**देव दीपावाली *
((Jyotishacharya Dr Umashankar mishr-9415087711))
कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान करने की है परंपरा, इसी तिथि पर विष्णु जी ने लिया था मत्स्य अवतार
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*Aaj 27 नवंबर को कार्तिक माह की अंतिम तिथि पूर्णिमा है। इसे देव दीपावली कहते हैं। इस तिथि पर भगवान विष्णु ने पहला अवतार मत्स्य यानी मछली के रूप में लिया था। उस समय जब जल प्रलय आया था, तब मत्स्य अवतार ने ही पूरी सृष्टि की रक्षा की थी।
माना जाता है कि इस तिथि पर शिव जी ने त्रिपुरासुर नाम के दैत्य का वध किया था, इस कारण इस तिथि को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा को देवताओं की दीपावली कहा जाता है। मान्यता है कि इस तिथि पर सभी देवता दीपोत्सव मनाते हैं।
इस पूर्णिमा पर कार्तिक स्नान समाप्त हो जाएंगे। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने की परंपरा है। सूर्यास्त के बाद पवित्र नदियों में दीपदान किया जाता है। नदी की पूजा, आरती की जाती है। इस पर्व पर हवन और दान-पुण्य करने से अक्षय पुण्य मिलता है।
कार्तिक पूर्णिमा पर करें ये शुभ काम
पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़नी और सुननी चाहि
कार्तिक पूर्णिमा पर नदी स्नान नहीं पा रहे हैं तो घर ही पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान करते समय सभी तीर्थों का और नदियों का ध्यान करना चाहिए।
दिन की शुरुआत सुबह-सुबह सूर्य को जल चढ़ाकर करें। जल तांबे के लोटे से चढ़ाएं। अर्घ्य देते समय सूर्य के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
किसी गोशाला में हरी घास और धन का दान करें। गायों की देखभाल करें।
शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। कर्पूर जलाकर आरती करें। शिव जी के साथ ही गणेश जी, माता पार्वती, कार्तिकेय स्वामी और नंदी की भी विशेष पूजा करें। हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें।
ऐसे कर सकते हैं दीपदान
कार्तिक पूर्णिमा पर नदी किनारे दीपदान करने की परंपरा है। कुछ लोग दीप जलाकर नदी में प्रवाहित भी करते हैं। इसे ही दीपदान कहते हैं।
दीपदान करने से पहले दीपक की पूजा करनी चाहिए और फिर नदी किनारे रखें। अगर घर में दीपदान करना चाहते हैं तो दीपक जलाएं, पूजा करें और घर के आंगन में रखें।
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