बहुत चमत्कारिक रत्न है लाजवर्त, फायदे जानकर चौंक जाएंगे
ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र ज्योतिषाचार्य आकांक्षा श्रीवास्तव ने साझा किया कि मणियां कई प्रकार की होती है। जैसे घृत मणि, तैल मणि, भीष्मक मणि, उपलक मणि, स्फटिक मणि, पारस मणि, उलूक मणि, मासर मणि और लाजावर्त मणि। लाजावर्त मणि के बारे में जानिए अद्भुत जानकारी।
कैसी होती है लाजावर्त मणि- यह कई प्रकार की होती है। लाजावर्त नाम का एक पत्थर भी होता है। लाजावर्त या लाजवर्द मणि का रंग मयूर की गर्दन की भांति नील-श्याम वर्ण के स्वर्णिम छींटों से युक्त होता है। यह मणि भी प्राय: कम ही पाई जाती है, लेकिन पत्थर मिलता है। इसके नाम से कई नकली पत्थर भी बाजार में मिलते हैं।
नीलम की तरह यह भी नीले रंग का होता है। गाढ़े नीले रंग का लैपिस (लाजावर्त) ज्यादा अच्छा माना जाता है बशर्ते इसमें हरे या भूरे रंग के व्यवस्थित पैटर्न हों।
कैसे धारण करें- लाजावर्त को चांदी की अंगूठी में बनवा के सीधे हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण किया जाता है। इसे गले में भी धारण किया जाता है। इसे धारण करने से पहले किसी ज्योतिष से अवश्य सलाह लें।
इस मणि को धारण करने के लाभ- कहते हैं कि लाजावर्त मणि को धारण करने से बल, बुद्धि एवं यश की वृद्धि होती ही है। माना जाता है कि इसे विधिवत रूप से मंगलवार के दिन धारण करने से भूत, प्रेत, पिशाच, दैत्य, सर्प आदि का भी भय नहीं रहता।
लाजावर्त मणि या पत्थर तीनों क्रूर ग्रहों (शनि, राहु और केतु) के दोषों और कुप्रभावों को भी खत्म करता है। व्यक्ति घटना, दुर्घटनानों से बच जाता है। इससे सभी तरह का काला जादू और किया-कराया समाप्त हो जाता है। यह मणि पितृदोष को भी समाप्त कर देती है।
कहते हैं कि इससे नौकरी या व्यवसाय में आ रही अड़चने भी दूर होती है। विद्यार्थियों के लिए यह आत्मविश्वास बढ़ाने वाला माना जाता है। इसको धारण करने से तनाव या अवसाद कम होता है।
ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र ज्योतिषाचार्य आकांक्षा श्रीवास्तव
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