राहु का 🚩
💚 #वैवाहिक ❤️ #जीवन ❤️ पर #प्रभाव 💙
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*राहु ग्रह को वैदिक ज्योतिष में सबसे ज्यादा पापी ग्रह माना गया है । ये एक मलेछ ग्रह है मलेछ अर्थात ऐसे स्थान जो गन्दगी से भरे हों। राहु का हमारे मस्तिष्क पर बहुत ज्यादा प्रभाव होता है राहु एक naughty यानी शैतान शरारती ग्रह है।राहु आपकी पत्रिका में किस भाव में विराजमान है ?यदि केंद्र स्थानों में वो शुभ ग्रहों के साथ विराजमान है तो शुभ फल देता है इस के विपरीत अगर अशुभ ग्रहों के साथ या अशुभ राशियों में हो तो अशुभ फल देने वाला है। अब इस में भी बहुत सी placements ऐसी है जहां राहु बहुत ज्यादा खराब है और कहीं पर राहु बहुत ज्यादा खराब नहीं है जैसे 3सरे भाव में राहु को खराब नहीं कहा जाता क्योंकि ये कहीं न कहीं जातक को बिजनेस में ऊंचाइयां देता है और इसी भाव का राहु जातक को जरूरत से ज्यादा चालाक एवम बड़े बोल बोलने वाला बनाता है।
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सप्तम भाव मे राहु का होना या सप्तम भाव से प्रभाव होना सबसे ज्यादा विवाहेतर सम्बन्धों extra merital affairs का कारक है अष्टम भाव का राहु भी विवाहेतर सम्बन्धों के चांस को बढ़ाता है। सातवें भाव में विराजित राहु femous life partner भी देता है,जीवन मे नए नए अनुभव experience के लिए प्रेरित भी करता है। यहां राहु का मतलब बेहतर से बेहतर स्तिथि को ढूंढना होता है जो जातक को एक रिश्ते relationship में नहीं रहने देता। राहु जातक को extreme level पर पहुचाने की कोशिश जरूर करता है लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं कि बेटर placement देकर जातक को एक अच्छे जीवन साथी से मिलाएं। राहु फिजीकेल्टी को भी रिप्रेजेंट करता जैसे कि जो दिखता है वो होता नहीं और जो होता है वो दिखता नहीं।
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यदि आपकी कुंडली में भी राहु अशुभ है या अशुभ फल दे रहा है तो अपनी कुंडली का विश्लेषण करवा कर सटीक उपायों को करने से आप राहु के अशुभ प्रभाव से बच सकते हैं!
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