एक नजर रुद्राक्ष पर Jyotish Acharya Dr Uma Shankar Mishra 9415 087 711 923 5722 996 रुद्राक्ष शिव के नेत्रों से उत्पन्न हुआ फलदायिनी वृक्ष का फल है, जो समस्त सुखों को देने वाला तथा समस्त दुखों से मुक्ति प्रदान करने वाला है। रूद्राक्ष के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक धारियां खिंची होती हैं। इन्हें मुख कहा जाता है। इन्हीं धारियों के आधार पर एकमुखी से सत्ताईस मुखी तक रूद्राक्ष फलते हैं।सभी मुखों के रुद्राक्ष का अलग-अलग प्रभाव होता है।धार्मिक ग्रंथानुसार 21 मुख तक के रुद्राक्ष होने के प्रमाण हैं, परंतु वर्तमान में 14 मुखी के पश्चात सभी रुद्राक्ष अप्राप्य हैं।कही कही 27 मुखी रुद्राक्ष तक का वर्णन मिलता है।चलिए 1मुखी से लेकर 14 मुखी रुद्राक्ष से आपको परिचय कराते है जो प्राप्य है। एकमुखी रुद्राक्ष-ऐसा रुद्राक्ष जिसमें एक ही आँख अथवा बिंदी हो। स्वयं शिव का स्वरूप है जो सभी प्रकार के सुख, मोक्ष और उन्नति प्रदान करता है।यह अत्यंत दुर्लभ है बड़ी मुश्किलो से मिलता है।प्रायः बाजार में कृत्रिम एकमुखी रुद्राक्ष बना कर महंगे दामो पर बेचा जा रहा है। द्विमुखी रुद्राक्ष-सभी प्रकार की कामनाओं को पूरा करने वाला तथा दांपत्य जीवन में सुख, शांति व तेज प्रदान करता है। त्रिमुखी रुद्राक्ष -समस्त भोग-ऐश्वर्य प्रदान करने वाला होता है। चतुर्थमुखी रुद्राक्ष -धर्म, अर्थ काम एवं मोक्ष प्रदान करने वाला होता है। पंचमुखी रुद्राक्ष -सुख प्रदान करने वाला। षष्ठमुखी रुद्राक्ष -पापों से मुक्ति एवं संतान देने वाला होता होता है। सप्तमुखी रुद्राक्ष -दरिद्रता को दूर करने वाला होता है। अष्टमुखी रुद्राक्ष -आयु एवं सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाला होता है। नवममुखी रुद्राक्ष -मृत्यु के डर से मुक्त करने वाला होता है। दसमुखी रुद्राक्ष -शांति एवं सौंदर्य प्रदान करने वाला होता है। ग्यारह मुखी रुद्राक्ष -विजय दिलाने वाला, ज्ञान एवं भक्ति प्रदान करने वाला होता है। बारह मुखी रुद्राक्ष -धन प्राप्ति कराता है। तरेह मुखी रुद्राक्ष -शुभ व लाभ प्रदान कराने वाला होता है। चौदह मुखी रुद्राक्ष -संपूर्ण पापों को नष्ट करने वाला होता है।यह भी दुर्लभ है। तीन तरह के विशेष रुद्राक्ष गौरी शंकर रुद्राक्ष : यह रुद्राक्ष प्राकृतिक रुप से जुडा़ होता है शिव व शक्ति का स्वरूप माना गया है। इस रुद्राक्ष को सर्वसिद्धिदायक एवं मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है। गौरी शंकर रुद्राक्ष दांपत्य जीवन में सुख एवं शांति लाता है। गणेश रुद्राक्ष : इस रुद्राक्ष को भगवान गणेश जी का स्वरुप माना जाता है. इसे धारण करने से ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है। यह रुद्राक्ष विद्या प्रदान करने में लाभकारी है विद्यार्थियों के लिए यह रुद्राक्ष बहुत लाभदायक है। गौरीपाठ रुद्राक्ष : यह रुद्राक्ष त्रिदेवों का स्वरूप है। इस रुद्राक्ष द्वारा ब्रह्मा, विष्णु और महेश की कृपा प्राप्त होती है। जानिए प्रत्येक रुद्राक्ष के कौन से देवता है। एकमुखी रुद्राक्ष भगवान शिव, द्विमुखी श्री गौरी-शंकर, त्रिमुखी तेजोमय अग्नि, चतुर्थमुखी श्री पंचदेव, पन्चमुखी सर्वदेव्मयी, षष्ठमुखी भगवान कार्तिकेय, सप्तमुखी प्रभु अनंत, अष्टमुखी भगवान श्री गेणश, नवममुखी भगवती देवी दुर्गा, दसमुखी श्री हरि विष्णु, तेरहमुखी श्री इंद्र तथा चौदहमुखी स्वयं हनुमानजी का रूप माना जाता है। किस दिन पहनें रुद्राक्ष रूद्राक्ष को हमेशा सोमवार के दिन प्रात:काल शिव मन्दिर में बैठकर गंगाजल या कच्चे दूध में धो कर, लाल धागे में अथवा सोने या चांदी के तार में पिरो कर धारण किया जा सकता है। रुद्राक्ष की पहचान- पानी में डूबने वाले रुद्राक्ष को असली माना जाता है, कुछ लोग यह भी मानते हैं कि दो तांबों के सिक्कों के मध्यरखने पर यदि इसमें कंपन होता है, तो यह असली है। रोग और रुद्राक्ष- यह हृदयरोग, रक्तचाप एवं कोलेस्ट्रॉल स्तर नियंत्रण में प्रभावशाली है। स्नायुतंत्र (नर्वस सिस्टम) पर भी यह प्रभाव डालता है एवं संभवत: न्यूरोट्रांसमीटर्स के प्रवाह को संतुलित करता है। रुद्राक्ष का विविध रोगों में प्रयोग- उच्च रक्तचाप अर्थात् हाई ब्ल्ड प्रेशर होने पर 10 मुखी रुद्राक्ष या रुद्राक्ष की माला यदि ह्रदय तक लम्बी हो और ह्रदय को छूती हो तो उच्च रक्त चाप के रोगियों को लाभ होता है। रुद्राक्ष की भस्म की स्वर्ण माक्षिक भस्म के साथ एक-एक रत्ती प्रात:काल व सायंकाल दूध, दही व मलाई के साथ यदि रोगी को दिया जाय तो लाभ होता है। पुरानी खांसी को दूर करने के लिये- यदि 10 मुखी रुद्राक्ष को दूध के साथ घिसकर रोगी को तीन बार चटाया जाय तो खांसी जड़ सहित दूर हो जाती है। मानसिक रोगों व स्मृति नष्ट होने पर- 14 मुखी रुद्राक्ष दूध में उबाल कर 20 दिन तक पीने से मस्तिष्क के सभी विकार दूर होते हैं। स्मरण शक्ति कमजोर हो गयी हो, तो उसमें बहुत लाभ होता है। स्त्री रोगों को दूर करने के लिये- मूर्छा आना, प्रदर रोग चक्कर आना व हिस्टीटीया आदि स्त्रियों से संबंधित रोगों को दूर करने के लिये छ: मुखी रुद्राक्ष धारण करने से पूर्ण लाभ होता है। अपस्मार रोग दूर करने के लिये- रुद्राक्ष के गूदे का सेवन करने से अपस्मार रोग में लाभ होता है। मसूरिका रोग में- इस रोग में तीन दिन तक बासी जल में रुद्राक्ष व काली मिर्च का समभाग करके एक महीना से तीन महीने तक सेवन करने से मसूरिका रोग नष्ट होता है। चलते चलते एक उपाय रुद्राक्ष का। पञ्च मुखी रुद्राक्ष को रात भर पानी में भिगोकर रखने और सुबह खाली पेट यह पानी पीने से ह्दय रोग नहीं होता। यह स्वभाव से प्रभावी होता है लेकिन यदि रुद्राक्ष को विशेष तौर से सिद्ध करके के प्रयोग किया जाए तो इसका प्रभाव कई गुना अधिक बढ़ जाता है। रुद्राक्ष और नवग्रह। सूर्य ग्रह के लिए 1 मुखी रुद्राक्ष धारण करे। चंद्रमा ग्रह के लिए 2 मुखी रुद्राक्ष धारण करे। मंगल ग्रह के लिए 3 मुखी रुद्राक्ष धारण करे। बुध ग्रह के लिए 4 मुखी रुद्राक्ष धारण करे। गुरु ग्रह के लिए 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करे। शुक्र ग्रह के लिए 6 मुखी रुद्राक्ष धारण करे। शनि ग्रह के लिए 7 मुखी रुद्राक्ष धारण करे। राहु ग्रह के लिए 8 मुखी रुद्राक्ष धारण करे। केतु ग्रह के लिए 9 मुखी रुद्राक्ष धारण करे।