नवरात्रि प्रश्नोत्तरी ==((Jyotishacharya Dr Umashankar mishr=9415087711))========== प्र.-- नवरात्रि किस भाषा का शब्द है और इसका क्या अर्थ है? उ--. नवरात्रि संस्कृत भाषा का शब्द है और इसका अर्थ है नौ रातें। प्र--. नवरात्रि वर्ष में कितनी बार आती है? उ--. चार बार, दो नवरात्रि एवं दो गुप्त नवरात्रि। प्र.-- नवरात्रि कौन-कौन से महीने में आती है? उ.-- चैत्र, आषाढ, आश्विन एवं माघ। प्र.-- नवरात्रि कौन से महीने में और गुप्त नवरात्रि कोन से महीने में आती है? उ--. नवरात्रि चैत्र एवं आश्विन महीने में तथा गुप्त नवरात्रि आषाढ़ एवं माघ महीने में आती है। प्र.-- नवरात्रि और गुप्त नवरात्रि में क्या अंतर है? उ.-- नवरात्रि में माता की आराधना, उपासना एवं प्रार्थना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में आध्यात्मिक शक्ति एवं विशेष अनुष्ठान के लिए होती है। प्र--. नवरात्रि में कौन-कौन सी देवी के स्वरूपों की पूजा होती है? उ--. नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों - माँ दुर्गा, महालक्ष्मी और महासरस्वती* के नौ स्वरूपों की पूजा होती है। प्र--. पहले तीन दिन किस माता के स्वरूप की पूजा होती है और किस लिए आराधना की जाती है? उ.-- पहले तीन दिन माँ दुर्गा के स्वरूप की पूजा होती है। अपने अंदर उपस्थित दैत्य, अपने विघ्न, रोग तथा पाप का नाश करने के लिए आराधना की जाती है। प्र.-- चौथे, पाँचवे एवं छठवे दिन किस माता के स्वरूप की पूजा होती है और किस लिए होती है? उ.-- अगले तीन दिन माँ महालक्ष्मी के स्वरूप की पूजा होती है और भौतिकवादी, आध्यात्मिक धन और समृद्धि पाने के लिए आराधना की जाती है। प्र.-- सातवे, आठवे और नववे दिन माँ के किस स्वरूप की पूजा होती है और किस लिए आराधना की जाती है? उ.-- अन्तिम तीन दिन माँ सरस्वती के स्वरूप की पूजा होती है और कला एवं आध्यात्मिक ज्ञान के लिए आराधना की जाती है। प्र--. इन देवियों के नौ स्वरूपों के नाम और उनका क्या अर्थ है? उ--. ०१ शैलपुत्री - इसका अर्थ - पहाड़ों की पुत्री। ०२--. ब्रह्मचारिणी - इसका अर्थ - ब्रह्मचारीणी। ०३--. चन्द्रघण्टा - इसका अर्थ - चाँद की तरह चमकने वाली। ०४.-- कूष्माण्डा - इसका अर्थ - पूरी सृष्टि उनके पाँव में है। ०५--. स्कन्दमाता - इसका अर्थ - कार्तिक स्वामी की माता। ०६.-- कात्यायनी - इसका अर्थ - कात्यायन आश्रम में जन्मि। ०७--. कालरात्रि - इसका अर्थ - काल का नाश करने वाली। ०८--. महागौरी - इसका अर्थ - गौर वर्ण (सफेद रंग) वाली माँ। ०९--. सिद्धिदात्री - इसका अर्थ - सर्व सिद्धि देने वाली। प्र--. हिन्दू धर्म (सनातन धर्म) में नवरात्रि में कंजक पूजन किस आयु की कन्या का होता है? उ--. दो से दस वर्ष की कन्या का पूजन होता है। प्र--. दो से दस वर्ष की कन्याओं का ही पूजन क्यों होता है? उ.-- क्योंकि दो से दस वर्ष की कन्याओं की आत्मा सबसे शुद्ध होती है। उनमें किसी भी प्रकार की हानिकारक भावनाएँ नहीं होती हैं। प्र.-- कन्या पूजन के दिन कन्या के साथ बटुक की पूजा क्यों होती है? उ.-- मान्यताओं के अनुसार कन्याओं के साथ बटुक की पूजा से माँ भगवती प्रसन्न होती है और धन-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती है। प्र--. क्या अलग-अलग आयु की कन्या का पूजन करने का अलग-अलग महत्व है? उ--. मान्यताओं के अनुसार अलग-अलग कन्याओं की पूजन का अलग-अलग महत्व होता है। प्र--. किस आयु की कन्या पूजन का क्या महत्व होता है? उ.-- आयु के अनुसार कन्या पूजन का महत्व इस प्रकार होता है। ०२-- वर्ष- ०२ वर्ष की छोटी कन्या का पूजन करने से दुःख, दरिद्रता और कई प्रकार की समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। साथ ही घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इस आयु की कन्या को कुमारी कहा जाता है। ०३-- वर्ष- ०३ वर्ष आयु की कन्या का पूजन करने से घर-परिवार में शांति आती है और धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है। तीन वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति के नाम से जाना जाता है। ०४-- वर्ष- ०४ वर्ष की कन्या का पूजन करने से व्यक्ति को बहुत लाभ होता है। ऐसा करने से उसे बुद्धि, विद्या और राज सुख की प्राप्ति होती है। इसके साथ ०४ वर्ष की कन्या को देवी कल्याणी का स्वरूप माना जाता है। ०५- वर्ष- शास्त्रों के अनुसार नवरात्र महापर्व में ०५ वर्ष की कन्या का पूजन करने से व्यक्ति को गंभीर रोगों से मुक्ति मिलती है और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। ०५ वर्ष की कन्या को रोहिणी के रूप में जाना जाता है। ०६- वर्ष- नवरात्र में ०६ वर्ष की कन्याओं का पूजन करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। इनकी पूजा करने से शत्रु पर विजय प्राप्त होती है। साथ ही अपारशक्ति की प्राप्ति भी होती है। ०६ वर्ष की कन्या कालिका के रूप में जानी जाती हैं। ०७- वर्ष- नवरात्र महापर्व में ०७ वर्ष की कन्या की उपासना करने से और उन्हें भोग लगाने से धन और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है। ०७ वर्ष की कन्या को चंडिका के रूप में पूजा जाता है। ०८-वर्ष- ०८ वर्ष की कन्याओं का पूजन करने से कोर्ट कचहरी के मामले जल्दी सुलझ जाते हैं और आपसी विवाद से भी मुक्ति प्राप्त होती है शास्त्रों के अनुसार 8 वर्ष की कन्या को देवी शांभवी का स्वरूप माना जाता है। ०९- वर्ष- मां दुर्गा को समर्पित नवरात्रि महापर्व में अष्टमी अथवा नवमी तिथि को नौ वर्ष की कन्या का पूजन करने से कष्ट, दोष से मुक्ति प्राप्त होती है। साथ ही ऐसा करने से परलोक की प्राप्ति भी होती है। नौ वर्ष की कन्या को स्वयं देवी दुर्गा का रूप माना जाता है। १०- वर्ष- कन्या पूजन के दिन १० वर्षीय कन्या की पूजा करने से सभी बिगड़े काम सफल हो जाते हैं और मनोकामना पूर्ण होती है। इन्हें माता सुभद्रा का स्वरूप माना जाता है।