भगवान गणेश के साथ क्यों लेते हैं शुभ-लाभ का नाम
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बुधवार को पूरे विधि विधान के साथ भगवान गणेश की पूजा की जाती है. भगवान गणेश भक्तों पर प्रसन्न होकर उनके दुखों को हरते हैं और सभी की मनोकामनाएं पूरी करते हैं. हिंदू मान्यताओं के अनुसार कोई भी शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जानी जरूरी है. भगवान गणेश सभी लोगों के दुखों को हरते हैं. भगवान गणेश खुद रिद्धि-सिद्धि के दाता और शुभ-लाभ के प्रदाता हैं।
वह भक्तों की बाधा, सकंट, रोग-दोष तथा दरिद्रता को दूर करते हैं. शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि श्री गणेश जी की विशेष पूजा का दिन बुधवार है. कहा जाता है कि बुधवार को गणेश जी की पूजा और उपाय करने से हर समस्या का समाधान हो जाता है. अक्सर लोग अपने मुख्य दरवाजे के बाहर या फिर उसके आसपास की दीवारों पर लाभ और शुभ लिखते हैं. यह क्यों लिखते हैं और क्या है इनका भगवान गणेशजी से संबंध आइए आपको बताते हैं.
गणेशजी के दो पुत्र शुभ और लाभ
भगवान शिव के पुत्र गणेशजी का विवाह प्रजापति विश्वकर्मा की पुत्री ऋद्धि और सिद्धि नामक दो कन्याओं से हुआ था. सिद्धि से 'क्षेम' और ऋद्धि से 'लाभ' नाम के दो पुत्र हुए. लोक-परंपरा में इन्हें ही शुभ-लाभ कहा जाता है. गणेश पुराण के अनुसार शुभ और लाभ को केशं और लाभ नामों से भी जाना जाता है. रिद्धि शब्द का अर्थ है 'बुद्धि' जिसे का हिंदी में शुभ कहते हैं. ठीक इसी तरह सिद्धी इस शब्द का अर्थ होता है 'आध्यात्मिक शक्ति' की पूर्णता यानी 'लाभ'.
चौघड़ियां
जब हम कोई चौघड़िया या मुहूर्त देखते हैं जो उसमें अमृत के अलावा लाभ और शुभ को ही महत्वपूर्ण माना जाता है. द्वार पर गणेशजी के पुत्रों के नाम 'स्वास्तिक' के दाएं-बाएं लिखा जाता है. घर के मुख्य दरवाजे पर 'स्वास्तिक' मुख्य द्वार के ऊपर मध्य में और शुभ और लाभ बाईं तरफ लिखते हैं. स्वास्तिक की दोनों अलग-अलग रेखाएं गणपति जी की पत्नी रिद्धि-सिद्धि को दर्शाती हैं. घर के बाहर शुभ-लाभ लिखने का मतलब यही है कि घर में सुख और समृद्धि सदैव बनी रहे. लाभ लिखने का भाव यह है कि भगवान से लोग प्रार्थना करते हैं कि उनके घर की आय और धन हमेशा बढ़ता रहे, लाभ होता रहे.*
#ૐ वक्तकुंड महाकाव्य सूर्य कोटी समप्रभा
निर्विघ्नं कुरु मे देवा सर्वकार्येषु सर्वदा ૐ
🙏🏻ૐ श्री वक्रतुण्डाय नम:🙏🏻
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