【गुरु ग्रह】 Jyotish Acharya Dr Umashankar Mishra फ़्लैट सo A 3/ 7 0 2 पारिजात अपार्टमेंट , विक्रांत खण्ड शहीदपथ , अवधबस स्टेशन के समीप Mob - 9415 087 711 Mob- 923 5722 996 🙏🙏 बृहस्पति सूर्य से पांचवाँ और हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। जिसका द्रव्यमान सूर्य के हजारवें भाग के बराबर तथा सौरमंडल में मौजूद अन्य सात ग्रहों के कुल द्रव्यमान का ढाई गुना है। ★[ बृहस्पति, जिन्हें "प्रार्थना या भक्ति का स्वामी" माना गया है,[1] और ब्राह्मनस्पति तथा देवगुरु (देवताओं के गुरु) भी कहलाते हैं, इन्हें शील और धर्म का अवतार माना जाता है और ये देवताओं के लिये प्रार्थना और बलि या हवि के प्रमुख प्रदाता हैं। इस प्रकार ये मनुष्यों और देवताओं के बीच मध्यस्थता करते हैं ★[ बृहस्पति देवताओं के गुरु हैं और दैत्य गुरु शुक्राचार्य के कट्टर विरोधी रहे हैं। ये नवग्रहों के समूह के नायक भी माने जाते हैं तभी इन्हें गणपति भी कहा जाता है। ये ज्ञान और वाग्मिता के देवता माने जाते हैं। इन्होंने ही बार्हस्पत्य सूत्र की रचना की थी। इनका वर्ण सुवर्ण या पीला माना जाता है और इनके पास दण्ड, कमल और जपमाला रहती है। ये सप्तवार में बृहस्पतिवार के स्वामी माने जाते हैं।[2] ज्योतिष में इन्हें बृहस्पति (ग्रह) का स्वामी माना जाता है। ★हिन्दू धर्म में ऋग्वेद के अनुसार बृहस्पति को अंगिरस ऋषि का पुत्र माना जाता है[ ★[ ज्योतिष के अनुसार बृहस्पति इसी नां के ग्रह के स्वामी माने जाते हैं और नवग्रहों में गिने जाते हैं। इन्हें गुरु, चुरा या देवगुरु भी कहा जाता है। इन्हें किसी भी ग्रह से अत्यधिक शुभ ग्रह माना जाता है। गुरु या बृहस्पति धनु राशि और मीन राशि के स्वामी हैं। बृहस्पति ग्रह कर्क राशी में उच्च भाव में रहता है और मकर राशि में नीच बनता है। सूर्य चंद्रमा और मंगल ग्रह बृहस्पति के लिए मित्र ग्रह है, बुध शत्रु है और शनि तटस्थ है। बृहस्पति के तीन नक्षत्र पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वा भाद्रपद होते हैं।[4] ★गुरु को वैदिक ज्योतिष में आकाश का तत्त्व माना गया है। इसका गुण विशालता, विकास और व्यक्ति की कुंडली और जीवन में विस्तार का संकेत होता है। गुरु पिछले जन्मों के कर्म, धर्म, दर्शन, ज्ञान और संतानों से संबंधित विषयों के संतुलन का प्रतिनिधित्व करता है। यह शिक्षण, शिक्षा और ज्ञान के प्रसार से संबद्ध है। जिनकी कुंडली में बृहस्पति उच्च होता है, वे मनुष्य जीवन की प्रगति के साथ साथ कुछ मोटे या वसायुक्त होते जाते हैं, किन्तु उनका साम्राज्य और समृद्धि बढ़ जाती है। मधुमेह का सीधा संबंध कुण्डली के बृहस्पति से माना जाता है। पारंपरिक हिंदू ज्योतिष के अनुसार गुरु की पूजा आराधन पेट को प्रभावित करने वाली बीमारियों से छुटकारा दिला सकता है तथा पापों का शमन करता है। ★निम्न वस्तुएं बृहस्पति से जुड़ी होती हैं: पीला रंग, स्वर्ण धातु, पीला रत्न पुखराज एवं पीला नीलम, शीत ऋतु (हिम), पूर्व दिशा, अंतरिक्ष एवं आकाश तत्त्व।[4] इसकी दशा (विशमोत्तरी दशा) सोलह वर्ष होती है ★कौन है बृहस्पति, क्या है इसका प्रभाव? - नवग्रहों में बृहस्पति को गुरु और मंत्रणा का कारक माना जाता है. - बृहस्पति का रंग पीला है, जो धन और ज्ञान से जुड़े मामलों को नियंत्रित करता है. - सोना, तिजोरी, कानून, धर्म, मंत्र और संस्कार बृहस्पति के अधीन हैं. - पाचन तंत्र, पेट और उम्र की सीमा से है बृहस्पति का संबंध. - बृहस्पति के कारण ही मोटापा घटता और बढ़ता है. - पांच तत्वों में आकाश तत्त्व का अधिपति है बृहस्पति. - बृहस्पति का प्रभाव बहुत बड़ा और विराट होता है. - महिलाओं के विवाह की पूरी जिम्मेदारी बृहस्पति से ही तय होती है. ★हर इंसान सेहतमंद रहना चाहता है, सुंदर दिखना चाहता है, लेकिन कुंडली का कमजोर बृहस्पति सेहत पर बड़ा खतरा बनकर मंडराता है. अगर आपकी कुंडली में बृहस्पति की स्थिति खराब है, तो अचनाक आपका वजन बढ़ सकता है. हम बताते हैं कि कैसे आपको मोटापे का शिकार बना सकता है कमजोर ★बृहस्पति और क्या है इससे बचने का उपाय... ★बृहस्पति का मोटापे से क्या संबंध है? - शरीर में वसा इकट्ठा करने की क्षमता बृहस्पति के पास होती है. - लग्न या लग्न के स्वामी पर बृहस्पति का असर हो तो बढ़ता है मोटापा. - बृहस्पति कमजोर हो, तो खाने की गलत आदत से मोटापा बढ़ता है. - लग्न के आस-पास बृहस्पति हो, तो अनुवांशिक कारणों से मोटापा बढ़ता है. - बृहस्पति पर पाप ग्रहों का प्रभाव हो, तो बीमारी से मोटापा बढ़ता है. बृहस्पति के उपाय से कैसे दूर होगा मोटापा? - एकादशी का उपवास रखें. - खाने में नींबू और दही जरूर शामिल करें. - रोज सुबह और शाम को बृहस्पति के मन्त्र का जाप करें. - मंत्र होगा- 'ॐ बृं बृहस्पतये नमः' ★कहते हैं कि बीमारियां दिमाग में पैदा होती हैं और पेट में बढ़ती हैं, इसलिए पेट का सही होना बेहद जरूरी है, लेकिन कमजोर बृहस्पति आपके पेट और पाचन तंत्र को बीमार कर देता है. ऐसे में कई दूसरी बीमारियां भी आपको घेर सकती हैं. बृहस्पति कैसे बिगाड़ देता है आपके पेट और पाचन तंत्र की दशा और इससे बचने के लिए क्या उपाय करें... बृहस्पति का पाचन तंत्र से क्या संबंध है? - खाने के पचने की प्रक्रिया बृहस्पति से जुड़ी है. - बृहस्पति कमजोर हो तो इंसान का पाचन तंत्र कमजोर होता है. - जल्दबाजी में भोजन के कारण पाचन क्रिया बिगड़ जाती है. - दिनचर्या नियमित न हो, तो पाचन तंत्र पर बुरा असर पड़ता है. - हाइपर एसिडिटी और कमजोर पाचन शक्ति का कारक बृहस्पति होता है. बृहस्पति के उपाय से कैसे सुधारें पाचन शक्ति? - भोजन में हरी सब्जियों का प्रयोग करें. - दाल और अनाज कम से कम खाएं. - रोजाना तांबे के बर्तन से पानी पिएं. - दाहिने हाथ की तर्जनी अंगुली में सोने या पीतल का छल्ला पहनें. ★ज्योतिष के जानकारों की मानें, तो खराब बृहस्पति इंसान को कैंसर जैसे रोगों का शिकार भी बना सकता है. बृहस्पति कैसे बनता है कैंसर का कारण और इस बीमारी से बचने के लिए क्या उपाय करें, आइए जानते हैं... क्या बृहस्पति देता है कैंसर जैसे लाइलाज रोग? - बृहस्पति किसी भी चीज को बड़ा और विशाल कर देता है. - अक्सर कुंडली में जिस भाव में बृहस्पति रहता है, उसे खराब कर देता है. - शरीर के जिस हिस्से में बृहस्पति हो, उसमें लंबी बीमारियां होती हैं. - कैंसर जैसे बड़े और लाइलाज रोग भी देता है बृहस्पति. - कभी-कभी इसका समाधान भी नामुमकिन हो जाता है. ★कैंसर से कैसे बचाएगा बृहस्पति का उपाय? - अपने स्वभाव को बेहतर बनाएं. - भगवान शिव या अपने गुरु की उपासना करें. - रोज सुबह और शाम को 'गजेन्द्र मोक्ष' का पाठ करें. - रोग पहले से हो, तो हर महीने एक बार गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करवाएं. ज्योतिष के ये उपाय आपकी कुंडली में चमत्कारी बदलाव ला सकते हैं, तो अब इलाज के साथ–साथ इन उपायों को भी अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाइए. बृहस्पति के कष्टों से बहुत जल्द मुक्ति मिलेगी.!!