संकट मोचन हनुमान जी महाराज बाबा नीमकरोरी जी महाराज की जय हो अहोई अष्टमी?
जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र 9415 08 7711
इस दिन विशेष उपाय करने से संतान की उन्नति और कल्याण भी होता है. अ होई अष्टमी आज अर्थात 21 अक्टूबर को है.
अहोई अष्टमी व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता हैइस दिन महिलाएं संतान की उन्नति और कल्याण के लिए व्रत रखती हैं
अहोई अष्टमी व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है. इस दिन अहोई माता (पार्वती) की पूजा की जाती है. इस दिन किए उपाय आपकी हर मुश्किल दूर कर सकते हैं. इस दिन महिलाएं व्रत रखकर अपने संतान की रक्षा और दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं.
जिन लोगों को संतान नहीं हो पा रही हो उनके लिए ये व्रत विशेष है. इस दिन विशेष उपाय करने से संतान की उन्नति और कल्याण भी होता है. 21 अक्टूबर यानी आज सोमवार को व्रत अष्टमी का रखें आज ही अहोई अष्टमी राधाष्टमी राधा जयंती भी है संतान की प्राप्ति के लिए अथवा पारिवारिक सुख-शांति के लिए अथवा बच्चों की प्रगति के लिए बच्चों की उन्नति के लिए इस व्रत का इस पूजन का विशिष्ट महत्व है.
पूजा का शुभ मुहूर्त
21 अक्टूबर 2019 को शाम 0 17 बजकर 42 मिनट से शाम 0 19 बजकर 59 मिनट तक.
कुल अवधि: दो घंटे 17 मिनट
अहोई अष्टमी व्रत का महत्व क्या है ?
- अहोई अष्टमी व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है जो आज है
- इस दिन अहोई माता (पार्वती) की पूजा की जाती है
- इस दिन महिलाएं व्रत रखकर अपने संतान की रक्षा और दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं सफलता कैरियर के लिए भी प्रार्थना करती हैं
- जिन लोगों को संतान नहीं हो पा रही हो उनके लिए ये व्रत विशेष है
- जिनकी संतान दीर्घायु न होती हो , या गर्भ में ही नष्ट हो जाती हो , उनके लिए भी ये व्रत शुभकारी होता है
सामान्यतः इस दिन विशेष प्रयोग करने से संतान की उन्नति और कल्याण भी होता है
- ये उपवास आयुकारक और सौभाग्यकारक होता है
- इस बार अहोई अष्टमी का व्रत एवं पूजन पाठ उपासना आज 21 अक्टूबर को किया जाएगा
कैसे रखें इस दिन उपवास ?
- प्रातः स्नान करके अहोई की पूजा का संकल्प लें
- अहोई माता की आकृति , गेरू या लाल रंग से दीवार पर बनायें
- सूर्यास्त के बाद तारे निकलने पर पूजन आरम्भ करें
- पूजा की सामग्री में एक चांदी या सफ़ेद धातु की अहोई ,चांदी की मोती की माला , जल से भरा हुआ कलश , दूध-भात, हलवा और पुष्प , दीप आदि रखें .
- पहले अहोई माता की , रोली , पुष्प,दीप से पूजा करें , उन्हें दूध भात अर्पित करें
- फिर हाथ में गेंहू के सात दाने और कुछ दक्षिणा (बयाना) लेकर अहोई की कथा सुनें
- कथा के बाद माला गले में पहन लें और गेंहू के दाने तथा बयाना सासु माँ को देकर उनका आशीर्वाद लें
- अब चन्द्रमा को अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण करें
- चांदी की माला को दीवाली के दिन निकाले और जल के छींटे देकर सुरक्षित रख लें
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