वर्तमान समय में कुछ लोग आपसी वैरभावना मे शत्रुभाव रखते हुए अपने प्रतिद्वंदी या जिसे वो अपना शत्रु मानते है उन पर तंत्र प्रयोग करवा कर उनका अहित करने का प्रयास करते है, और कुछ लोभी तंत्र के जानकार चंद रुपयों की लालच में उनका साथ देते हुए तंत्रक्रिया कर देते है ((jyotishacharya Dr Umashankar mishr-9415087711)) जिससे सामने वाले व्यक्ति को और उसके परिवार को धन, स्वास्थ, व्यवसाय, नौकरी मे हानि होती है, घर में अशांति, कलह होने लगता है, और संतान उत्पत्ति में बाधा एवम अकाल मृत्यु तक हो जाती है । अगर किसी को लगता है कि उसके परिवार में ऐसा हो रहा है तो वो किसी योग्य तंत्र जानकर से संपर्क कर के निवारण करवाए, क्योंकि जितना लेट होता है हानि उतनी अधिक होती हे और तंत्र को काटने में अधिक व्यय और समय लगता है । और स्वम भी कुछ कार्य कर सकते है, जो मेरे अनुभूत हूं । किसी भी मां काली के मंदिर में रोज शाम को चौमुखी सरसो के तेल का दीपक 2 फूल वाली लौंग डाल कर प्रज्वलित करिए, और गुड़हल या लाल फूल की माला अर्पण करके अपनी समस्या का निवारण के लिए मां से प्रार्थना किजिए, शनिवार को गुड़हल के साथ मां को नीबू की माला भी अर्पण करे । नित्य अपने गुरुमंत्र एवम मां काली के मंत्र का जप किजिए, साथ में अपने इष्ट, भैरव जी और हनुमान जी की भी सेवा करना चाहिए । प्रत्येक दिन प्रातः एवम संध्या को घर एवम अपने व्यवसाय के स्थान में गुग्गल की धूनी दीजिए, प्रातः देशी गाय के मूत्र का छिड़काव कीजिए । प्रत्येक दिवस या शनिवार को मां को अपने सामर्थ्य अनुसार दूध से निर्मित मिष्ठान या इमारती का भोग लगा कर प्रसाद कुत्तों को खिला दीजिए । नित्य अपने घर और व्यवसाय स्थल के पूजा स्थल पर मिट्टी के पात्र या किसी कटोरी में देशी कपूर के ऊपर 2 फूल की लौंग रख कर भगवती को स्मरण कर प्रज्वलित कर दीजिए । यदि परिवार में कोई सदस्य बीमार रहता हो तो वो प्रत्येक दिवस सुबह 1 रोटी में थोड़ा सा गुड़ रख कर किसी देशी गाय को अपने हांथ से खिलाए जिससे गाय की जीभ उसके हांथ को छू जाए । नित्य चींटीयो को चीनी आटा मिलाकर कर, कुत्ते एवम गाय को रोटी, पंक्षियो को दाना और मछली को आटे की गोली डालने से शत्रु दमन एवम पितृ शांति होती है । मंदिर, गुरु, साधू, वेदपाठी कर्मकांडी ब्राह्मण, दरिद्र, याचक, को दान एवम स्त्री, बुजुर्ग का सम्मान भी अनेक विपदाओं से मुक्ति दिलाता है । पीपल के पेड़ के नीचे संध्या समय दीपक प्रज्वलित करने से पितृ एवम लक्ष्मी माता प्रसन्न होते है, रविवार को दीपक नही लगाए क्योंकि रविवार को पीपल पर दरिद्रता देवी का वास रहता है । श्राद्धपक्ष एवम प्रत्येक अमावस्या को अपने पितृदेवो के लिए भोजन अवस्य निकालना चाहिए । अपनी कुलदेवी- कुलदेव की पूजा अपने परिवार की परम्परा अनुसार अवस्य करना चाहिए, जिस व्यक्ति से पितृदेव एवम कुलदेवी प्रसन्न होते है उनके परिवार पर एक सुरक्षा कवच बन जाता है, जिससे तंत्रक्रिया असर नहीं करती अगर करती भी है तो अधिक हानि नहीं कर पाती । यदि मुस्लिम तंत्र की आशंका हो तो किसी योग्य जानकर व्यक्ती से वराह दंत अभिमंत्रित करा कर पुरे परिवार को धारण करना चाहिए । अपने संस्कार, संस्कृति भुला कर ईश्वर, किस्मत को दोष देता है तू । सेवा, सद्कर्म करना शुरू कर पगलु अच्छे दिन फिर तेरे वापस आ जायेंगे ।।