काल भैरव और बटुक भैरव का सिद्ध मंत्र ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र ज्योतिषाचार्य आकांक्षा श्रीवास्तव 9415087711 Astroexpertsolution.com Astrovinayakam.com मुख्‍यत: तीन भैरवों की पूजा का प्रचलन है, एक काल भैरव, दूसरे बटुक भैरव और तीसरे आनंद भैरव। कहीं कहीं असित भैरव की पूजा का भी प्रचलन है। पौराणिक मान्यता के अनुसार शिव के रूधिर से भैरव की उत्पत्ति हुई। बाद में उक्त रूधिर के दो भाग हो गए- पहला बटुक भैरव और दूसरा काल भैरव। इसीलिए वे शिव के गण और पार्वती के अनुचर माने जाते हैं। काले रंग के कुत्ते को कालभैरव की सवारी माना जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार काले कुत्ते को रोटी खिलाने से कालभैरव प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति आकस्मिक मृत्यु के भय से दूर रहता है। लाल किताब में शनि ग्रह के देवता भैरव माने जाते हैं। जानते हैं कि काल भैरव और बटुक भैरव के खास सिद्ध मंत्र 1. काल भैरव : काल भैरव का आविर्भाव मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी को प्रदोष काल में हुआ था। यह भगवान का साहसिक युवा रूप है। उक्त रूप की आराधना से शत्रु से मुक्ति, संकट, कोर्ट-कचहरी के मुकदमों में विजय की प्राप्ति होती है। व्यक्ति में साहस का संचार होता है। सभी तरह के भय से मुक्ति मिलती है। काल भैरव को शंकर का रुद्रावतार माना जाता है। काल भैरव मंत्र : काल भैरव की आराधना के लिए मंत्र है- ।। ॐ भैरवाय नम:।। 2. बटुक भैरव : 'बटुकाख्यस्य देवस्य भैरवस्य महात्मन:। ब्रह्मा विष्णु, महेशाधैर्वन्दित दयानिधे।।' - अर्थात् ब्रह्मा, विष्णु, महेशादि देवों द्वारा वंदित बटुक नाम से प्रसिद्ध इन भैरव देव की उपासना कल्पवृक्ष के समान फलदायी है। बटुक भैरव भगवान का बाल रूप है। इन्हें आनंद भैरव भी कहते हैं। उक्त सौम्य स्वरूप की आराधना शीघ्र फलदायी है। यह कार्य में सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। उक्त आराधना के लिए मंत्र है- ।।ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाचतु य कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं ॐ।। ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र ज्योतिषाचार्य आकांक्षा श्रीवास्तव 9415087711 Astroexpertsolution.com Astrovinayakam.com