रुद्राक्ष १ मुखी से २१ मुखी,, रुद्राक्ष,,जन्म लग्न के अनुसार रुद्राक्ष धारण,,लग्न त्रिकोणाधिपति ग्रह लाभकारी रुद्राक्ष,,,अंकषास्त्र के अनुसार रुद्राक्ष-धारण Jyotish Acharya Dr Umashankar Mishra 9415 087 711 रुद्राक्ष १ मुखी से २१ मुखी,, रुद्राक्ष,,जन्म लग्न के अनुसार रुद्राक्ष धारण,,लग्न त्रिकोणाधिपति ग्रह लाभकारी रुद्राक्ष,,,अंकषास्त्र के अनुसार रुद्राक्ष-धारण रुद्राक्ष मंत्र १ मुखी शिव 1-ॐ नमः शिवाय । 2 –ॐ ह्रीं नमः २ मुखी अर्धनारीश्वर ॐ नमः ३ मुखी अग्निदेव ॐ क्लीं नमः ४ मुखी ब्रह्मा,सरस्वती ॐ ह्रीं नमः ५ मुखी कालाग्नि रुद्र ॐ ह्रीं नमः ६ मुखी कार्तिकेय, इन्द्र,इंद्राणी ॐ ह्रीं हुं नमः ७ मुखी नागराज अनंत,सप्तर्षि,सप्तमातृकाएँ ॐ हुं नमः ८ मुखी भैरव,अष्ट विनायक ॐ हुं नमः ९ मुखी माँ दुर्गा १-ॐ ह्रीं दुं दुर्गायै नमः २-ॐ ह्रीं हुं नमः १० मुखी विष्णु १-ॐ नमो भवाते वासुदेवाय २-ॐ ह्रीं नमः ११ मुखी एकादश रुद्र १-ॐ तत्पुरुषाय विदमहे महादेवय धीमही तन्नो रुद्रः प्रचोदयात २-ॐ ह्रीं हुं नमः १२ मुखी सूर्य १-ॐ ह्रीम् घृणिः सूर्यआदित्यः श्रीं २-ॐ क्रौं क्ष्रौं रौं नमः १३ मुखी कार्तिकेय, इंद्र १-ऐं हुं क्षुं क्लीं कुमाराय नमः २-ॐ ह्रीं नमः १४ मुखी शिव,हनुमान,आज्ञा चक्र ॐ नमः १५ मुखी पशुपति ॐ पशुपत्यै नमः १६ मुखी महामृत्युंजय ,महाकाल ॐ ह्रौं जूं सः त्र्यंबकम् यजमहे सुगंधिम् पुष्टिवर्धनम उर्वारुकमिव बंधनान् मृत्योर्मुक्षीय सः जूं ह्रौं ॐ १७ मुखी विश्वकर्मा ,माँ कात्यायनी ॐ विश्वकर्मणे नमः १८ मुखी माँ पार्वती ॐ नमो भगवाते नारायणाय १९ मुखी नारायण ॐ नमो भवाते वासुदेवाय २० मुखी ब्रह्मा ॐ सच्चिदेकं ब्रह्म २१ मुखी कुबेर ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्य समृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा आपकी ग्रह-राशि-नक्षत्र के अनुसार रुद्राक्ष धारण करें ग्रह राषि नक्षत्र लाभकारी रुद्राक्ष मंगल मेष मृगषिरा-चित्रा-धनिष्ठा ३ मुखी शुक्र वृषभ भरणी-पूर्वाफाल्गुनी-पूर्वाषाढ़ा ६ मुखी,१३ मुखी,१५ मुखी बुध मिथुन आष्लेषा-ज्येष्ठा-रेवती ४ मुखी चन्द्र कर्क रोहिणी-हस्त-श्रवण २ मुखी, गौरी-शंकर रुद्राक्ष सूर्य सिंह कृत्तिका-उत्तराफाल्गुनी-उत्तराषाढ़ा1 मुखी, १२ मुखी बुध कन्या आष्लेषा-ज्येष्ठा-रेवती ४ मुखी शुक्र तुला भरणी-पूर्वाफाल्गुनी-पूर्वाषाढ़ा ६ मुखी,१३ मुखी,१५ मुखी मंगल वृष्चिक मृगषिरा-चित्रा-धनिष्ठा ३ मुखी गुरु धनु-मीन पुनर्वसु-विषाखा-पूर्वाभाद्रपद ५ मुखी शनि मकर-कुंभ पुष्य-अनुराधा-उत्तराभाद्रपद ७ मुखी, १४ मुखी शनि मकर-कुंभ पुष्य-अनुराधा-उत्तराभाद्रपद ७ मुखी, १४ मुखी गुरु धनु-मीन पुनर्वसु-विषाखा-पूर्वाभाद्रपद ५ मुखी राहु - आर्द्रा-स्वाति-षतभिषा८ मुखी, १८ मुखी केतु - अष्विनी-मघा-मूल ९ मुखी,१७ मुखी नवग्रह दोष निवारणार्थ १० मुखी, २१ मुखी विषेष : १० मुखी और ११ मुखी किसी एक ग्रह का प्रतिनिधित्व नहीं करते।बल्कि नवग्रहों के दोष निवारणार्थ प्रयोग मे लाय जाते हैं । जन्म लग्न के अनुसार रुद्राक्ष धारण भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रत्न धरण करने के लिए जन्म लग्न का उपयोग सर्वाधिक प्रचलित है । रत्न प्रकृति का एक अनुपम उपहार है। आदि काल से ग्रह दोषों तथा अन्य समस्याओं से मुक्ति हेतु रत्न धारण करने की परंपरा है।आपकी कुंडली के अनुरूप सही और दोषमुक्त रत्न धारण करना फलदायी होता है। अन्यथा उपयोग करने पर यह नुकसानदेह भी हो सकता है। वर्तमान समय में शुद्ध एवं दोषमुक्त रत्न बहुत कीमती हो गए हैं, जिससे वे जनसाधारण की पहुंच के बाहर हो गए हैं। अतः विकल्प के रूप में रुद्राक्ष धारण एक सरल एवं सस्ता उपाय है। साथ ही रुद्राक्ष धारण से कोई नुकसान भी नहीं है, बल्कि यह किसी न किसी रूप में जातक को लाभ ही प्रदान करता है। क्योंकि रुद्राक्ष पर ग्रहों के साथ साथ देवताओं का वास माना जाता है। कुंडली में त्रिकोण अर्थात लग्न, पंचम एवं नवम भाव सर्वाधिक बलशाली माना गया है। लग्न अर्थात जीवन, आयुष्य एवं आरोग्य, पंचम अर्थात बल, बुद्धि, विद्या एवं प्रसिद्धि, नवम अर्थात भाग्य एवं धर्म। अतः लग्न के अनुसार कुंडली के त्रिकोण भाव के स्वामी ग्रह कभी अशुभ फल नहीं देते, अशुभ स्थान पर रहने पर भी मदद ही करते हैं । इसलिए इनके रुद्राक्ष धारण करना सर्वाधिक शुभ है। इस संदर्भ में एक संक्षिप्त विवरण यहां तालिका में प्रस्तुत है।हमने कई बार देखा है कि कुंडली में शुभ-योग मौजूद होने के बावजूद उन योगों से संबंधित ग्रहों के रत्न धारण करना लग्नानुसार अशुभ होता है। उदाहरण के रूप में मकर लग्न में सूर्य अष्टमेश हो, तो अशुभ और चंद्र सप्तमेश हो, तो मारक होता है। मंगल चतुर्थेष-एकादष…