Aaj Ganesh Chaturthi 2020 Date, Puja Vidhi, Muhurat: माता पार्वती के शरीर से निकले मैल से हुआ था गणेश जी का जन्म
Aaj Ganesh Chaturthi 2020 Date, Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Timings in India (गणेश चतुर्थी 2020 ): भगवान गजानन सभी जीवों पर दया करते हैं, उनके जीवन से सभी दुखों और कष्टों को हर लेते हैं।
गणेश जी को विघ्नहर्ता माना गया है। वह देवताओं में प्रथम पूजनीय हैं।
**ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा *9415087711 9235 722 996
Ganesh Chaturthi 2020 Date, Puja Vidhi, Muhurat, Timings: गणेश चतुर्थी 2020 (Ganesh Chaturthi 2020) भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। इस साल Aaj गणेश चतुर्थी 22 अगस्त यानी शनिवार को मनाई ja rahi hai। यह दिन भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन लोग अपने घरों या मोहल्लों में गणेश जी की प्रतिमा लेकर आते हैं। निश्चित दिनों के लिए उनकी सेवा कर कुछ दिन बाद उनका विसर्जन करते हैं। 10 दिन तक चलने वाला यह गणेशोत्सव 1 सितंबर को पूर्ण होगा। जो लोग 10 दिन तक भगवान गणेश की उपासना करने में अक्षम है वह 1 दिन, 3 दिन, 5 दिन या 7 दिन के लिए भी भगवान गणेश को स्थापित कर सकते हैं।
गणेश चतुर्थी का इतिहास (Ganesh Chaturthi History/ Why Ganesh Chaturthi is celebrated): पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक एक दिन भगवान शिव भोगवती नामक स्थान पर गए। देवी पार्वती कैलाश पर अकेली थीं। उस समय उनके मन में संतान की इच्छा उत्पन्न हुई। उन्होंने अपने शरीर का मैल एकत्र किया। उस मैल से एक बालक का शरीर बना कर उसकी प्राण प्रतिष्ठा की। देवी ने उस बालक को कहा कि आज से तुम मेरे पुत्र हो। अब मैं स्नान के लिए अंदर गुफा में जा रही हूं। तुम किसी भी पुरुष को भीतर ना आने देना।
देवी पार्वती की आज्ञा मानकर गणेश गुफा के बाहर पहरा देने लगे। तभी भगवान शिव भोगवती से लौटकर कैलाश आए। जब भगवान शिव ने गुफा के भीतर जाना चाहा तो गणेश ने उनका रास्ता रोका। देवी पार्वती से मिलने से रोकने के कारण भगवान शिव गणेश पर क्रोधित हो गए। गणेश से कहा कि मुझे भीतर जाने दो वरना मैं तुम्हारा शीश तुम्हारे शरीर से अलग कर दूंगा। इसके बावजूद गणेश जी भगवान शिव का रास्ता रोक कर खड़े रहे।
भगवान शिव ने इससे क्रोधित हो अपने त्रिशूल से गणेश जी का शीश उनके शरीर से अलग कर दिया। देवी पार्वती को जब इस घटना की सूचना मिली तो वह रोती हुई भगवान शिव के पास आईं और बोली – हे भगवन, आपकी अनुपस्थिति में मैंने अपने मैल से एक बालक की रचना की थी। आपने उसका शीश क्यों काट दिया।
भगवान शिव को जब यह पता चला तो उन्होंने अपने गणों को आज्ञा दी कि जो भी माता अपने बालक की ओर पीठ कर सो रही हो। उसके बालक का शीश ले आओ। जंगल में एक हथिनी अपने बच्चे की ओर पीठ कर सो रही थी। भगवान शिव के गण हाथी का शीश लेकर कैलाश पहुंच गए। तब हाथी का शीश लगाकर भगवान शिव ने गणेश चतुर्थी जी को जीवित किया। तब से ही भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है।
गणेश चतुर्थी का महत्व (Ganesh Chaturthi Ka Mahatva/ Ganesh Chaturthi importance):भगवान गजानन सभी जीवों पर दया करते हैं। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को अपने घर या मोहल्ले में विराजमान कर उनकी उपासना करता है, भगवान गणेश उनके जीवन से सभी दुखों और कष्टों को हर लेते हैं। गणेश जी को विघ्नहर्ता माना गया है। वह देवताओं में प्रथम पूजनीय हैं। कहते हैं जो भी व्यक्ति भगवान गणेश का पूजन करता है उसके जीवन में शुभता का वास होने लगता है।
ऐसे व्यक्ति के घर परिवार में कभी दरिद्रता नहीं आती है। गणेश जी की कृपा से उनकी आराधना करने वाले घरों में सदा मांगलिकता रहती है। किसी भी प्रकार का दुख, परेशानी, असफलता और कठिन परिस्थितियां ऐसे परिवार में नहीं आती हैं, जो गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का पूजन करते हैं।
कोरोना काल में गणेश चतुर्थी
हिन्दू पंचांग के अनुसार गणेश जन्मोत्सव हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। लेकिन इस साल की बात कुछ अलग है क्योंकि इस समय कोरोना वायरस से पूरी दुनिया प्रभावित है। वायरस की रोकथाम के लिए लोग सामाजिक दूरियां बना रहे हैं। ऐसे में आप गणेश उत्सव पर सामूहिक कार्यक्रम में हिस्सा न लेकर स्वयं ही अपने घर पर विधिनुसार गणपति बप्पा को स्थापित कर सकते हैं।
ये हैं गणेश पूजा के शुभ मुहूर्त
Pahla muhurt - पूजा का शुभ मुहर्त Subah 6 baje se 9:00 Baje ke Madhya 2 dusra muhurt-- पूर्वाह्न 11 बजकर सात मिनट से दोपहर एक बजकर 42 मिनट तक
Teesra muhurt शाम चार बजकर 23 मिनट से सात बजकर 22 मिनट तक
Chautha muhurt रात में नौ बजकर 12 मिनट से 11 बजकर 23 मिनट तक है।
गणपति के पसंदीदा मोदक
गणेशजी को मोदक के लड्डू बड़े प्रिय हैं. मोदक भी कई तरह के बनते हैं. महाराष्ट्र में खासतौर पर गणेश पूजा के अवसर पर घर-घर में तरह-तरह के मोदक बनाए जाते हैं.
प्रत्येक माह की चतुर्थी भगवान गणेश की होती है पूजा
भगवान गणेश Aaj Chaturthi 2020) को हिंदू धर्म में प्रथम पूजनीय माना जाता है. किसी भी शुभ कार्य में सबसे पहले गणेश जी की ही पूजा की जाती हैं. ग्रह प्रवेश और भूमि पूजन से पहले हर बार गणपति को पहले पूजा जाता है. शास्त्रों में वैसे तो हर माह चतुर्थी को गणेश जी की पूजा का विधान है, लेकिन भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को देश भर में धूम धाम से मनाई जाती है.
बाल गंगाधर तिलक ने की शुरुआत...
पौराणिक कथाओं के अनुसार गणेश चतुर्थी को उत्सव के रूप में मनाना छत्रपति शिवाजी महाराज के कार्यकाल में शुरू हुआ था। उन्होंने लोगों के दिलों में देशभक्ति और संस्कृति को जीवित रखने के लिए इस त्योहार की शुरुआत की। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान बाल गंगाधर तिलक ने लोगों को एकजुट करने के लिए इसे बड़े स्तर पर मनाना शुरू किया।
गणेश चतुर्थी को चंद्र दर्शन न करें
गणेश चतुर्थी के दिन भूलकर भी चंद्रमा के दर्शन न करें। यदि आपने इस दिन चंद्रमा का दर्शन कर लिया तो आप पर कलंक या गलत आरोप लग सकता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, गणेश चतुर्थी को चंद्रमा दर्शन के कारण ही भगवान कृष्ण पर स्यमंतक मणि चोरी करने का मिथ्या आरोप लगा था।
मिट्टी के गणेशजी की होती है स्थापना
गणेशजी की पूजा सभी देवताओं में सबसे सरल मानी जाती है। गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के दिन घर-घर में मिट्टी के गणेशजी स्थापित किए जाते हैं। मान्यता है कि हमारा शरीर पंचतत्व से बना है और उसी में विलीन हो जाएगा। इसी मान्यता के आधार पर गणपतिजी को अनंत चौदस Anant Chaturdashi के दिन विसर्जित कर दिया जाता है।
कब से लग रही है चतुर्थी
चतुर्थी का आरंभ भाद्रमास के शुक्ल पक्ष की तृतीया यानी शुक्रवार से ही मध्यरात्रि एक बजकर 59 मिनट से Hi Lag Gai Hai और फिर चतुर्थी 22 अगस्त की रात को 11 बजकर 35 मिनट तक होगा। माना जाता है कि गणेशजी का जन्म मध्याह्न में हुआ था, इसलिए गणेशजी की पूजा भी दोपहर में की जाती है। गणेश जी को बुद्धि, विवेक, धन-धान्य, रिद्धि-सिद्धि का कारक माना जाता है। गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) पर उनकी पूजा करने से शुभ लाभ की प्राप्ति होती है और समृद्धि के साथ धन वृद्धि भी होती है।
सभी संकट हर लेते हैं बप्पा
मान्यता है कि जिन घरों में बप्पा का स्वागत किया जाता है और 10 तक उनकी पूजा होती है, उन घरों पर बप्पा की विशेष कृपा होती है और उन घरों में कभी संकट नहीं आता। गणेशजी की कृपा से सभी कार्य बिना किसी बाधा के पूर्ण होते हैं। सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
10 दिन तक चलता है यह उत्सव
भाद्रमास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी arthat Aaj से आरंभ होकर यह उत्सव 10 दिन तक यानी अनंद चौदस Anant Chaturdashi तक चलता है। चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा घर-घर विराजते हैं और 10 दिन बाद बप्पा को विदा करके मूर्ति विसर्जन कर दिया जाता है। मगर आजकल लोग अपनी क्षमता के अनुसार बप्पा को 2 या 3 दिन की पूजा के बाद विदा कर देते हैं। गणेश चतुर्थी की पूजा अक्सर सभी घरों में दोपहर में की जाती है।
Ganesh चतुर्थी और क्या हैं इससे जुड़ी मान्यताएं
इस बार गणेश चतुर्थी Aaj 22 अगस्त, शनिवार को मनाई जा रही है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेशजी का जन्म हुआ था। इस उपलक्ष्य में हर साल गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व की सबसे ज्यादा धूम महाराष्ट्र में देखने को मिलती है। मगर इस बार कोरोना के चलते सबसे ज्यादा प्रभावित इस राज्य में त्योहार का रंग कहीं फीका न पड़ जाए।
गजानन की कथा-
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती स्नान के लिए चली गईं और उन्होंने द्वार पर गणेश जी को बैठा दिया। माता पार्वती ने गणेश जी से कहा था कि जब तक उनकी इजाजत न हो, वह किसी को अंदर न आने दें। तभी वहां पर भगवान शिव का आगमन हुआ। भगवान शिव ने प्रवेश की कोशिश की तो गणेश जी ने उन्हें रोक दिया। इस बात से क्रोधित होकर भगवान शिव ने गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया। जब माता पार्वती बाहर निकलीं तो यह देखकर व्याकुल हो उठीं और उन्होंने भगवान शिव से गणेश जी को बचाने के लिए कहा। तब भगवान शिव ने गणेश जी को हाथी का सिर लगा दिया।
इस तरह से मनाएं गणेश उत्सव
हर साल गणेश चतुर्थी का त्योहार भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन मनाया जाता है। यह दिन गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, माना जाता है कि इसी दिन भगवान गणेश की उत्पत्ति हुई थी। गणेश जी को सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय माना गया है। इस दिन गणपति बप्पा को अपने घर में लाकर विराजमान करने से वे अपने भक्तों के सारे विध्न, बाधाएं दूर करते हैं। इसलिए गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। गणेश चतुर्थी को लोग गणेश जी को अपने घर लाते हैं, गणेश चतुर्थी के ग्यारहवें दिन धूमधाम के साथ उन्हें विसर्जित कर दिया जाता है और अगले बरस जल्दी आने की प्रार्थना करते हैं गणपति जी को अपने घर में किसी तरह की कोई कमी नहीं रहती है।
गणेश चतुर्थी पूजा विधि
- गणेश चतुर्थी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नानादि करें
- धूमधाम के साथ गणेश जी की प्रतिमा को लाकर विराजमान करें।
- गणेश जी की प्रतिमा को किसी चौकी पर आसन लगाकर स्थापित करें।
- साथ ही एक कलश में सुपारी डाल कर किसी कोरे (नए) कपड़े में बांधकर रखें।
- भगवान गणेश को स्थापित करने के बाद पूरे परिवार सहित उनकी पूजा करें।
- सिंदूर और दूर्वा अर्पित करें।
गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त:
गणेशजी का जन्म दोपहर को हुआ था, इसलिए गणेश चतुर्थी की पूजा हमेशा दोपहर के मुहूर्त में की जाती है। चतुर्थी तिथी 21 अगस्त की रात 11. 59 बजे से शुरू होकर 22 अगस्त को Ratri 11. 35 बजे तक रहेगी। गणेश चतुर्थी पूजन का sabse mahatvpurn शुभ मुहूर्त सुबह 10.46 से दोपहर 1.57 बजे तक रहेगा।
प्रथम पूजनीय गणेश:
गणेशजी को प्रथम पूजनीय कहा जाता है, क्योंकि किसी भी शुभ कार्य में पहले श्रीगणेश की पूजा की जाती है। भक्तगण वैसे तो सालभर बप्पा की पूजा करते हैं, लेकिन बुधवार और चतुर्थी को गणपति की पूजा का विशेष महत्व है।
महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा धूम:
गणेशोत्सव मनाया तो पूरे देश में जाता है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा माहौल महाराष्ट्र में देखने को मिलता है। मुंबई में कई स्थानों पर भव्य गणेश पंडाल स्थापित किए जाते हैं। 'लालबाग चा राजा' पंडाल की ख्याति दुनियाभर में फैली हुई है। इसकी शुरुआत 1934 में हुई थी।
कैसे शुरुआत हुई गणेशोत्सव की:
पौराणिक कथाओं के अनुसार गणेश चतुर्थी को उत्सव के रूप में मनाना छत्रपति शिवाजी महाराज के कार्यकाल में शुरू हुआ था। उन्होंने लोगों के दिलों में देशभक्ति और संस्कृति को जीवित रखने के लिए इस त्योहार की शुरुआत की। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान बाल गंगाधर तिलक ने लोगों को एकजुट करने के लिए इसे बड़े स्तर पर मनाना शुरू किया।
*ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा * 9415087711 923 5722 996 astrovinayakam.com
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