आप का गृहस्थ जीवन आनंदमय और मंगलमय हो. ((Jyotishacharya Dr Umashankar Mishra-9415087711))- सानन्दं सदनं सुताश्च सुधियः,कान्ता न दुर्भाषिणी, सन्मित्रं सुधनं स्वयोषिति रतिश्चाज्ञापराः सेवकाः । आतिथ्यं हरिपूजनं प्रतिदिनं,मिष्टान्नपानं गृहे साधोः सङ्गमुपासते हि सततं,धन्यो गृहस्थाश्रमः ।।" भावार्थ घर में आनन्द का वातावरण हो, पुत्र बुद्धिमान हों,पत्नी प्रिय बोलने वाली हो,मित्र सज्जन हों,धर्मोपार्जित धन हो,अपनी पत्नी में प्रेम हो,सेवक आज्ञापालक हो,अतिथि सत्कार हो,प्रतिदिन ईश्वर-पूजन होता हो,भोजन-जल में माधुर्य हो और निरन्तर-सत्पुरुषों का संग हो,ऐसा *गृहस्थाश्रम*धन्य है. दिन_शुभ_हो. हार्दिक शुभकामनाएं.