जय श्री काशी विश्वनाथ👏👏👏👏👏 बसंत पंचमी विषेशज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा 9415087711 Parijat apartment near Avadh bus adda Faizabad Road Lucknow Astroexpertsolution.com Astrovinayakam.com Aaj 16 फ़रवरी 2021 मंगलवार को बसंत पंचमी का शुभ दिवस है ,ओर हम इस पर्व पर आपको बताने जा रहे है की वसंत पंचमी विशेष में इस दिन क्या करें, क्या न करें... ओर एक देवी सरस्वती की प्रसन्नता प्राप्ति हेतु एक लघु साधना - ✨माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी से ऋतुओं के राजा वसंत का आरंभ हो जाता है। यह दिन नवीन ऋतु के आगमन का सूचक है। इसीलिए इसे ऋतुराज वसंत के आगमन का प्रथम दिन माना जाता है। इसी समय से प्रकृति के सौंदर्य में निखार दिखने लगता है। वृक्षों के पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और उनमें नए-नए गुलाबी रंग के पल्लव मन को मुग्ध करते हैं। ✨आइए जानते हैं कैसे करें वसंत पंचमी का पूजन :- 1. वसंत पंचमी के दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर पीतांबर या पीले वस्त्र पहनें। 2. माघ शुक्ल पूर्वविद्धा पंचमी को उत्तम वेदी पर वस्त्र बिछाकर अक्षत (चावल) से अष्टदल कमल बनाएं। 3. उसके अग्रभाग में गणेशजी स्थापित करें। पास में सरस्वती का चित्र या प्रतिमा स्थापित करें। 4. पृष्ठभाग में 'वसंत' स्थापित करें। वसंत, जौ व गेहूं की बाली के पुंज को जल से भरे कलश में डंठल सहित रखकर बनाया जाता है। लाल या केसरिया स्याही से सरस्वती यंत्र बनाएं । 5. इसके पश्चात्‌ सर्वप्रथम गणेशजी का पूजन करें और फिर पृष्ठभाग में स्थापित वसंत पुंज के द्वारा रति और कामदेव का पूजन करें। इसके लिए पुंज पर अबीर आदि के पुष्पों माध्यम से छींटे लगाकर वसंत सदृश बनाएं। 6. मंत्र पढ़ें - 'शुभा रतिः प्रकर्त्तव्या वसन्तोज्ज्वलभूषणा । नृत्यमाना शुभा देवी समस्ताभरणैर्युता ॥ वीणावादनशीला च मदकर्पूरचर्चिता।' 'कामदेवस्तु कर्त्तव्यो रूपेणाप्रतिमो भुवि। अष्टबाहुः स कर्त्तव्यः शंखपद्मविभूषणः॥ चापबाणकरश्चैव मदादञ्चितलोचनः। रतिः प्रतिस्तथा शक्तिर्मदशक्ति-स्तथोज्ज्वला॥ चतस्त्रस्तस्य कर्त्तव्याः पत्न्यो रूपमनोहराः। चत्वाश्च करास्तस्य कार्या भार्यास्तनोपगाः॥ केतुश्च मकरः कार्यः पंचबाणमुखो महान्‌।' इस प्रकार से कामदेव का ध्यान करके विविध प्रकार के फल, पुष्प और पत्रादि समर्पण करें तो गृहस्थ जीवन सुखमय होता है। प्रत्येक कार्य को करने के लिए उत्साह प्राप्त होता है । 7. सामान्य हवन करने के बाद केशर या हल्दी मिश्रित हलवे की आहुतियां दें। 8. 'वसंत-पंचमी' के दिन किसान लोग नए अन्न में गुड़ तथा घी मिश्रित करके अग्नि तथा पितृ-तर्पण करें। 9. वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती के पूजन का विशेष विधान है। कलश की स्थापना करके गणेश, सूर्य, विष्णु तथा महादेव की पूजा करने के बाद वीणावादिनी मां सरस्वती का पूजन करना चाहिए। 10. इस दिन विष्णु-पूजन का भी महात्म्य है। 11. इस दिन कटु वचन बोलने से, किसी का मन दुखाने से बचना चाहिए। ✨✨बसंत पंचमी के दिन छह माह तक के बच्चों को पहली बार अन्न खिलाने की परंपरा भी निभाई जाती है। इसे अन्न प्राशन संस्कार यानी बच्चे को पहली बार अन्न खिलाना कहते हैं। इस दिन दूध पीते बच्चे को नए कपड़े पहनाकर, चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर और उस पर बच्चे को बैठाकर मां सरस्वती की आराधना करके चांदी के चम्मच से खीर खिलाएं ओर बच्चे की जीभ पर शहद से स्वर्ण या रजत श्लाका से ‘’ऐं ‘’ लिखे ,ऐसा माना जाता है कि बसंत पंचमी पर छोटे बच्चों को अक्षर अभ्यास करवाने से वह कुशाग्र बुद्धि का होता है ,इसके बाद सरस्वती का पूजन करें। ✨काले रंग की पट्टी (स्लेट )व चाक (खडिय़ा) का भी पूजन करें। इस दिन सरस्वती स्वरूपा कलम व पुस्तक का पूजन करना चाहिए। सरस्वती के मूल मंत्र-‘’ श्री ह्वी सरस्वत्यै स्वाहा ‘’ से देवी का पूजन व स्मरण करना चाहिए। ✨जो लोग उच्च शिक्षा में सफल होना चाहते हैं, उन्हें सरस्वती पूजा वाले दिन किसी ब्राह्मण को वेदशास्त्र का दान करना चाहिए। ✨जीवन में पग-पग पर परीक्षाएं हैं। इनमें सफलता पाने के लिए तीव्र स्मरण शक्ति और व्यक्तित्व में निखार नितांत आवश्यक है, लेकिन सभी को ये गुण प्राप्त नहीं होते। यदि आप भी इन गुणों से वंचित हैं और चाहते हैं कि ये गुण आपके जीवन में समा जाएं, तो आपको ये सरस्वती साधना सिद्धि अवश्य ही करनी चाहिए। ✨✨साधना विधान -🌼🌼🌼🌼🌼 * यह साधना प्रयोग किसी भी पुष्य नक्षत्र में प्रारंभ की जा सकती है। वसंत पंचमी पर विशेष रूप से करें। * शुभ मुहूर्त में किसी शांत स्थान या मंदिर में पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें। * अपने सामने लकड़ी का एक बाजोट रखें। बाजोट पर सफेद वस्त्र बिछाएं तथा उस पर सरस्वती देवी का चित्र लगाएं। * उस बाजोट पर एक तांबे की थाली रखें। यदि तांबे की थाली न हो, तो आप अन्य पात्र रखें। * इस थाली में हल्दी या केसर से रंगे हुए चावलों की एक ढेरी लगाएं। * अब इन चावलों की ढेरी पर प्राण-प्रतिष्ठित एवं चेतनायुक्त शुभ मुहूर्त में सिद्ध किया हुआ 'सरस्वती यंत्र' स्‍थापित करें। इसके पश्चात 'सरस्वती' को पंचामृत से स्नान करवाएं। सबसे पहले दूध से स्नान करवाएं, फिर दही से, फिर घी से स्नान करवाएं, फिर शक्कर से तथा बाद में शहद से स्नान करवाएं। * केसर या कुंकुम से यंत्र तथा चित्र पर तिलक करें चमेली का इत्र व पीले पुष्प अर्पित करे । * इसके बाद दूध केसर से बने हुए नैवेद्य का भोग अर्पित करें। * अब आंखें बंद करके माता सरस्वती का ध्यान करें तथा सरस्वती माला से निम्न मंत्र की 11 माला मंत्र जाप करें- ✨✨ॐ श्री ऐं वाग्वाहिनी भगवती सन्मुख निवासिनि सरस्वती ममास्ये प्रकाशं कुरू कुरू स्वाहा: !! * प्रयोग समाप्ति पर माता सरस्वती से अपने एवं अपने बच्चों के लिए ऋद्धि-सिद्धि, विद्यार्जन, तीव्र स्मरण शक्ति आदि के लिए प्रार्थना करें। *