नवरात्र के छठे दिन करें, स्तोत्र का पाठ, दूर हो जाएंगे सभी दुख और संताप जाने पूजा विधि और महा उपाय
((Jyotishacharya Dr Umashankar mishr-9415087711))-
शारदीय नवरात्र के छठे दिन जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा-उपासना की जाती है। अविवाहित जातक शीघ्र विवाह हेतु मां कात्यायनी की पूजा-उपासना करते हैं। साथ ही उनके निमित्त व्रत उपवास भी रखते हैं। वहीं, विवाहित जातक सुख, समृद्धि की प्राप्ति हेतु मां की उपासना करते हैं। तंत्र-मंत्र सीखने वाले साधक नवरात्र के छठे दिन सिद्धि प्राप्ति हेतु अनुष्ठान करते हैं। धार्मिक मान्यताएं हैं कि मां कात्यायनी की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त दुख और संकट दूर हो जाते हैं। धन संबंधी परेशानी भी दूर हो जाती है। अगर आप भी मां कात्यायनी को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो नवरात्र के छठे दिन पूजा के समय देवी कवच और स्तोत्र का पाठ और मंत्र जाप अवश्य करें।
माँ कात्यायनी देवी स्तोत्र
वन्दे वांछित मनोरथार्थचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
सिंहारूढचतुर्भुजाकात्यायनी यशस्वनीम्॥
स्वर्णवर्णाआज्ञाचक्रस्थितांषष्ठम्दुर्गा त्रिनेत्राम।
वराभीतंकरांषगपदधरांकात्यायनसुतांभजामि॥
पटाम्बरपरिधानांस्मेरमुखींनानालंकारभूषिताम्।
मंजीर हार केयुरकिंकिणिरत्नकुण्डलमण्डिताम्।।
प्रसन्नवंदनापज्जवाधरांकातंकपोलातुगकुचाम्।
कमनीयांलावण्यांत्रिवलीविभूषितनिम्न नाभिम्॥
स्तोत्र
कंचनाभां कराभयंपदमधरामुकुटोज्वलां।
स्मेरमुखीशिवपत्नीकात्यायनसुतेनमोअस्तुते॥
पटाम्बरपरिधानांनानालंकारभूषितां।
सिंहास्थितांपदमहस्तांकात्यायनसुतेनमोअस्तुते॥
परमदंदमयीदेवि परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति,परमभक्ति्कात्यायनसुतेनमोअस्तुते॥
विश्वकर्ती, विश्वभर्ती,विश्वहर्ती,विश्वप्रीता।
विश्वाचितां,विश्वातीताकात्यायनसुतेनमोअस्तुते॥
कां बीजा, कां जपानंदकां बीज जप तोषिते।
कां कां बीज जपदासक्ताकां कां सन्तुता॥
कांकारहषणीकां धनदाधनमासना।
कां बीज जपकारिणीकां बीज तप मानसा॥
कां कारिणी कां मूत्रपूजिताकां बीज धारिणी।
कां कीं कूंकै क:ठ:छ:स्वाहारूपणी॥
देवी कवच
कात्यायनौमुख पातुकां कां स्वाहास्वरूपणी।
ललाटेविजया पातुपातुमालिनी नित्य संदरी॥
कल्याणी हृदयंपातुजया भगमालिनी॥
माता कात्यायनी के मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां कात्यायनी की प्रार्थना
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
मां कात्यायनी बीज मंत्र
क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम
ओम देवी कात्यायन्यै नमः॥
एत्तते वदनम साओमयम् लोचन त्रय भूषितम।
पातु नः सर्वभितिभ्य, कात्यायनी नमोस्तुते।।
मां कात्यायनी की महिमा
देवी दुर्गा की छठवीं शक्ति मां कात्यायनी का जन्म महर्षि कात्यायन के घर हुआ था देवी का स्वरूप अत्यंत सुंदर और चमकीला है. इनकी चार भुजाएं है जिसमें ये तलवार, कमल लिए हैं एक हाथ अभयमुद्र में है तो दूसरा वरमुद्रा में इनकी उपासना से साधक को अलौकिक तेज की प्राप्ति होती है
मां कात्यायनी की पूजा
देवी कात्यायनी की पूजा में पीले या फिर ग्रे रंग के वस्त्र पहने गोधूली मुहूर्त में देवी को पीले पुष्प या बेर के पेड़ का फूल भी चढ़ा सकते हैं देवी के इस स्वरूप को बेर के पेड़ का फूल अति प्रिय है षोडोपचार से देवी की आराधना करें शहद का भोग लगाएं और मां के मंत्रों का जाप करें और कथा पढ़ने के बाद देवी की आरती करें
विवाह की बाधा दूर करने का उपाय
》धर्म ग्रंथों के अनुसार मां कात्यायनी का संबंध बृहस्पति से भी है बृहस्पति देव को विवाह का कारक माना जाता है शादी की बाधा दूर करने, या मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए नवरात्रि में देवी के इस स्वरूप की पुजा बहुत फलदायी मानी गई है
》छठवें दिन विवाह योग्य युवती शाम के वक्त शुभ मुहूर्त में स्नान के बाद पीले वस्त्र धारण करें कुमकुम, रोली, अक्षत, हल्दी की गांठ, शहद देवी को अर्पित करें
》हाथ में पीले फूल लेकर अपनी प्रार्थना कहते हुए इसे देवी को अर्पित करें अब 108 बार इस मंत्र का जाप करें - 'ॐ कात्यायनी महामये महायोगिन्यधीश्वरी। नंद गोप सुतं देहि पतिं में कुरुते नम:।।' कहते हैं इससे मनचाहा जीवनसाथी पाने की तमन्ना पूरी होती है
》वहीं लड़कों की शादी में कोई अड़चन आ रही हो तो वह बताई गई विधि के अनुसार पूजा करें और 'पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम्। तारिणींदुर्गसं सारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥' मंत्र का एक माला जाप करें मान्यता है इससे शीघ्र विवाह के योग बनते हैं
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