ज्योतिष ज्ञान जिनकी कुंडली में हस्तरेखा में सूर्य भारी हो सूर्य वक्री हो तो सूर्य को अनुकूल करने का उपाय ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र 94150 87711〰️〰️🔸〰astroexpertsolutions.com〰️ सूर्य ग्रह पीड़ा से मुक्ति के उपाय 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ प्रत्येक ग्रह अपने अच्छे तथा पीड़ादायक फलों के द्वारा समस्त व्यक्तियों को प्रभावित करते हैं सभी ग्रह कभी भी एक जैसा फल वह चाहे अच्छा हो अथवा पीड़ादायक प्रदान नहीं करते। ग्रह जब अच्छे फल देते हैं तब व्यक्ति की अधिकांश कामनाओं की पूर्ति होने लगती है। इसके विपरीत जब ग्रह पीड़ा देते हैं तब व्यक्ति अनेक प्रकार की त्रासदियों से घिर जाता है। प्राचीन काल से विद्वान दैवज्ञ एवं ऋषि-मुनियों ने ग्रहों की पीड़ा को कम करने तथा समाप्त करने के अनेक प्रकार के उपायों का उल्लेख किया है। यहां पर सूर्य पीड़ा से मुक्ति प्राप्त करने के लिए विभिन्न उपायों के बारे में बताया जाएगा इन उपायों के सही प्रयोग से आप सूर्य कृत पीड़ा को कम कर सकते हैं अथवा इन से मुक्ति भी पा सकते हैं। पिछले लेखों के माध्यम से हमने बताया की जन्म पत्रिका में सूर्य की क्या स्थिति है। सूर्य यदि शुभ है तो हम सूर्य देव की पूजा अर्चना करके और अधिक बल देकर आशानुकूल लाभ ले सकते हैं। यदि सूर्य अशुभ है तो उपाय करके सूर्य के प्रकोप से बच सकते हैं। उपाय भी कई प्रकार के होते हैं। यहां हम कुछ विशेष उपायों की चर्चा करेंगे इन उपायों को श्रद्धा पूर्वक एवं आस्था विश्वास के साथ करने पर ग्रह पीड़ा से मुक्ति मिलती है अथवा ग्रह पीड़ा में कमी आती है सूर्य ग्रह पीड़ा की शांति के लिए रत्न धारण में अवश्य थोड़ी सावधानी रखनी चाहिए किसी विद्वान ज्योतिषी के परामर्श से अथवा ग्रह के अध्ययन के बाद ही कोई रत्न धारण करें आगे बताए जा रहे उपायों के साथ यह भी बताया जाएगा कि आप यह उपाय किस स्थिति में करें कवच स्तोत्र अथवा 108 नामों का उच्चारण तो आप किसी भी स्थिति में ग्रह के होने पर कर सकते हैं। हमने जो विधि लिखी है वह जनमानस को ध्यान में रखकर लिखी है। यहां हम आपको अशुभ सूर्य के प्रभाव से बचने की कुछ विधि बता रहे है। जिसमें रत्न धारण, औषधि स्नान, स्तोत्र, बीज मंत्र जाप, 108 नाम, दान, यंत्र सिद्धि, जड़ी धारण, आदि प्रमुख है। इसमें आप यह अवश्य ध्यान रखें कि कवच स्तोत्र का पाठ मन ही मन ना करें इतने उच्च स्वर में करें कि वह आपको आसानी से सुनाई दे यह भी ध्यान रखें कि गाकर अथवा इठलाकर पाठ ना करें यहां हम सूर्य पीड़ा से मुक्ति के प्रमुख उपायों को बताने का प्रयास कर रहे है। सर्वप्रथम रत्न धारण द्वारा सूर्य की पीड़ा मुक्ति के उपाय 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ प्रत्येक ग्रह की पीड़ा को कम करने के लिए रत्न धारण का विशेष महत्व माना गया है सूर्य का रत्न माणिक्य माना गया है। माणिक्य धारण करने से सूर्य की पीड़ा से निश्चित रूप से मुक्ति मिलती है। लेकिन यहां पर सूर्य रत्न धारण करने से पहले कुछ बातों को जानना आवश्यक है। कि रत्न धारण कौन कर सकता है तथा विभिन्न लग्न के जातकों को माणिक्य धारण करने के क्या प्रभाव प्राप्त होते हैं। जाने माणिक्य रत्न किन जातकों के लिए अनुकूल रहता है 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ यहां हम सूर्य के प्रतिनिधि रत्न माणिक्य को धारण करने के बारे में विचार करेंगे कि किस लग्न का स्वामी किस स्थिति में माणिक्य धारण कर सकता है। यहां पर माणिक्य धारण करने से पहले सूर्य व लग्नेश का संबंध देख लें कि कहीं दोनों में शत्रुता तो नहीं। 1👉 पत्रिका में सूर्य यदि अपने भाव से आठवां हो तो माणिक्य धारण करना शुभ होता है। 2👉 सूर्य के लग्न में होने पर संतान बाधा अल्प संतति व जीवन साथी को कष्ट होता है ऐसा जातक माणिक्य धारण ना करें। 3👉 धन भाव में सूर्य के कारण जातक कई प्रकार की समस्याओं का सामना करता है। धन प्राप्ति में भी बाधा आती है अतः ऐसा व्यक्ति माणिक्य धारण कर सकता है। 4👉 तीसरे भाव में सूर्य के होने पर यदि छोटे भाई जीवित ना रहते हो तो माणिक्य धारण किया जा सकता है। 5👉 चतुर्थ भाव का सूर्य कर्म क्षेत्र में बाधक रहता है। अतः ऐसी स्थिति में माणिक्य धारण किया जा सकता है। 6👉 सूर्य यदि द्वितीय, नवम, दशम भाव का स्वामी होकर छठे अथवा आठवें घर में हो तो माणिक्य धारण करें। 7👉 जन्मकालीन स्थिति में सूर्य यदि आपने ही नक्षत्रों उत्तराफाल्गुनी, कृतिका व उत्तराषाढ़ को देख रहा हो तो माणिक्य धारण किया जा सकता है। 8👉 सूर्य के पांचवें घर के स्वामी होने पर अधिक लाभ व उन्नति के लिए माणिक्य पहने। 9👉 सातवें घर का सूर्य स्वास्थ्य व जीवन साथी के लिए घातक होता है अतः अशुभ फल से बचने के लिए माणक धारण करें। 10👉 पत्रिका में सूर्य यदि त्रिक अथवा अशुभ भाव का स्वामी होकर किसी भी त्रिकोण में बैठे तो माणिक्य धारण किया जा सकता है। 11👉 आय भाव का सूर्य पुत्र व बड़े भाई के लिए अशुभ होता है अतः माणिक्य धारण कर सकते हैं। 12👉 बारहवे घर का सूर्य नेत्रों के लिए हानिकारक है तथा ज्योति मंद करता है। अतः माणिक्य धारण करना बहुत ही आवश्यक है। अब हम जानेंगे लग्नानुसार माणिक्य धारण धारण करने की विधि एवं प्रभाव अवधि। 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हम कोई भी रत्न धारण करते हैं तो सर्वप्रथम लग्न व लग्नेश की स्थिति देखते हैं। साथ ही सूर्य की स्थिति का ज्ञान भी आवश्यक है यह भी देखते हैं कि जो रत्न धारण कर रहे हैं उसके लग्न में लग्नेश के साथ कैसे संबंध है मित्र है तो वह शत्रु है? पत्रिका में लग्न में उसके स्वामी का विशेष स्थान है यहां हम केवल लग्न के आधार पर ही चर्चा करेंगे। मेष लग्न👉 इस लग्न में सूर्य शुभ त्रिकोण पंचम का स्वामी है तथा लग्नेश मंगल का मित्र भी है इसलिए हम यहां बेहिचक माणिक्य धारण कर संतान सुख व विद्या बुद्धि में वृद्धि कर सकते हैं सूर्य की महादशा में तो और अधिक लाभ मिलता है। वृषभ लग्न👉 इस लग्न में सूर्य सुख भाव का स्वामी है परंतु लग्नेश का शत्रु भी है। इसलिए हम केवल सूर्य की महादशा में ही वाहन सुख, मातृ व अन्य सुख के लिए माणिक्य धारण कर सकते हैं। मिथुन लग्न👉 मिथुन लग्न में सूर्य तीसरे घर का स्वामी होता है। इसलिए हमें माणिक्य धारण से लाभ के स्थान पर हानि होगी अतः धारण ना करें। कर्क लग्न👉 इस लग्न में सूर्य धन भाव का स्वामी होता है। साथ ही लग्नेश का मित्र भी है यह मारक भाव होता है। इसलिए यदि आप धन लाभ व नेत्र रोग से बचने के लिए माणिक्य धारण करते हैं तो इसके साथ मोती भी धारण करें तभी आपको लाभ प्राप्त होगा। सिंह लग्न👉 इस लग्न का स्वामी स्वयं सूर्य होता है। इसलिए इस लग्न वाले लोगों को माणिक्य जीवनपर्यंत धारण करना चाहिए। माणिक्य धारण करने से सूर्य व लग्न के सभी शुभ फल मिलेंगे। कन्या लग्न👉 इस लग्न में सूर्य द्वादश भाव का स्वामी होता है। इसलिए इस लग्न के लोगों को माणिक से दूर ही रहना चाहिए। तुला लग्न👉 तुला राशि सूर्य की नीच राशि है। लग्नेश शुक्र सूर्य का शत्रु है एकादश भाव का स्वामी होता है। इस कारण यदि इस लग्न के लोग माणिक्य धारण नहीं करें तो ही उचित है। यदि पत्रिका में सूर्य अच्छी स्थिति में है तो सूर्य की महादशा में माणिक्य धारण कर सकते हैं। वृश्चिक लग्न👉 वृश्चिक लग्न में सूर्य दशम भाव का स्वामी होकर लग्नेश का मित्र भी है। इसलिए जातक कर्म क्षेत्र में सफलता राज्य कृपा में मान सम्मान पाने के लिए माणिक्य धारण कर सकता है। धनु लग्न👉 इस लग्न में सूर्य सहभ त्रिकोण नवम का स्वामी है। व लग्नेश गुरु का मित्र भी है। इसलिए व्यक्ति को भाग्योदय आर्थिक लाभ व पिता के सुख के लिए माणिक लाभ देगा। मकर लग्न👉 इस लग्न का स्वामी शनि होता है। साथ ही सूर्य भी अशुभ अष्टम भाव का स्वामी होकर लग्न में शनि का परम शत्रु है। इसलिए इस लग्न के लोग माणिक्य से दूर ही रहे। कुंभ लग्न👉 यह भी शनि की लग्न है इसलिए इस लग्न वालों को माणिक्य शुभ नहीं होता। मीन लग्न👉 हालांकि इस लग्न का स्वामी गुरु है जो सूर्य का मित्र है परंतु सूर्य स्वयं छठे घर का स्वामी होकर अशुभ है। इसलिए इस लग्न के जातक माणिक्य धारण नहीं करें। माणिक्य रत्न धारण विधि 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ सूर्य देव का प्रमुख रत्न माणिक्य है। उपरत्नों में लाली, लाल हकीक, व गार्नेट आदि है। यदि आप रत्न धारण के इच्छुक हैं तो सवा कैरेट से सवा सात कैरेट का माणिक्य अथवा कोई उपरत्न किसी शुभ समय अनामिका उंगली के नाम की स्वर्ण अथवा तांबे की अंगूठी में जड़वाये। फिर किसी भी शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार को सूर्य उदय होते ही दूध में गंगाजल शहद व शक्कर मिलाकर उसमें अंगूठी डाल दें 5 अगरबत्ती सूर्यदेव के नाम पर जलाएं सूर्य देव से प्रार्थना करें कि हे सूर्यदेव में आपका आशीर्वाद पाने के लिए आपका प्रतिनिधि रत्न धारण कर रहा हूं। तत्पश्चात अंगूठी निकालकर "ॐ घृणी: सूर्याय नमः" मंत्र का 11 बार जप करते हुए अंगूठी को अगरबत्ती के ऊपर घुमाएं तथा इसके बाद रुद्राक्ष की माला अथवा लाल हकीक या लाल चंदन की माला से कम से कम 11 माला सूर्य के वैदिक मंत्रों का जप करें मंत्र जाप के बाद श्री विष्णु सूर्य देव की तस्वीर के चरणों में स्पर्श कराकर अनामिका में धारण करें तत्पश्चात हाथ जोड़कर की पहचान से बाहर आ जाएं थोड़े से गेहूं में गुड़ गाय को खिलाएं। माणिक्य की प्रभाव अवधि 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ माणिक्य धारण तिथि से 12 दिन में प्रभाव देना आरंभ करता है तथा धारण करने के बाद लगभग 4 वर्ष तक पूर्ण प्रभाव देता है। फिर निष्क्रिय हो जाता है इसलिए यदि आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी है तो इस समय के बाद आप माणिक्य बदलने यदि नहीं बदल सकते हैं तो पुनः उसी अंगूठी को पहले गुनगुने पानी में एक चुटकी नमक डालकर अंगूठी की ऋणात्मक शक्ति समाप्त करें फिर शुद्ध कर उन्हें ऊपर दी गई प्रक्रिया को दोहराते हुए धारण करें ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र〰️〰️🔸 सिद्धिविनायक ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र विभव खंड 2 गोमती नगर〰️〰️🔸 एवं〰️〰️🔸 वेदराज कांप्लेक्स पुराना आरटीओ चौराहा लाटूश रोड लखनऊ〰️〰️🔸 94150 87711 92357 22996〰️〰️🔸astroexpertsolutions.com〰️