गुरुदेव बृहस्पति का संबंधों पर असर, विषम फल, कारण और निवारण
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बृहस्पति का व्यक्तिगत सम्बन्धो पर असर
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बृहस्पति वृद्ध, समझदार और संबंधो को जोड़कर रखने वाला ग्रह है।कुंडली में कई तरह के अशुभ योग और पाप ग्रहो के दुष्प्रभाव के कारण रिश्तों में खराबी और खटास आने लगती है जिस कारण एक समय ऐसा आता है कि वह रिश्ते ख़त्म होने की कतार पर आ जाते है।हर एक रिश्ते का कोई न कोई कारक ग्रह होता है।जैसे सूर्य पिता, चंद्र माँ, मंगल छोटा भाई, बुध बहन, मित्र, बुआ, फूफा, मोसी, मौसा, बृहस्पति दादा, पुत्र गुरु, घर का कोई बुजुर्ग व्यक्ति, शुक्र पत्नी प्रेमिका, शनि चाचा, ताऊ, नोकर संबंधियो का कारक होता है।इसी तरह अलग-अलग भावो से अलग अलग संबंधियो का विचार किया जाता है।यहाँ बात रिश्तों में बृहस्पति के विषय में कर रहा हूँ।।
चौथा भाव माँ के रिश्ते का भाव होता है तो चंद्र सम्बन्ध में माँ का कारक ग्रह है।शनि राहु केतु यह प्रथकता वादी ग्रह या पीड़ा देने वाले स्वभाव के होते है।
चौथा भाव, भावेश और चंद्र पर शनि राहु केतु जैसे ग्रहो का प्रभाव माँ सुख की हानि करने वाला होता है।चौथा भाव, भावेश और चंद्र बहुत ज्यादा कमजोर होकर शनि राहु केतू पृथकतावादी ग्रहो के प्रभाव से माँ सुख में कमी कर देंगे या माँ को दूर कर देंगे, आदि जिससे माँ सुख की हानि होगी और ज्यादा स्थिति चोथे भाव, भावेश और चंद्र की ख़राब होने पर निश्चित ही माँ का सुख नही मिलता।ऐसी स्थिति में चोथे भाव, भावेश और चंद्र का बली गुरु के प्रभाव में होना आपके और आपकी माँ के बीच सुख में वृद्धि कर संबंधो को स्थाई रूप से ठीक तरह से चलाता रहेगा।इसके लिए आवश्यक है गुरु का कुंडली में शुभ स्थिति में होना।शुभ गुरु सुख में वृद्धि करने वाला होता है।जिस भाव, भावेश और कारक संबंधी पर गुरु का शुभ प्रभाव पड़ेगा ऐसे संबंधियो के साथ आपके अच्छे और मधुर सम्बन्ध रहेंगे।पाप ग्रहो का प्रभाव ऐसे भाव, भावेश और कारक ग्रहो संबंधो पर होने से सुख की हानि होकर परेशानिया होती साथ ही सम्बन्ध भी ख़राब होते है।पाप ग्रहो के साथ जहाँ शुभ गुरु का प्रभाव पड़ेगा उस स्थान की हानि नही होती।ऐसी स्थिति में आपके संबंधियो से आपके अच्छे और मधुर सम्बन्ध रहते है क्योंकि गुरु कभी भी स्थिति को बिगड़ने नही देता यह सभी को एकसाथ जोड़कर रखने का काम करता है।इसी कारक गुरु को दोषो का नाश करने वाला और बेहद शुभ ग्रह माना गया कुंडली का शुभ और अनुकूल बृहस्पति कई तरह के अनिष्टों की शांति करने में सक्षम होता है। मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु, मीन लग्न के लिए गुरु बेहद शुभ होता है।
आज तक हम लोग गुरु को सौरमंडल का सिर्फ एक ग्रह तक ही सीमित कर पाए है, गुरु ग्रह नही बल्कि एक सकारात्मक आकर्षण होता हैं, जैसे शिखा बांधने का सकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं, उसी तरह सिर पर पल्लू लेने का भी असर होता हैं, हम किसी भी बात का एक पहलू ही देख पाते हैं, दूसरा नही देखते, जैसे हम ये देखते की वो हीरोइन या वो महिला तो किसी के सामने सिर नही ढकती, या कम कपड़ो के रहती ,फिर वो तो सफल है या ऊंचाई पर है, पर क्या आपने उनकी पारिवारिक स्थिति देखी या आपने उनको नजदीक से देखा। उनके जीवन मैं तलाक, शराब, खुलापन कितना बढ़ गया। कब वो किसकी थी, किसकी हो जाती, बहुत सी बातें होती जो लेख मैं सम्भव नही।
ये बात सच है की आजादी के इस युग मैं मनचाहे कपड़े पहनने की आजादी हो गई, पर आजादी और संस्कार दोनों अलग अलग होते हैं। अब जींस, पेंट, टी शर्ट की दुनिया मैं सिर पर पल्लू , चुनरी आदि के संस्कार लुप्त प्रायः हो गए।
जब लड़कियों को मन्दिर मैं आरती करते वक्त देखा जाता तो जीन्स पेंट पर बिना पल्लू, या बिना चुनरी ढके आरती करती है, आप खुद ही सोचिये क्या ये संस्कार उचित है।
महिलाओं की बात छोड़ो, जो पुरुष भी बिना वजह बदन की नुमाइश करता उसका गुरु ग्रह भी खराब हो जाता है।
महिलाओं का जीवन उनके पति बच्चों और घर -गृहस्थी में सिमटा होता है। जन्म कुंडली में बृहस्पति खराब हो तो वह महिला को स्वार्थी, लोभी और क्रूर विचार धारा की बना देता है। दाम्पत्य जीवन में दुखों का समावेश होता है और संतान की ओर से भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पेट और आंतों के रोग हो जाते हैं।
अगर जन्म- कुंडली में बृहस्पति शुभ प्रभाव दे तो महिला धार्मिक, न्याय प्रिय, ज्ञानवान, पति प्रिया और उत्तम संतान वाली होती है। ऐसी महिलाएं विद्वान होने के साथ -साथ बेहद विनम्र भी होती है।
कुछ कुंडलियों में बृहस्पति शुभ होने पर भी उग्र रूप धारण कर लेता है तो स्त्री में विनम्रता की जगह अहंकार भर जाता है। वह अपने समक्ष सभी को तुच्छ समझती है क्योंकि बृहस्पति के शुभ होने पर उसमें ज्ञान की सीमा नहीं रहती। वह सिर्फ अपनी ही बात पर विश्वास करती है।अपने इसी व्यवहार के कारण वह घर और आस-पास के वातावरण से कटने लगती है और धीरे- धीरे अवसाद की और घिरने लग जाती है क्योंकि उसे खुद ही मालूम नहीं होता की उसके साथ ऐसा क्यों हो रहा है।
यही अहंकार उस में मोटापे का कारण भी बन जाता है। वैसे तो अन्य ग्रहों के अशुभ प्रभाव से भी मोटापा आता है मगर बृहस्पति के अशुभ प्रभाव से मोटापा अलग ही पहचान में आता है यह शरीर में थुल थूला पन अधिक लाता है क्योंकि की बृहस्पति शरीर में मेद कारक भी है तो मोटापा आना स्वाभाविक ही है।
कमजोर बृहस्पति हो तो पुखराज रत्न धारण किया जा सकता है, पर लग्न कौन सा है, देखकर ही पहने गुरुवार का व्रत करें, सोने का धारण करें,पीले रंग के वस्त्र पहनें और पीले भोजन का ही सेवन करें।
एक चपाती पर एक चुटकी हल्दी लगाकर खाने से भी बृहस्पति अनुकूल होता है।
उग्र बृहस्पति को शांत करने के लिए बृहस्पति वार का व्रत करना, पीले रंग और पीले रंग के भोजन से परहेज करना चाहिए बल्कि उसका दान करना चाहिए। केले के वृक्ष की पूजा करें और विष्णु भगवान् को केले का भोग लगाएं और छोटे बच्चों, मंदिरों में केले का दान और गाय को केला खिलाना चाहिए।
अगर दाम्पत्य जीवन कष्टमय हो तो हर बृहस्पति वार को एक चपाती पर आटे की लोई में थोड़ी सी हल्दी ,देसी घी और चने की दाल ( सभी एक चुटकी मात्र ही ) रख कर गाय को खिलाएं।
कई बार पति-पत्नी अगल -अलग जगह नौकरी करते हैं और चाह कर भी एक जगह नहीं रह पाते तो पति -पत्नी दोनों को ही बृहस्पति को चपाती पर गुड की डली रख कर गाय को खिलानी चाहिए।
सबसे बड़ी बात यह के झूठ से जितना परहेज किया जाय, बुजुर्गों और अपने गुरु,शिक्षकों के प्रति जितना सम्मान किया जायेगा उतना ही बृहस्पति अनुकूल होता जायेगा।
जिन महिलाओं या पुरुष का गुरु उच्च राशि का हो वो अपने पहने हुए कपड़े भी दान नही करे, साथ ही जो महिलाएं मॉल आदि मैं ड्रेस खरीदने के पहले पहन कर देखती हैं, क्या आप जानती हो कि उसके पहले उस ड्रेस को किसने पहनकर देखा? किसी और कि नकारात्मकता उस ड्रेस मैं पहले से होकर आपके साथ आ जाती हैं।
ऊं नमोः नारायणाय. ऊं नमोः भगवते वासुदेवाय।
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ऊं नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
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