अंगारक योग.... Aaj angarak vinayaki Ganesh Chaturthi hi अंगारक चतुर्थी Jyotish Acharya Dr Uma Shankar Mishra 9415 087 711 923 5722 996 हर माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए विनायकी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। यदि यह व्रत मंगलवार को आता है, तो इसे अंगारक विनायकी चतुर्थी कहते हैं। अंगारकयोगक्या_होता ? जब कुंडली में राहु अथवा केतु में से किसी एक के साथ अथवा दृष्टि से मंगल ग्रह का संबंध बन जाए तो उस कुंडली में अंगारक योग का निर्माण होता है। कुंडली में अंगारक योग के अशुभ फल तभी प्राप्त होते हैं जब इस योग का निर्माण करने वाले मंगल, राहु या केतु दोनों ही अशुभ स्थान में हों। इसके अलावा यदि कुंडली में मंगल तथा राहु-केतु में से कोई भी शुभ स्थान में है तो जातक के जीवन पर अधिक नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। लाल किताब में अंगारक योग को पागल हाथी या बिगड़ा शेर का नाम दिया गया है। अंगारकदोषसे_प्रभावित जातक अंगारक योग की पहचान जातक के व्यवहार से ही की जा सकती है। इसके प्रभाव में जातक अत्यधिक क्रोध करने लगता है। वह अपना कोई भी निर्णय लेने में असक्षम होते हैं लेकिन यह जातक न्यायप्रिय होते हैं। स्वभाव से यह जातक सहयोगी होते हैं। इस योग के प्रभाव में जातक सरकारी पद पर नियुक्त अथवा प्रशासनिक अभिकर्ता बनता है। अंगारकदोषके_प्रभाव अंगारक योग, जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है यह अग्नि का कारक है। कुंडली में इस योग के बनने पर जातक क्रोध और निर्णय न कर पाने के असमंजस में फंसा रहता है। अंगारक योग के कारण क्रोध, अग्निभय, दुर्घटना, रक्त से संबंधित रोग और स्किन की समस्याएं मुख्य रूप से होती हैं। अंगारक योग शुभ और अशुभ दोनों तरह का फल देने वाला होता है। कुंडली में इस योग के बनने पर जातक अपने परिश्रम से नाम और पैसा कमाता है। इस योग के प्रभाव में व्यक्ति के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते हैं। क्याहानिहोती_है ? अंगारक योग के कारण जातक का स्वभाव आक्रामक, हिंसक तथा नकारात्मक हो जाता है तथा इस योग के प्रभाव में जातक के अपने भाईयों, मित्रों तथा अन्य संबंधियों से अनबन रहती है। अंगारक योग होने से धन की कमी रहती है। इसके प्रभाव में जातक की दुर्घटना की संभावना होती है। वह रोगों से ग्रस्त रहता है एवं उसके शत्रु उन पर काले जादू का प्रयोग करते हैं। व्यापार और वैवाहिक जीवन पर भी अंगारक योग का बुरा प्रभाव पड़ता है। अंगारकविनायकीचतुर्थी_व्रत... सुबह स्नान आदि करने के बाद अपनी इच्छा के अनुसार सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। #संकल्प मंत्र के बाद श्रीगणेश की षोड़शोपचार पूजन-आरती करें। गणेशजी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं। गणेश मंत्र (ॐ गं गणपतयै नम:) बोलते हुए 21 दूर्वा दल चढ़ाएं। बूंदी के 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डू मूर्ति के पास रख दें तथा 5 ब्राह्मण को दान कर दें। शेष लड्डू प्रसाद के रूप में बांट दें। #पूजा में श्रीगणेश स्त्रोत, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक स्त्रोत आदि का पाठ करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा देने के बाद शाम को स्वयं भोजन ग्रहण करें। #संभव हो तो उपवास करें। इस व्रत का आस्था और श्रद्धा से पालन करने पर भगवान श्रीगणेश की कृपा से मनोरथ पूरे होते हैं और जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त होगी। #उपाय :- 1- इस योग के प्रभाव को कम करने के लिए इस अंगारक विनायकी चतुर्थी के दिन व्रत रखने से लाभ होगा। 2- इसके साथ इस दिन भगवान शिव के पुत्र कुमार कार्तिकेय की आराधना करें। 3- इस दिन हनुमान जी की आराधना करने से ये दोनों ग्रह पीड़ामुक्त होते हैं। यह एक उत्तम उपाय है। 4- राहु के बीज मंत्र का उच्चारण करना लाभकारी होगा। 5- मंगल और राहु की शांति के लिए निर्दिष्ट दान करना लाभकारी होगा। 6- आवारा कुत्तों को मीठी रोटी खिलाएं। 7- घर पर राहु और मंगल ग्रह की शांति हेतु पूजा रखें। 8- इस दिन बटुक भैरों की पूजा और चालीसा का पाठ करें। 9- इस दिन जातक को ध्यान साधना से लाभ होगा एवं किसी भी प्रकार के विवाद दूर होगें। 10- इस दिन सत्संग का आयोजन करें और अपने गुरु को घर पर बुलाएं। 11- किसी वृद्ध आश्रम में जाकर वृद्धों की सेवा करें। 12- इस दिन गले में चांदी की चेन धारण करने से लाभ होगा। 13- इस दिन हनुमानजी या गणेशजी के मंदिर में 108 सरसों के तेल से दिया जलाने से लाभ होगा।