ग्रहों का हेरफेर करवाता है ट्रांसफर Jyotish Acharya Dr Umashankar Mishra 9415 087 711 923 5722 996 बदलाव प्रकृति का नियम हैं। मौसम बदलने पर पेड़ पौधे, फूल और यहां तक की बाहरी वातावरण में भी परिवर्तन होता है। ठीक इसी प्रकार आधुनिक काल में नौकरी में बदलाव करना कोई नई बात नहीं हैं। फिर भी कभी वेतन की कमी, प्रतिकूल वातावरण, समय पर पदोन्नति ना होना और कार्य से असंतुष्टि की स्थिति, उच्चाधिकारियों से तालमेल ठीक ना बैठने के कारण व्यक्ति को नौकरी में बदलाव और कार्यक्षेत्र में परिवर्तन की स्थिति से गुजरना ही पड़ता है। नौकरी में बदलाव आर्थिक पक्ष को बेहतर करने के लिए किया जाए तो खुशी देता है, इसके विपरीत इच्छा के विपरीत होने पर स्थिति दु:खद हो जाती है। यह सर्वविदित है कि हम सभी के जीवन की घट्नाएं ग्रह, नक्षत्र और राशियों के द्वारा निर्धारित होती है। व्यक्ति को कब नौकरी मिलेगी, कब पदोन्नति होगी और कब स्थान परिवर्तन होगा यह सब जन्म कुंडली के योगों, दशा और ग्रह गोचर का सूक्ष्म अध्ययन किसी योग्य ज्योतिषी से करा कर किया जा सकता है। आगे बढ़ने से पूर्व आइये पहले नौकरी के भावों और योगों पर एक नजर डालते है- नौकरी में बदलाव के भाव नौकरी में तरक्की के लिए कुण्डली के दूसरे एवं ग्यारहवें भाव का विश्लेषण किया जाता है। इसके साथ ही साथ तरक्की की जानकारी जानने के लिए दशम भाव का विश्लेषण भी किया जाता है। नौकरी में स्थान परिवर्तन के बारे में विचार करना हो तो तीसरे, पंचम, आठवें, नवें और बारहवें का विश्लेषण किया जाता है। विदेश में जाकर नौकरी करने के बारे में जानने के लिए आठवें और बारहवें भाव का विश्लेषण किया जाएगा। बारहवें भाव से सेवानिवृति देखी जाती है या व्यक्ति में नौकरी में बना रहेगा अथवा नहीं रहेगा। ज्योतिषीय योग कुंडली में केंद्र भाव अर्थात पहला भाव, चौथा भाव, सप्तम भाव तथा दशम भाव पीड़ित हो तो या अशुभ हो तो यह स्थानांतरण दर्शाता है। यदि किसी जातक की लग्नेश की, दशमेश की तथा उच्च के ग्रह की दशा चल रही हो तो उसमे भी स्थानांतरण हो सकता है। यदि लग्न से दशम भाव में नीच का ग्रह या अस्त ग्रह बैठा हो तथा उसकी दशा या अन्तर्दशा चल रही हो तो नौकरी में बाधा उत्पन्न होती है। यदि किसी जातक की कुंडली में चौथा भाव प्रभावित है तो यह स्थानांतरण का संकेत है। यदि लग्न से दशम तथा दशमांश कुंडली में दशम भाव में स्थित ग्रह, केंद्र या त्रिकोण से सम्बन्ध बनाए तथा वह पाप ग्रह हो तब उसकी दशा में भी नौकरी में रूकावट आती है और स्थानांतरण की सम्भावना होती है। यदि किसी कुंडली में सूर्य नीच का होकर केंद्र या त्रिकोण में स्थित हो तथा अशुभ ग्रहों से दृष्टि हो तो नौकरी में स्थानांतरण होता है। दशमेश यदि तृतीय भाव में चला जाए तो व्यक्ति के सहयोगी उसके खिलाफ हो जाते हैं और वह ग्रह नकारात्मक प्रभाव देता है। नौकरी में बदलाव अच्छा होगा या हमारी इच्छा के विरुद्ध होगा यह जानने के लिए लग्न, १०, ४, ३, १२ और ६वां भाव तथा भावेशों को देखा जाता है। इसके पश्चात गोचर में ग्रहों की स्थिति को देखना होता है गोचर में प्रमुख ग्रहण शनि तथा मित्र ग्रह शुक्र बुध राहु से पहला भाग दूसरा भाव छठा भाव नवा भाव दसवां भाव 11 भाव इनसे अगर नव-पंचम योग करता है तब अनुकूल स्थान पर ट्रांसफर होता है। गोचर के गुरु ग्रह को भी जन्म कुंडली में देखना होता है अगर गुरु ग्रह जन्म कुंडली के दशम भाव पर स्थित राशि पर से भ्रमण करता है तो अनुकूल स्थानांतर इस समय होता है। इस तरह से कुंडली में महादशा अंतर्दशा ऊपर बताए हुए ग्रहो की चलती है अर्थात ऊपर बताए हुए भावों के स्वामियों की जब महादशा अंतर्दशा चलती है उस समय उनके संबंध एक दूसरे से बनते हैं तब ट्रांसफर के योग बनते हैं। कुंडली में शनि इसका कारक है अतः शनि की स्थिति पर देखते हैं साथ-साथ में ऊपर बताए गए भाव तथा उनके स्वामियों को वर्ग कुंडलियों में भी देखते हैं। मुख्य रूप से तीसरा भाव और 12th भाव तबादले में मुख्य भूमिका निभाते हैं तथा इनके तीसरे भाव और बारहवें भाव के स्वामियों के बीच में अगर संबंध स्थापित होते हैं तब ट्रांसफर के योग बनते हैं ऊपर बताए भावो का अगर चौथा भाव प्रभावित होता है तो नौकरी में स्थान परिवर्तन होता है और वह सुखदाई होता है। पदोन्नति के लिए सातवें भाव को देखा जाता है और आर्थिक लाभ के लिए अगर उनके धन भाव और लाभभाव से संबंध बनता है तो वह हमें आर्थिक लाभ दिलाता है।