हर हर महादेव 11 मार्च 2021 को शिवरात्रि मनाई जाएगी भगवान शंकर कल्याणकारी हैं। इसलिए उनकी पूजा, अराधना समस्त मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं। हिंदू धर्मशास्त्रों के मुताबिक भगवान सदाशिव का विभिन्न प्रकार से पूजन करने से विशिष्ठ लाभ की प्राप्ति होती है। वहीं महाशिवरात्रि को शुभमुहूर्त पर बताई गई विधि से रुद्राभिषेक करना अत्यंत लाभप्रद माना गया हैं, लेकिन जो व्यक्ति इस पूर्ण विधि-विधान से पूजन करने में असमर्थ हैं वे लोग केवल भगवान सदाशिव के षडाक्षरी मंत्र-- ॐ नम: शिवाय का जप करते हुए रुद्राभिषेक तथा शिव-पूजन कर सकते हैं। महाशिवारात्रि पर भगवान शिव के जलाभिषेक का विशेष महत्व है इस दौरान आपके द्वारा किए गए कुछ उपाय मात्र से ही आपको धन लाभ के अलावा कई लाभ की प्राप्ति आसानी से हो सकती है।
Jyotish Acharya Dr Umashankar Mishra 9415 087 711
अधिकांश शिवभक्त महाशिवरात्रि को भगवान शिव का अभिषेक करते हैं, लेकिन बहुत कम ऐसे लोग हैं, जो यह जानते हैं कि शिव का अभिषेक क्यों किया जाता हैं? अभिषेक शब्द का शाब्दिक अर्थ है स्नान करना या कराना। शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो जाती है। शास्त्रों में विविध कामनाओं की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक के पूजन के निमित्त अनेक द्रव्यों तथा पूजन सामग्री को बताया गया है। साधक रुद्राभिषेक पूजन विभिन्न विधि से तथा विविध मनोरथ को लेकर करते हैं। किसी खास मनोरथ की पूर्ति के लिये तदनुसार पूजन सामग्री तथा विधि से रुद्राभिषेक किया जाता है।
रुद्राभिषेक के विभिन्न पूजन के लाभ इस प्रकार हैं -
- जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है।
- असाध्य रोगों को शांत करने के लिए कुशोदक से रुद्राभिषेक करें।
- भवन-वाहन के लिए दही से रुद्राभिषेक करें।
- लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें।
- धन-वृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक करें।
- तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है।
- पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गोदुग्ध से रुद्राभिषेक करें।
- रुद्राभिषेक से योग्य तथा विद्वान संतान की प्राप्ति होती है।
- ज्वर की शांति के लिए शीतल जल/गंगाजल से रुद्राभिषेक करें।
- सहस्रनाम-मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है।
- प्रमेह रोग की शांति भी दुग्धाभिषेक से हो जाती है।
- शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने पर जडबुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है।
- सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होता है।
- शहद के द्वारा अभिषेक करने पर यक्ष्मा (तपेदिक) दूर हो जाती है।
- पातकों को नष्ट करने की कामना होने पर भी शहद से रुद्राभिषेक करें।
- गो दुग्ध से तथा शुद्ध घी द्वारा अभिषेक करने से आरोग्यता प्राप्त होती है।
- पुत्र की कामना वाले व्यक्ति शक्कर मिश्रित जल से अभिषेक कर
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