तुरंत जांचें, कहीं आपकी कुंडली में शनि का शश योग तो नहीं है?
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श्रीवास्तव ने साझा किया की ज्योतिष में शनि ग्रह को आयु, दुख, तकनीकी का कारक माना जाता है। लाल किताब और ज्योतिष के अनुसार शनिदेव कब और कैसे प्रसन्न होते हैं जिसके इसके कई कारण है। पहला यह कि कुंडली में शनि की स्थिति बताती है कि शनिदेव आप पर प्रसन्न हैं और दूसरा यह कि आपके कर्म और आपका जीवन बताता है कि शनिदेव आप पर प्रसन्न हैं या नहीं। और, यदि आपकी कुंडली में शश योग है तो सफलता आपके कदम चूमेगी और आप शीर्ष पद पर होंगे। आजो जानते हैं कि शश योग होने के क्या क्या फायदे होते हैं। यह योग शनि के कारण बनता है और इसलिए इन जातकों के जीवन में होने वाली सभी घटनाएं शनि पर निर्भर करती हैं।
कुंडली में शनि की स्थिति : *ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा
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श्रीवास्तव ने बताया कि शनि ग्रह मकर और कुम्भ का स्वामी होता है। तुला में उच्च का और मेष में नीच का माना गया है। ग्यारहवां भाव उसका पक्का घर है। लाल किताब के अनुसार यदि शनि सातवें भाव में है तो वह शुभ माना गया है। अर्थात मकर, कुंभ और तुला का शनि अच्छा है और सातवें एवं ग्यरहवें भाव का शनि भी अच्छा है। बाकी की कोई गाररंटी नहीं।
क्या होता है शनि का शश योग : पंचमहायोग में से एक है शश योग। शनि ग्रह के कारण बनने वाला शश योग है। यदि आपकी कुंडली में शनि लग्न से अथवा चन्द्रमा से केन्द्र के घरों में स्थित है अर्थात शनि यदि कुंडली में लग्न अथवा चन्द्रमा से 1, 4, 7 अथवा 10वें घर में तुला, मकर अथवा कुंभ राशि में स्थित है तो यह शश योग बनता है। अथार्त शश योग तब बनता है जब कुंडली के लग्न या चंद्रमा से पहले, चौथे, सातवें और दसवें घर में शनि अपने स्वयं की राशि (मकर, कुंभ) में या उच्च राशि तुला में मौजूद होता है।
क्या होगा फायदा :
1. ऐसे जातक में किसी भी रोग से उबरने की मजबूत क्षमता होती है।
2. यह योग जातक की आयु लंबी करता है अथार्त जातक दीर्घायु होता है।
3. व्यापार व्यवसाय करने में जातक बहुत ही प्रेक्टिकल होता है।
4. ऐसा जातक जरूरतपूर्ति या आवश्यकता अनुसार ही वार्तालाप करता है।
5. ऐसे जातक ज्ञानी होता है और रहस्यों को जानने वाला भी होता है।
6. राजनीति के क्षेत्र में है तो ऐसा जातक कूटनीति का धनी होता है और शीर्षपद पर आसीन हो जाता है।
7. शश योग है तो जातक पर शनि के कुप्रभाव, साढे़साती और ढैय्या के बुरे प्रभाव नहीं पड़ते हैं।
शश योग के प्रभाव को अखंडित रखने के लिए सावधानी :
1. ऐसा जातक को न्यायप्रिय बने रहना चाहिए।
2. अपने परिश्रम से ही आगे बढ़ना चाहिए।
3. निरंतर तथा दीर्घ समय तक प्रयास करते रहने चाहिए।
4. सहनशीलता रखना जरूरी है। क्रोध ना करें।
5. सच बोलना और अपने कर्म को शुद्ध रखना चाहिए।
6. दूसरों पर व्यर्थ पैसा बर्बाद ना करें।
शश योग में जन्म लेने वाले जातक का व्यक्तित्व :
ऐसा जातक न्यायप्रिय, लंबी आयु और कूटनीति का धनी होता है। यह परिश्रम से अर्जित सफलता को ही अपनी सफलता मानता है। इसीलिए ऐसा जातक निरंतर तथा दीर्घ समय तक प्रयास करते रहने की क्षमता रखते हैं। यह किसी भी क्षेत्र में हार नहीं मानते हैं। इनमें छिपे हुए रहस्यों का भेद जान लेने की क्षमता अद्भुत होती है। यह किसी भी क्षेत्र में सफल होने की क्षमता रखते हैं। सहनशीलता इनका विशेष गुण है, लेकिन अपने शत्रु को यह किसी भी हालत में छोड़ते नहीं हैं।
कहते हैं कि इस योग का पूर्ण प्रभाव है तो इस योग में जन्म लेने वाले जातक का छोटा चेहरा, फुर्तीली आंखें, मध्यम ऊंचाई और छोटे दांत होने की संभावना रहती है। जातक को प्राकृतिक स्थलों की यात्रा करना पसंद होता है। शश योग के जातक जल्द क्रोधित होने वाले, जिद्दी और साहसी होते हैं। ऐसे जातक अतिथि प्रिय और मिलनसार और सेवाभावी होते हैं। उनकी ओर विपरीत लिंग के लोग स्वत: ही आकर्षित होते हैं। धातु की वस्तुएं बनाने में कुशल हो सकते हैं।
करियर में :
1. शनि से संबंधित वर्क असाइनमेंट प्राप्त करेंगे।
2. वित्त, कानून या सरकारी क्षेत्र में प्रगति कर सकते हैं।
3. संपत्ति के लेन-देन से भी करियर बना सकते हैं।
4. शिक्षक, सलाहकार या साहित्यकार बन सकते हैं।
5. आध्यात्मिक क्षेत्र में भी उन्नती कर सकते हैं।
नोट :
1. कुंडली में शुभ शनि पर दो या दो से अधिक अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो या यदि कोई दुर्बल ग्रह शनि से प्रभावित होता है तो शश योग शुभ फलदायी हो इसकी कोई गारंटी नहीं।
2. यदि शनि चतुर्थ भाव में अशुभ होकर विराजमान है तो पारिवारिक जीवन में परेशानी।
3. यदि शनि सातवें घर में अशुभ होकर विराजमान है तो यह वैवाहिक जीवन में सुख की गारंटी नहीं। पार्टनरशिप की सफलता की भी कोई गारंटी नहीं।
4. यदि शनि दशम भाव में अशुभ होकर विराजमान है, तो करियर में सफता की प्राप्ति अधिक परिश्रम से ही हो सकती है।
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