होली के दिन इन 7 की उपासना करने से मिलता है सुख
ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा ज्योतिषाचार्य आकांक्षा श्रीवास्तव 9415087711 Astroexpertsolution.com astrovinayakam.com
होलिका दहन के एक दिन पूर्व, होलिका दहन के दिन और होलिका दहन के दूसरे दिन आप इन पांच देवों की उपासना करेंगे तो आप पर इनकी विशेष कृपा बनी रहेगी। इस बार होलिका दहन 28 मार्च और और धुलैंडी 29 मार्च 2021 को मनाई जाएगी। तो जानते हैं ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र ज्योतिषाचार्य आकांक्षा श्रीवास्तव से कि किन देवों की पूजा करना चाहिए।
1. डांडे की पूजा : होलिका दहन के पूर्व 2 डांडे रोपण किए जाते हैं। जिनमें से एक डांडा होलिका का प्रतीक तो दूसरा डांडा प्रहलाद का प्रतीक माना जाता है। इन दोनों डांडे की विधिवत पूजा की जाती है। इसके बाद इन डंडों को गंगाजल से शुद्ध करके के बाद इन डांडों के इर्द-गिर्द गोबर के उपले, लकड़ियां, घास और जलाने वाली अन्य चीजें इकट्ठा की जाती है और इन्हें धीरे-धीरे बड़ा किया जाता है और अंत में होलिका दहन वाले दिन इसे जला दिया जाता है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा की रात्रि को होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन के पहले होली के डांडा को निकाल लिया जाता है। उसकी जगह लकड़ी का डांडा लगाया जाता है। फिर विधिवत रूप से होली की पूजा की जाती है और अंत में उसे जला दिया जाता है।
2. विष्णु पूजा : होलिका और प्रहलाद के साथ ही भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है। खासकर दूसरे दिन विष्णु पूजा की जाती है। कहते हैं कि त्रैतायुग के प्रारंभ में विष्णु ने धूलि वंदन किया था। इसकी याद में धुलेंडी मनाई जाती है। धूल वंदन अर्थात लोग एक दूसरे पर धूल लगाते हैं। होलिका दहन के बाद धुलेंडी अर्थात धूलिवंदन मनाया जाता है। सुबह उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर होलिका को ठंडा किया जाता है। मतबल पूजा करने के बाद जल चढ़ाया जाता है। धूलिवंदन अर्थात् धूल की वंदना। राख को भी धूल कहते हैं। होलिका की आग से बनी राख को माथे से लगाने की बाद ही होली खेलना प्रारंभ किया जाता है। अतः इस पर्व को धूलिवंदन भी कहते हैं।
3. नृसिंह भगवान पूजा : होली के दिनों में विष्णु के अवतार भगवना नृसिंह की पूजा का भी प्रचलन है क्योंकि श्रीहरि विष्णु ने ही होलिका दहन के बाद नृसिंह रूप धारण करके हिरण्याकश्यप का वध करने भक्त प्रहलाद की जान बचाई थी।
4. श्रीशिव पूजा : होली का त्योहार भगवान शिव से भी जुड़ा हुआ है। भगवान शिव ने इसी दिन कामदेव को भस्म करने के बाद देवी रति को यह वरदान दिया था कि तुम्हारा पति श्रीकृष्ण के यहां प्रद्युम्न के रूप में जन्म लेगा।
5. श्रीकृष्ण पूजा : होली का त्योहार श्रीकृष्ण से भी जुड़ा हुआ है। इसे ब्रज में 'फाग उत्सव' के रूप में मनाया जाता है। श्रीकृष्ण ने रंगपंचमी के दिन श्रीराधा पर रंग डाला था। इसी की याद में रंगपंचमी मनाई जाती है।
6. श्रीपृथु पूजा : होली के दिन ही राजा पृथु ने राज्य के बच्चों को बचाने के लिए राक्षसी ढुंढी को लकड़ी जलाकर आग से मार दिया था। राजा पृथु को विष्णु का अंशावतार भी माना जाता है।
7. श्रीहनुमान पूजा : इस दिन हनुमानजी की पूजा करने से सभी तरह के संकट दूर हो जाते हैं।
ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा ज्योतिषाचार्य आकांक्षा श्रीवास्तव 9415087711 Astroexpertsolution.com astrovinayakam.com
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