्रह्लाद को भगवान कि भक्ति से विमुख करने का कार्य उसने अपनी बहन होलिका को सौंपा, जिसके पास वरदान था कि अग्नि उसके शरीर को जला नहीं सकती। भक्तराज प्रह्लाद को मारने के उद्देश्य से होलिका उन्हें अपनी गोद में लेकर अग्नि में प्रविष्ट हो गयी, लेकिन प्रह्लाद की भक्ति के प्रताप और भगवान की कृपा के फलस्वरूप स्वयं होलिका ही आग में जल गई। अग्नि में प्रह्लाद के शरीर को कोई नुकसान नहीं हुआ। इस प्रकार होली का यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। होली पूजा विधि: होलिका दहन से पहले होली पूजन का विशेष विधान है। इस दिन सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद होलिका पूजन वाले स्थान में जाए और पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके बैठ जाएं। इसके बाद पूजन में गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं बनाए। इसके साथ ही रोली, अक्षत, फूल, कच्चा सूत, हल्दी, मूंग, मीठे बताशे, गुलाल, रंग, सात प्रकार के अनाज, गेंहू की बालियां, होली पर बनने वाले पकवान, कच्चा सूत, एक लोटा जल मिष्ठान आदि के साथ होलिका का पूजन किया जाता है। इसके साथ ही भगवान नरसिंह की पूजा भी करनी चाहिए। होलिका पूजा के बाद होली की परिक्रमा करनी चाहिए और होली में जौ या गेहूं की बाली, चना, मूंग, चावल, नारियल, गन्ना, बताशे आदि चीज़ें डालनी चाहिए