हनुमान जी का सबसे प्रिय मंत्र ! द्वाद्श्याक्षर मंत्र
Jyotishacharya Dr Umashankar Mishra 94150 8 7711 923 5722 996
हनुमान जी अपने भक्तों के भक्तिभाव और प्रेमभाव से अतिशीघ्र प्रसन्न होकर उन्हें फलीभूत करते है। सभी हनुमान भक्त अलग-अलग विधियों से हनुमान जी की आराधना करते है । जिनमें कुछ भक्त हनुमान चालीसा , संकटमोचन हनुमान अष्टक और बजरंग बाण का पाठ कर उनकी आराधना करते है तो कुछ मंत्र जप द्वारा उन्हें प्रसन्न करते है। आज हम आपको एक ऐसे ही मंत्र के विषय में जानकारी देने वाले है जो हनुमान जी को अति प्रिय है। शास्त्रों में इसे हनुमान जी द्वाद्श्याक्षर मंत्र के नाम से पुकारा गया है। इस मंत्र द्वारा हनुमान जी की आराधना से सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती है।
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हनुमान द्वाद्श्याक्षर मंत्र
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हं हनुमते रुद्रात्मकायं हुं फट्
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इस मंत्र के विषय में ऐसी मान्यता है कि पूर्व-काल में भगवान श्रीकृष्ण ने यह मंत्र अर्जुन को बताया था, तथा इसकी साधना करके उन्होंने न केवल हनुमान जी को प्रसन्न ही कर लिया था, अपितु उनकी कृपा से त्रैलोक्य-विजयी का पद भी पाया था। इसी मंत्र के वशीभूत होकर हनुमान जी महाराज महाभारत के युद्ध में अर्जुन के रथ की ध्वजा पर सदैव विराजमान रहे थे और उसे कभी झुकने नहीं दिया था। हनुमान जी के संरक्षण में रहते हुए ही अर्जुन ने उस महायुद्ध में विजय प्राप्त की थी।
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हनुमान जी के इस मंत्र का जप नियमित रूप से पूजा के समय किया जा सकता है। वैसे तो इस मंत्र को सिद्ध करने के लिए सवा लाख मंत्रों के जप और साढ़े बारह हजार आहुतियों का विधान है। किन्तु आपको मंत्र सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं है आप इस मंत्र का जप अपने कल्याणार्थ कर सकते है। हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए व मनोकामना पूर्ती के लिए प्रतिदिन 3 माला का जप करें।
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