नवरात्रि में कन्या पूजन विशेष🔸 Jyotish Acharya Dr Umashankar Mishra 9415 087 711 🎍नवरात्रि का हवन जो लोग अश्टमी में करना हो 24 को करे जो लोग नवमी को कराना चाहते है 25 को करे🎍 🔸नवरात्र पर्व के दौरान कन्या पूजन का बडा महत्व है। 🔸नौ कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिविंब के रूप में पूजने के बाद ही भक्त का नवरात्र व्रत पूरा होता है। 🔸अपने सामर्थ्य के अनुसार उन्हें भोग लगाकर दक्षिणा देने मात्र से ही मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं और भक्तों को उनका मनचाहा वरदान देती हैं। 🔸कन्या पूजन के लिए निर्दिष्ट दिन🔸 🔸कुछ लोग नवमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं लेकिन अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ रहता है। कन्याओं की संख्या 9 हो तो अति उत्तम नहीं तो दो कन्याओं से भी काम चल सकता है। 🔸इस वर्ष अष्टमी तिथि को लेकर लोगो के मन मे कई भ्रांतियां है इसके समाधान हेतु दोबारा अष्टमी तिथी का शात्रोक्त निर्णय प्रेषित कर रहे है 🔸"चैत्र शुक्लाष्टमयां भावान्या उत्पत्ति:, तत्र नावमीयुता अष्टमी ग्राह्या।"🔸 🔸यदि दूसरे दिन अष्टमी नवमीविधा ना मिले, यानी यह वहां त्रिमुहूर्ताल्प हो तो दुर्गाष्टमी पहले दिन होगी। 🔸अतः अष्टमी के दिन कन्या पूजन करने वाले 24 अक्टूबर को करे एवं 🔸नवमी के दिन करने वाले 25 अक्टूबर के दिन करें निसंकोच होकर अपने कर्म कर सकते है मन से किसी भी प्रकार के संशय भय की हटा दें माता केवल अपनी संतानों का कल्याण ही करती है। 🔸पूजा पाठ में शुद्धि के साथ भाव को प्रधान माना गया है। 🔸कन्या पूजन विधि🔸 🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹 🔸सबसे पहले कन्याओं के दूध से पैर पूजने चाहिए. पैरों पर अक्षत, फूल और कुंकुम लगाना चाहिए। इसके बाद भगवती का ध्यान करते हुए सबको भोग अर्पित करना चाहिए अर्थात सबको खाने के लिए प्रसाद देना चाहिए। अधिकतर लोग इस दिन प्रसाद के रूप में हलवा-पूरी देते हैं। जब सभी कन्याएं खाना खा लें तो उन्हें दक्षिणा अर्थात उपहार स्वरूप कुछ देना चाहिए फिर सभी के पैर को छूकर आशीर्वाद ले। इसके बाद इन्हें ससम्मान विदा करना चाहिए। 🔸नवरात्र पर्व कितनी हो कन्याओं की उम्र🔸 🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹 🔸ऐसा माना जाता है कि दो से दस वर्ष तक की कन्या देवी के शक्ति स्वरूप की प्रतीक होती हैं. 🔸कन्याओं की आयु 2 वर्ष से ऊपर तथा 10 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। 🔸दो वर्ष की कन्या कुमारी , 🔸तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति , 🔸चार वर्ष की कन्या कल्याणी , 🔸पांच वर्ष की कन्या रोहिणी, 🔸छह वर्ष की कन्या कालिका , 🔸सात वर्ष की चंडिका , 🔸आठ वर्ष की कन्या शांभवी , 🔸नौ वर्ष की कन्या दुर्गा तथा 🔸दस वर्ष की कन्या सुभद्रा मानी जाती है। इनको नमस्कार करने के मंत्र निम्नलिखित हैं। 🔸1. कौमाटर्यै नम: 🔸2. त्रिमूर्त्यै नम: 🔸3. कल्याण्यै नम: 🔸4. रोहिर्ण्य नम: 🔸5. कालिकायै नम: 🔸6. चण्डिकार्य नम: 🔸7. शम्भव्यै नम: 🔸8. दुर्गायै नम: 🔸9. सुभद्रायै नम:। 🔸नौ देवियों का रूप और महत्व 🔸 🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹 🔸1. हिंदू धर्म में दो वर्ष की कन्या को कुमारी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इसके पूजन से दुख और दरिद्रता समाप्त हो जाती है। 🔸2. तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति मानी जाती है. त्रिमूर्ति के पूजन से धन-धान्य का आगमन और संपूर्ण परिवार का कल्याण होता है। 🔸3. चार वर्ष की कन्या कल्याणी के नाम से संबोधित की जाती है. कल्याणी की पूजा से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। 🔸4. पांच वर्ष की कन्या रोहिणी कही जाती है, रोहिणी के पूजन से व्यक्ति रोग-मुक्त होता है। 🔸5. छ:वर्ष की कन्या कालिका की अर्चना से विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्ति होती है। 🔸6. सात वर्ष की कन्या चण्डिका के पूजन से ऐश्वर्य मिलता है। 🔸7. आठ वर्ष की कन्या शाम्भवी की पूजा से वाद-विवाद में विजय होती है। 🔸8. नौ वर्ष की कन्या को दुर्गा कहा जाता है. किसी कठिन कार्य को सिद्धि करने तथा दुष्ट का दमन करने के उद्देश्य से दुर्गा की पूजा की जाती है। 🔸9. दस वर्ष की कन्या को सुभद्रा कहते हैं. इनकी पूजा से लोक-परलोक दोनों में सुख प्राप्त होता है। 🙏।। जयति जय जय माँ नवदुर्गा माता ।।🙏 Jyotish AVN Vastu expert Dr Umashankar Mishra Siddhivinayak Jyotish AVN vastu Anusandhan Kendra Vibhav khand 2 Gomti Nagar AVN vedraj complex purana RTO Chauraha latouche Road Lucknow 941 5087 7119 2357 22996