पूर्णकुंडलीमिलानऔर विवाह-
👏 Jyotish Acharya Dr Uma Shankar Mishra 9415 087 711 923 5722 996 👏
कुंडली मिलान में देखने में आया है कि ज्यादातर गुण मिलान में केवल गुणों को बहुत ज्यादा महत्व दे दिया जाता है।कुल 36 गुण विवाह मिलान में होते है इसमें 36 से नीचे और 18से ऊपर मिलान होने पर विवाह की स्वीकृति दे दी जाती है लेकिन कुंडली के ग्रह और सातवें भाव का विचार करना भी जरूरी होता है गुण मिलान विवाह के लिए केवल 30%मिलान होना बताता है जबकि पूर्ण मिलान ग्रह और कुंडली के सातवें भाव सहित अन्य विवाह के सहयोगी भावो का भी शुभ होना सुखी और अच्छे वैवाहिक जीवन के लिए जरूरी होता है।18 से ऊपर जितने ज्यादा से गुण मिलते है उतना ही शुभ होता है साथ ही अब गुण मिलने के बाद लड़की-लड़के दोनों की कुंडली का सातवाँ भाव इस भाव का स्वामी लड़के की कुंडली में पत्नी का कारक शुक्र, लड़की की कुंडली में पति कारक बृहस्पति का शुभ, अनुकूल और पाप ग्रहो से मुक्त होना भी जरूरी है साथ ही सातवे भाव में कोई अस्त ग्रह, अशुभ ग्रह योग, पाप ग्रह न हो, सातवे भाव का स्वामी विवाह कारक बृहस्पति शुक्र भी अस्त या पीड़ित नही होने चाहिए। इतना मिलान ठीक होने के बाद कुंडली के बारहवे भाव और इस भाव के स्वामी की स्थिति भी ठीक होना जरूरी है कारक यह भाव शैय्या सुख से सम्बंधित भाव है और शैय्या सुख वैवाहिक सुख का एक अंग है इस कारण यह भाव भावेश दोनो पाप ग्रहो, अशुभ योग से मुक्त होने जरूरी होते है।इसके बाद दूसरा भाव भावेश भी बली, पाप ग्रहो से मुक्त होना जीवन साथी के लिए जरूरी है क्योंकि यह भाव भावेश जीवनसाथी की आयु का भाव होता यदि जीवन साथी की आयु दीर्घ है तो विवाह सुख(पति-पत्नी) सुख और साथ लम्बे समय के लिए बना रहता है यह भाव परिवार का भी है इस कारण भी विवाह संबंधी मामले में यह भाव/भावेश शुभ और बली होना जरूरी है जिससे परिवार की वृद्धि हो।इसके बाद विवाह मिलान लड़की-लड़के की कुंडली में बृहस्पति सहित 5वे भाव भावेश की स्थिति भी शुभ, बली और अनुकूल होना सुखी और पूर्ण वैवाहिक जीवन का एक अंग होता क्योंकि यह भाव भावेश और बृहस्पति संतान के स्वामी और कारक है और संतान पति-पत्नी के सम्बन्ध, विवाह सम्बन्ध को मजबूत करने की एक डोर है, परिवार वृद्धि का रास्ता है इस कारण यह भाव भावेश+बृहस्पति शुभ, अनुकूल होना भी सुखी वैवाहिक जीवन के लिए जरूरी हो जाता है।साथ ही चोथे भाव भावेश भी शुभ और अशुभ प्रभाव से मुक्त हो क्योंकि यह भाव गृहस्थी और घर( निवास)का है गृहस्थी के लिए इस भाव/ भावेश की अनुकूलता अनिवार्य है।सबसे ज्यादा सातवें भाव भावेश, द्वितीय भाव भावेश, बारहवे भाव भावेश व् पाचवे भाव भावेश का अनुकूल होना एक पूर्ण सुखी और अच्छी कुंडली मिलान के लिए जरूरी होता है इसमें भी सातवा भाव भावेश साथ हो विवाह कारक गुरु शुक्र महत्वपूर्ण है क्योंकि यही सातवाँ भाव, भावेश गुरु शुक्र विवाह, वैवाहिक जीवन की नींव और उत्पत्ति है और नींव का ठीक होना सबसे महत्वपूर्ण होता है।इस तरह से गुण मिलान के साथ ग्रह, भाव का ठीक से परीक्षण और मिलान करने पर ही कुंडली का सही मिलान हो पाता है और यह सही से पता चल पाता है कि वैवाहिक जीवन किस स्तर तक ठीक आदि रहेगा। #यदि #लग्नकुंडली आपस में नही मिल पाती हो और यदि दोनों की #नवमांशकुंडली आपस में पूरी तरह सही से मिल जाती है तब भी विवाह मिलान हो जाता है।अतःविवाह मिलान में नवमांश कुंडली का विश्लेषण भी करना जरूरी होता है यदि लग्न कुंडली ही प्रथम मिल जाती है तो यहई लग्न कुंडली विवाह होने की स्वीकृति दे देती है
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