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राहुकाल का समय और उससे बचने के उपाय
Jyotish Acharya Dr Umashankar Mishra
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राहुकाल स्थान और तिथि के अनुसार अलग-अलग होता है अर्थात प्रत्येक वार को अलग समय में शुरू होता है। यह काल कभी सुबह, कभी दोपहर तो कभी शाम के समय आता है, लेकिन सूर्यास्त से पूर्व ही पड़ता है। राहुकाल की अवधि दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक के समय के 8वें भाग के बराबर होती है यानी राहुकाल का समय डेढ़ घंटा होता है। वैदिक शास्त्रों के अनुसार इस समय अवधि में शुभ कार्य आरंभ करने से बचना चाहिए। कहते हैं कि राहुकाल में घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए, कोई महत्वपूर्ण या मांगलिक कार्य भी नहीं करना चाहिए। तो आओ जानते हैं किस दिन कौन से समय राहुकाल रहता है।
क्या है राहुकाल : राहु को छाया ग्रह माना गया है। यह ग्रह अशुभ फल प्रदान करता है। इसलिए इसके आधिपत्य का जो समय रहता है, उस दौरान शुभ कार्य करना वर्जित माने गए हैं। सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक के समय में से आठवें भागका स्वामी राहु होता है। इसे ही राहुकाल कहते हैं। यह प्रत्येक दिन 90 मिनट का एक निश्चित समय होता है, जो राहुकाल कहलाता है। राहु काल दिनमान के आठवें भाग का नाम हैं। राहुकाल का समय किसी स्थान के सूर्योदय व वार पर निर्भर करता हैं। सरलता के लिये सूर्योदय को यदि 6 बजे का माना जाये तो प्रत्येक वार के लिये राहुकाल इस तरह होगा-
* रविवार को शाम 4.30 से 6.00 बजे तक राहुकाल होता है।
* सोमवार को दिन का दूसरा भाग यानी सुबह 7.30 से 9 बजे तक राहुकाल होता है।
* मंगलवार को दोपहर 3.00 से 4.30 बजे तक राहुकाल होता है।
* बुधवार को दोपहर 12.00 से 1.30 बजे तक राहुकाल माना गया है।
* गुरुवार को दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक का समय यानी दिन का छठा भाग राहुकाल होता है।ई
* शुक्रवार को दिन का चौथा भाग राहुकाल होता है यानी सुबह 10.30 बजे से 12 बजे तक का समय राहुकाल है।
* शनिवार को सुबह 9 बजे से 10.30 बजे तक के समय को राहुकाल माना गया है।
राहुकाल विचार दिन में ही किया जाता हैं। कुछ लोग रात्री में भी राहुकाल मानते हैं, लेकिन ये उचित नही हैं। राहुकाल का विशेष विचार रविवार, मंगलवार तथा शनिवार को आवश्यक माना गया हैं। बाकी दिनों में राहुकाल का प्रभाव विशेष नही होता।
राहु काल में क्या न करें:
*इस काल में यज्ञ नहीं करते हैं।
*इस काल में नए व्यवसाय का शुभारंभ भी नहीं करना चाहिए।
*इस काल में किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए यात्रा भी नहीं करते हैं।
*यदि आप कहीं घूमने की योजना बना रहे हैं तो इस काल में यात्रा की शुरुआत न करें।
*इस काल में खरीदी-बिक्री करने से भी बचना चाहिए क्योंकि इससे हानि भी हो सकती है।
*राहुकाल में विवाह, सगाई, धार्मिक कार्य या गृह प्रवेश जैसे कोई भी मांगलिक कार्य नहीं करते हैं।
*इस काल में शुरु किया गया कोई भी शुभ कार्य बिना बाधा के पूरा नहीं होता। इसलिए यह कार्य न करें।
*राहुकाल के दौरान अग्नि, यात्रा, किसी वस्तु का क्रय विक्रय, लिखा पढ़ी व बहीखातों का काम नहीं करना चाहिए। *राहु काल में वाहन, मकान, मोबाइल, कम्प्यूटर, टेलीविजन, आभूषण या अन्य कोई भी बहुमूल्य वस्तु नहीं खरीदना चाहिए।
राहुकाल के विषय में मान्यता हैं कि इस समय प्रारम्भ किए गए कार्यो में सफलता के लिए अत्यधिक प्रयास करने पड़ते हैं, कार्यों में अकारण की दिक्कत आती हैं, या कार्य अधूरे ही रह जाते हैं। कुछ लोगों का मानना हैं कि राहुकाल के समय में किए गए कार्य विपरीत व अनिष्ट फल प्रदान करते हैं।
उपाय : यदि राहुकाल के समय यात्रा करना जरूरी हो तो पान, दही या कुछ मीठा खाकर निकलें। घर से निकलने के पूर्व पहले 10 कदम उल्टे चलें और फिर यात्रा पर निकल जाएं। दूसरा यदि कोई मंगलकार्य या शुभकार्य करना हो तो हनुमान चालीसा पढ़ने के बाद पंचामृत पीएं और फिर कोई कार्य करें।
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अभिजीत मुहूर्त
अभिजीत का अर्थ है “विजेता” और मुहूर्त अर्थात “समय”। हमारे सनातन धर्म में समय को अत्यंत ही महत्व दिया गया है और ऐसा माना जाता है कि यदि कार्य को सही समय पर किया जाये तो सफलता निश्चित है।सामान्यतः मुहूर्त के लिए दिन, तिथि, नक्षत्र, योग और दिनमान का योग देखा जाता है, और उसके आधार पर निर्णय लिया जाता है कि कौन-सा कार्य कब करें कि सफलता सुनिश्चित हो। परन्तु ये गणनाएँ कुछ जटिल होती हैं और इन्हें कोई पंचांग का विशेषज्ञ ही बता सकता है। ऐसी स्थिति में जनसामान्य के लिए जिन्हें पंचांग की जानकारी न भी हो तो अभिजीत मुहूर्त सर्वोत्तम है। अभिजीत मुहूर्त प्रत्येक दिन में आने वाला एक ऐसा समय है जिसमे आप लगभग सभी शुभ कर्म कर सकते हैं। यहाँ एक बात स्पष्ट करने योग्य है कि अभिजीत मुहूर्त और अभिजीत नक्षत्र का कोई सीधा सम्बन्ध नहीं होता। परन्तु यदि अभिजीत मुहूर्त और अभिजीत नक्षत्र एक साथ पड़ जाएँ तो अत्यंत ही शुभ माना जाता है।
अभिजीत मुहूर्त का समय
हिन्दू मान्यता के अनुसार हमारा पूरा दिन अर्थात सूर्योदय से लेकर अगले सूर्योदय तक का समय कुल 30 मुहूर्तों में विभक्त है, जिनमें से 15 सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक तथा 15 सूर्यास्त से लेकर सूर्योदय तक के हैं। इन 30 मुहूर्तों में से कुछ शुभ कर्मों के लिए ग्राह्य है, तो कुछ शुभ कर्मों के लिए वर्जित। अभिजीत मुहूर्त इन सभी मुहूर्तों में अत्यंत ही शुभ तथा फलदायी माना जाता है। अभिजीत मुहूर्त प्रत्येक दिन मध्यान्ह से करीब 24 मिनट पहले प्रारम्भ होकर मध्यान्ह के 24 मिनट बाद समाप्त हो जाता है। अर्थात यदि सूर्योदय ठीक 6 बजे हो तो दोपहर 12 बजे से ठीक 24 मिनट पहले प्रारम्भ होकर यह दोपहर 12:24 पर समाप्त होगी। यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि अभिजीत मुहूर्त का वास्तविक समय सूर्योदय के अनुसार परिवर्तित होता रहता है।
अभिजीत मुहूर्त में किये जाने वाले कर्म
अभिजीत मुहूर्त लगभग सभी शुभ कर्मों में ग्राह्य हैं जैसे - पहली बार किसी कार्य से यात्रा प्रारम्भ करना, किसी नए कार्य को प्रारम्भ करना, दूकान या व्यापार का प्रारम्भ करना, ऋण को चुकाना या धन संग्रह करना या पूजा का प्रारम्भ करना इत्यादि। कुछ विद्वान इस समय गृह प्रवेश, मुंडन कार्य, विवाह इत्यादि की भी मान्यता देते हैं। परन्तु, ऐसी भी मान्यता है कि सामान्य शुभ कार्य के लिए तो यह अत्यंत उत्तम है, परन्तु मांगलिक कार्य तथा ग्रह प्रवेश जैसे प्रमुख कार्यों के लिए और भी योगों को देखना आवश्यक है।
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