कब-कब हनुमान जी बने राम जी के संकट मोचक!!! 〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा 9415087711 Parijat apartment near Avadh bus adda Faizabad Road Lucknow Astroexpertsolution.com Astrovinayakam.com को नहि जानत। है, जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो। हनुमान जी के कई नाम हैं जिनमें बजरंगबली, महावीर, केसरी नंदन और संकट मोचन नाम काफी लोकप्रिय है। यह नाम हनुमान जी को उनके गुण और कर्मों के कारण प्राप्त हुए हैं। हनुमान जी के अंग बज्र के समान हैं इसलिए यह बजरंगबली कहलाते हैं। इनसे बड़ा कोई वीर नहीं है इसलिए यह महावीर कहलाते हैं। केसरी के पुत्र होने के कारण यह केसरी नंदन और भक्तों के हर संकट दूर करने वाले हैं, इसलिए संकट मोचन कहलाते हैं। हनुमान चालिसा में कहा भी गया है कि 'को नहिं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो' हनुमान जी न केवल भक्तों के संकटहर्ता हैं बल्कि इन्होंने अपने प्रभु श्री राम को भी कई बार संकट से निकाला है। इसलिए राम जी ने हनुमान जी को संकट मोचन नाम दिया है और सृष्टि के अंत तक पृथ्वी पर रह कर मनुष्य को संकट से निकालने का आशीर्वाद दिया है। तो आइये देखें हनुमान जी ने कब कब राम जी को संकट से निकाला। जब पहली बार हनुमान जी राम के संकट मोचक बने!!!!! सीता हरण के बाद राम और लक्ष्मण जब सीता की तलाश में भटकर रहे थे इसी क्रम में राम और हनुमान जी की मुलाकात हुई। इसके बाद से हनुमान जी ने कई बार राम जी को संकट से निकाला। सबसे पहले तो हनुमान जी ने अपने प्रभु श्री राम जी की मित्रता सुग्रीव से करवाकर राम जी को एक बड़ी वानर सेना का साथ दिला दिया। इसी सेना की मदद से राम जी ने सीता की तलाश की और रावण को युद्घ में पराजित करने में सफल हुए। हनुमान जी ने दूर की राम जी की यह चिंता हनुमान जी ने दूसरी बार रामचंद्र जी को उस समय संकट से निकाला जब सब तरफ से राम जी निराश हो रहे थे और सीता का पता नहीं चल पा रहा था। ऐसे समय में हनुमान जी ने समुद्र पार करके यह पता लगाया कि सीता का हरण करके रावण लंका ले गया और देवी सीता रावण की अशोक वाटिका में राम के आने का इंतजार कर रही है। हनुमान जी से प्राप्त सूचना के बाद ही राम जी अपनी सेना लेकर लंका की ओर चले थे। जब प्राण पर आए संकट हनुमान बने संकट मोचक,,,, तीसरी बार हनुमान जी ने राम जी को तब संकट से निकाला जब शक्ति बाण से मूर्च्छित हुए लक्ष्मण जी के प्राण संकट में आ गए। ऐसे समय में सुषेण नाम के वैद्य के कहने पर हनुमान जी संजीवनी बूटी लेकर आए। इस बूटी के प्रयोग से लक्ष्मण जी के प्राण बचे। नाग पाश में जब राम लक्ष्मण बंधे थे उस समय भी हनुमान जी ने राम गरूड़ को बुलाकर राम जी के संकट दूर किए थे। होने वाली थी राम लक्ष्मण की बलि, हनुमान बने संकट मोचक। रावण की मृत्यु के बाद अपने भाई का बदला लेने के लिए अहिरावण ने नींद में राम लक्ष्मण का हरण कर लिया। जब हनुमान जी को यह बात मालूम हुई तो वह अहिरावण की खोज में चल पड़े। राम लक्ष्मण को ढूंढते हुए हनुमान जी पाताल में पहुंचे। इन्होंने देखा कि अहिरावण देवी की पूजा कर रहा है और राम लक्ष्मण की बलि देने वाला है। ऐसे संकट के समय में हनुमान जी ने अहिरावण का अंत करके राम लक्ष्मण के प्राण बचाए।