कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोत्थान एकादशी या तुलसी विवाह के नाम से जाना जाता है ।इस वर्ष का तुलसी विवाह 23 नवंबर गुरुवार को arthat Aaj है
((Jyotishacharya Dr Umashankar Mishra-9415087711))
पद्म पुराण में इस व्रत के पुण्य को सो राजसूय यज्ञ के बराबर बताया गया है ।इस दिन घर के आंगन में श्री विष्णु के चरणो
की आकृति रंगोली के बीच में बनाई जाती है ।रंगोली पर घी के 11 दिए जलाए जाते हैं तथा रंगोली के बीच में बने श्री विष्णु के चरणों के पास फल मिठाई बेर सिंघाडा गन्ना ऋतुफल इत्यादि रखकर ढक दिया जाता है ।रात्रिकाल में घर के बाहर दिया जलाया जाता है ।इस एकादशी को देवोत्थान या देव उठाओनीएकादशी इसलिए कहते हैं कि इसी तिथि से श्री विष्णु जी अपनी योग निद्रा त्यागते हैं यही कारण है कि इस तिथि
से ही सारे
शुभ कार्य प्रारंभ हो ते हैं श्री विष्णुप्रिया तुलसी का विवाह भी इसी दिन कराया जाता है ।इसके लिए भक्त तुलसी के पौधे को दुल्हन की
तरह सजाते हैं उनके पास घी का दीपक जलाकर श्री विष्णु जी का
पूजन करते हैं।
भक्त ध्यान रखें कि कार्तिक शुक्ल एकादशीवैष्णवों का सर्वप्रमुख पर्व है ।इस दिन किए गए दान भजन पूजन से मोक्ष की प्राप्ति होती है ।
कुछ विशेष नियम —
एकादशी के एक दिन पहले से ही चावल मसूर मूली बैगन तीन तेल का त्याग करना चाहिए ।
एकादशी के दिन किसी जीव को न कष्ट देना चाहिए न मारना चाहिए ।
रात्रिकाल में भूमि शयन चाहिए और बिना तुलसीदल डाले भोजन नहीं करना चाहिए ।
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