नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। ऐसे में भक्त पूजा की तैयारियों में जुट गए हैं। मान्यता है कि जो भक्त मां की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करते हैं, तो माता उन्हें आकाल मृत्यु से बचाती हैं। मां की आराधना करने से भक्तों को शत्रुओं का भय नहीं होता है, इसलिए श्रद्धालुओं को इस दिन मां कालरात्रि की विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए। तो आइए जानते हैं इस दिन का महत्व। ((Jyotishacharya Dr Umashankar Mishra-9415087711)) नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। इस मां की आराधना करने से भक्तों को विशेष कृपा प्राप्त होती है। माता कालरात्रि की पूजा सुबह और रात के समय में भी की जाती है। मान्यता है कि मां को रातरानी का फूल बहुत पसंद है। इस दिन माता को गुड़ का भोग लगाया जाता है। ऐसे में आपको गुड़ से बनने वाली कुछ रेसिपीज के जिन्हें आप माता कालरात्रि को अर्पित कर सकते हैं। और फल काला अंगूर है इस कारण होती माता की विशेष पूजानवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है. इस दिन मां का मन बहुत प्रसन्न मुद्रा में रहता है. उस दिन मां वरदान देने के लिए पूरी तरह तैयार रहती है. इसलिए सप्तमी को लोग एक भुक्त भोजन करके अष्टमी को उपवास करते हैं. नवमीं के बाद दशमी को व्रत समाप्त करते हैं. इस बार सप्तमी के रात में ही अष्टमी निशा पूजा होती हैं. उसी दिन रात में संधी पूजा होगी. अष्टमी और दशमी को मां का खोइछा भरा जाता है. मां को लोग बेटी के रूप में मानते हैं. मां अगर अपनी मायके आई हैं, यहां से जाएगी तो खाली हाथ कैसे जाएगी. इसलिए कोई भी बेटी को मायके से खाली हाथ नहीं भेजी जाती. मां-बेटी के रूप में उन्हें प्यार भक्ति और श्रद्धा से खोइछा भरा जाता है. मां दुर्गा तो साक्षात शिव की पत्नी है