कालसर्प दोष के कारण, लक्षण और लाल किताब के अचूक उपाय ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा के माध्यम से राहु का अधिदेवता 'काल' है तथा केतु का अधिदेवता 'सर्प' है। इन दोनों ग्रहों के बीच कुंडली में एक तरफ सभी ग्रह हों तो इसे 'कालसर्प' दोष कहते हैं। राहु-केतु हमेशा वक्री चलते हैं तथा सूर्य चन्द्र मार्गी। मानसागरी ग्रंथ के चौथे अध्याय के 10वें श्लोक में कहा गया है कि शनि, सूर्य व राहु लग्न में सप्तम स्थान पर होने पर सर्पदंश होता है। कारण : 1. जन्म के समय ग्रहों की दशा में जब राहु-केतु आमने-सामने होते हैं और सारे ग्रह एक तरफ रहते हैं, तो उस काल को सर्पयोग कहा जाता है। 2. जब कुंडली के भावों में सारे ग्रह दाहिनी ओर इकट्ठा हों तो यह कालसर्प योग नुकसानदायक नहीं होता। जब सारे ग्रह बाईं ओर इकट्ठा रहें तो वह नुकसानदायक होता है। इस आधार पर कालसर्प के 12 प्रकार भी बताए गए हैं। कुछ ने तो 250 के लगभग प्रकार बताए हैं। 3. घर की दहलीज का दब जाना, खराब हो जाना से भी काल सर्पदोष उत्पन्न होता है। घर के शौचालय में गंदगी बनी रहता, तोड़फोड़ करना, गलत दिशा में शौचालय होने से भी यह दोष उत्पन्न हो जाता है। 4. लाल किताब के अनुसार कालसर्प दोष कुछ नहीं, यह राहु का दोष है। सोचिए, कालसर्प दोष होता किस कारण है? दरअसल, इस योग या दोष के लिए राहु जिम्मेदार होता है। लाल किताब के अनुसार राहु बद और राहु नेक होता है। यदि राहु बद है और वह किसी भी खाने में बैठा है तो उसका बुरा असर होगा। राहु की परेशानी हमेशा अचानक खड़ी होने वाली परेशानी होती है। यदि आपकी जिंदगी में अचानक से कोई परेशानी खड़ी हो गई है, मुसीबत आ गई है, ऐसी मुसीबत कि जिसके बारे में आप सोच भी नहीं सकते। आपकी जिंदगी में उथल-पुथल मच जाती है। राहु की परेशानी अचानक बिजली की तरह आती है और उसी तरह चली भी जाती है। लक्षण : 1. बाल्यकाल, घटना-दुर्घटना, चोट लगना, बीमारी आदि विद्या में रुकावट, विवाह में विलंब, वैवाहिक जीवन में तनाव, तलाक, संतान का न होना, धोखा खाना, लंबी बीमारी, आए दिन घटना-दुर्घटनाएं, रोजगार में दिक्कत, घर की महिलाओं पर संकट, गृहकलह, मांगलिक कार्यों में बाधा, गर्भपात, अकाल मृत्यु, प्रेतबाधा, दिमाग में चिड़चिड़ापन, सर्प के स्वप्न आना आदि यह कालसर्प दोष के लक्षण है। 2. रात को नींद न आना। रात को सपने ही सपने ही आना। पेट के बल सोने की आदत। अतीत का रोना रोते रहना और भविष्य की कल्पना कर खयालीपुलाव पकाना। दिमाग में विचार या निर्णयों का बार-बार बदलते रहना। पानी, आग और ऊंचाई से ज्यादा डरना। अनावश्यक आशंका, कुशंका, डर और बेचैनी का बना रहना। किसी पर भी विश्वास नहीं करना आदि। लाल किताब के अचूक उपाय : जिनको राहु की महादशा चल रही है या राहु खाना नंबर 4, 8 या 9 में है, ऐसे लोगों के लिए कुछ खास उपाय। 1. खाना रसोईघर में बैठकर खाएं। 2. दीवारों को साफ रखें। 3. टॉयलेट व बाथरूम की सफाई रखें। 4. ससुराल से संबंध अच्छे रखें। 5. पागलों को खाने को दें। 6. धर्मस्थान की सीढ़ियों पर 10 दिन तक पोंछा लगाएं। 7. माथे पर चंदन का तिलक लगाएं। 8. घर में ठोस चांदी का हाथी रख सकते हैं। 9. सरस्वती की आराधना करें। 10. लाल किताब के विशेषज्ञ या ज्योतिषाचार्य से पूछकर मंगल या गुरु का उपाय करें। खानों के अनुसार उपाय- 1. खाना नंबर एक : यदि आपकी कुंडली के पहले भाव में राहु और सातवें भाव में केतु हो तो चांदी की ठोस गोली अपने पास रखें। 2. खाना नंबर दो : यदि आपकी कुंडली के दूसरे भाव में राहु और आठवें में केतु हो तो दो रंग या ज्यादा रंगों वाला कंबल दान करें। 3. खाना नंबर तीन : यदि आपकी कुंडली के तीसरे भाव में राहु और नवम भाव में केतु हो तो सोना धारण करें। बाएं हाथ की कनिष्ठा में सोने का छल्ला पहनें या चने की दाल बहते पानी में बहाएं। 4. खाना नंबर चार : यदि आपकी कुंडली के चौथे भाव में राहु और दसम भाव में केतु हो तो चांदी की डिब्बी में शहद भरकर घर के बाहर जमीन में दबाएं। 5. खाना नंबर पांच : यदि आपकी कुंडली के पांचवें भाव में राहु और ग्यारहवें भाव में केतु हो तो घर में चांदी का ठोस हाथी रखें। 6. खाना नंबर छह : यदि आपकी कुंडली के छठे भाव में राहु और बारहवें भाव में केतु हो तो बहन की सेवा करें, ताजे फूल अपने पास रखें व कुत्ता पालें। 7. खाना नंबर सात : यदि आपकी कुंडली के सातवें भाव में राहु और पहले भाव में केतु हो तो लोहे की गोली को लाल रंग से रंगकर अपने पास रखें। चांदी की डिब्बी में बहते पानी का जल भरकर उसमें चांदी का एक चौकोर टुकड़ा डालकर तथा डिब्बी को बंद करके घर में रखने की सलाह दी जाती है। ध्यान रखते रहें कि डिब्बी का जल सूखे नहीं। 8. खाना नंबर आठ : यदि आपकी कुंडली के अष्टम भाव में राहु और दूसरे भाव में केतु हो तो 800 ग्राम सिक्कों के आठ टुकड़े करके एकसाथ बहते पानी में प्रवाहित करना अच्छा होगा। 9. खाना नंबर नौ : यदि आपकी कुंडली के नवम भाव में राहु और तीसरे भाव में केतु हो तो चने की दाल पानी में प्रवाहित करें। चांदी की ईंट बनवाकर घर में रखें। 10. खाना नंबर दस : यदि आपकी कुंडली के दसम भाव में राहु और चौथे भाव में केतु हो तो पीतल के बर्तन में बहती नदी या नहर का पानी भरकर घर में रखना चाहिए। उस पर चांदी का ढक्कन हो तो अतिउत्तम। 11. खाना नंबर ग्यारह : आपकी कुंडली के ग्यारहवें भाव में राहु और पांचवें भाव में केतु होने पर 400 ग्राम सिक्के के 10 टुकड़े कराकर एकसाथ बहते जल में प्रवाहित करना चाहिए। इसके अलावा 43 दिनों तक गाजर या मूली लेकर सोते समय सिरहाने रखकर सुबह मंदिर आदि में दान कर दें। 12. खाना नंबर बारह : यदि आपकी कुंडली के बारहवें भाव में राहु और छठे भाव में केतु हो तो लाल रंग की बोरी के आकार की थैली बनाकर उसमें सौंफ या खांड भरकर सोने वाले कमरे में रखना चाहिए। कपड़ा चमकीला न हों। केतु के लिए सोने के जेवर पहनना उत्तम होगा।