Siddhi Vinayak Jyotish AVN Vastu Anusandhan Kendra Vibhav khand 2 Gomti Nagar AVN vedraj complex purana RTO Chauraha latouche road Lucknow 94150 877 11 AVN 92 35 722 996 ✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻 Jyotish Acharya Dr Umashankar Mishra 9415 087 711 92 357 22996 हम किसकी पूजा करे कुलदेवी देवता , ईष्ट देव या किसी भी भगवान की 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼 दोस्तों, आज का विषय गम्भीर और सोचनीय हैं । शायद इस विषय पर हर किसी की अलग राय और अलग विचार हो सकते हैं, पर मै अपने स्वयं के विचार रख रहा हूँ । हम कई बार ज्ञान हेतु माँ सरस्वती,श्री गणेश जी आदि देवी देवता के पास जाते हैं, धन हेतु लक्षमी जी, शक्ति हेतू हनुमान जी, दुर्गा माँ आदि । क्या कभी आपने अपने कुल देव या कुल देवी को ध्यान किया हैं ? अध्यात्मशास्त्रानुसार, हमारा जन्म उसी धर्म में होता है जो हमारी आध्यात्मिक उन्नति के लिए सर्वोत्तम हो । जिस कुल में हमारा जन्म होता है उस कुल की देवी अथवा देवता ही हमारी आध्यात्मिक उन्नति के लिए श्रेष्ठ ईश्‍वरीय तत्त्व होते हैं । ईश्‍वर के सर्व तत्त्वों में परिवार के कुलदेवता ही परिवारजनों के निकटतम तथा परिवार के सदस्यों की आध्यात्मिक उन्नति के लिए अत्यधिक सुलभ होते हैं । जब आपका विवाह होता या पहला बच्चा होता हैं, तो आज भी अधिकाँश लोग कुल देव या देवी के मन्दिर मे जाकर आशीर्वाद लेते हैं । एक बात समझे की हमारे पिता या माता एक ही होती हैं । पर हम किसी को पिता तुल्य या माता तुल्य मान या समझ सकते हैं । कुल देव या देवी हमारे जीवन मे सर्वप्रथम रक्षक होती हैं । इसे इस प्रकार समझाता हूँ की आपका एक पारिवारिक डाक्टर हैं जो जनरल फिजिशियन हैं, यदि आपको आँख,कान,गला, हृदय रोग जो भी परेशानी होती हैं, आप उसे ही घर बुलाते हो जबकि वो डाक्टर उस बीमारी का एक्सपर्ट नही हैं, लेकिन आपको विश्वास हैं की वो सही सलाह देगा। इसी प्रकार आपके कुल देव या कुल देवी आपकी सबसे पहले रक्षा करते हैं, जब आप कोई समस्या मै हो तो हम घर के किसी सदस्य को बीमारी बताते या मोहल्ले मे बताते हैं सोचो? जब हम अपने जन्म के धर्मानुसार देवता का नामजप करते हैं अथवा अपने कुलदेवी/देवता का नामजप करते हैं, तो यह हमें सर्व ईश्‍वरीय तत्त्वों को आकृष्ट करने की क्षमता देता है साथ ही उन्हें ३० प्रतिशत तक बढाता है । यदि किसी अन्य देवता का नामजप किया जाए, तो केवल उस देवता द्वारा प्रतिनिधित्व किए जानेवाले तत्त्वों का संवर्धन होगा किन्तु वह आध्यात्मिक उन्नति में प्रभावी रूप से सहायक नहीं होगा । अतएव यह अपने कुलदेवता के नामजप की भांति अथवा जन्मगत धर्मानुसार देवता के नामजप की भांति प्रभावी नहीं होता । यदि हमे अपने कुल देव का ज्ञात नही हो तो इस स्थिति मै आप किसी एक ईश्वर को अपना ईष्ट देव को अपना कुल देव मानकर पूजा ,ध्यान कर सकते हो । दरअसल इस लेख को लिखने का अभिप्राय ये हैं की हम सभी आज भी मन की शान्ति के लिये कभी इधर कभी उधर भटक रहे हैं, मन की शान्ति कंही बाजार मै नही मिलती,वो मन मे ही व्याप्त हैं । इसी प्रकार हम भगवान की खोज उनका आशीर्वाद पाने के लिये मन्दिर दर मन्दिर भटक रहे हैं । जो एक अपना हैं, जो कुल देव या इष्ट देव हैं उनके ना हम समझ पा रहे ना ही उनके प्रति हमारी अटूट श्रद्धा या विश्वास रहा ।जब ये विश्वास, श्रद्धा बन जायगी तो आपको आशीर्वाद के साथ सन्तुष्टि और शान्ति दोनों मिल जायगी ।मेरा फिर ये कहने का अभिप्राय हैं की आप रोज हजारो मन्दिर जाओ, लाखो भगवान की पूजा करो, पर एक जो हमारा कुल देव या फिर ईष्ट देव हैं सर्वप्रथम उसे नमन करो । क्योंकि पिता तो पिता ही होता हैं ।