हाथी पर सवार : मां आपके द्वार : जानिए कलश स्थापना का सबसे शुभ मुहूर्त ((Jyotishacharya Dr Umashankar Mishra-9415087711)) +:- नवरात्रि का त्योहार बेहद खास माना जाता है. नवरात्रि के नौ दिनों में माता के 9 रूपों की पूजा की जाती है. इस बार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर से होने जा रही है और समापन 24 अक्टूबर को होगा. हिंदू पंचांग के अनुसार, अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है. शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर, रविवार से शुरू होने जा रहे हैं. नवरात्रि की अष्टमी 22 अक्टूबर को और नवमी 23 अक्टूबर को मनाई जाएगी. इस नौ दिन के उत्सव का समापन 24 अक्टूबर यानी दशहरे के दिन होगा. शारदीय नवरात्रि सबसे बड़ी नवरात्रि में से मानी जाती है. शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है जिसका एक मुहूर्त होता है. नवरात्रि साल में 4 बार पड़ती है- माघ, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन. आश्विन की नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है. नवरात्रि के वातावरण से तमस का अंत होता है, नकारात्मक माहौल की समाप्ति होती है. शारदीय नवरात्रि से मन में उमंग और उल्लास की वृद्धि होती है. दुनिया में सारी शक्ति नारी या स्त्री स्वरूप के पास ही है इसलिए नवरात्रि में देवी की उपासना ही की जाती है और देवी शक्ति का एक स्वरूप कहलाती है, इसलिए इसे शक्ति नवरात्रि भी कहा जाता है. नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के अलग अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिसे नवदुर्गा का स्वरूप कहा जाता है. हर स्वरूप से विशेष तरह का आशीर्वाद और वरदान प्राप्त होता है. साथ ही साथ आपके ग्रहों की दिक्कतों का समापन भी होता है. इस बार शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर से आरंभ होने जा रही है और समापन 24 अक्टूबर को होगा और दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है. शारदीय नवरात्रि की तारीख और शुभ मुहूर्त हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर को रात 10 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगी और प्रतिपदा तिथि का समापन 15 अक्टूबर को रात 11 बजकर 52 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी. नवरात्रि पर कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को यानी पहले दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 27 मिनट से subah 10 बजकर 14 मिनट तक रहेगा. !!. घटस्थापना तिथि- रविवार 15 अक्टूबर 2023 (( अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11:36 मिनट से दोपहर 12:24 मिनट तक)) शारदीय नवरात्रि 2023 तिथियां 15 अक्टूबर 2023 - मां शैलपुत्री (पहला दिन) प्रतिपदा तिथि 16 अक्टूबर 2023 - मां ब्रह्मचारिणी (दूसरा दिन) द्वितीया तिथि 17 अक्टूबर 2023 - मां चंद्रघंटा (तीसरा दिन) तृतीया तिथि 18 अक्टूबर 2023 - मां कुष्मांडा (चौथा दिन) चतुर्थी तिथि 19 अक्टूबर 2023 - मां स्कंदमाता (पांचवा दिन) पंचमी तिथि 20 अक्टूबर 2023 - मां कात्यायनी (छठा दिन) षष्ठी तिथि 21 अक्टूबर 2023 - मां कालरात्रि (सातवां दिन) सप्तमी तिथि 22 अक्टूबर 2023 - मां महागौरी (आठवां दिन) दुर्गा अष्टमी 23 अक्टूबर 2023 - महानवमी, (नौवां दिन) शरद नवरात्र व्रत पारण 24 अक्टूबर 2023 - मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन, दशमी तिथि (दशहरा) इस बार मां दुर्गा की क्या है सवारी? इस वर्ष मां हाथी पर सवार होकर आ रही हैं ऐसे में इस बात के प्रबल संकेत मिल रहे हैं कि, इससे सर्वत्र सुख संपन्नता बढ़ेगी. इसके साथ ही देश भर में शांति के लिए किए जा रहे प्रयासों में सफलता मिलेगी. यानी कि पूरे देश के लिए यह नवरात्रि शुभ साबित होने वाली है. घटस्थापना या कलशस्थापना के लिए आवश्यक सामग्री सप्त धान्य (7 तरह के अनाज), मिट्टी का एक बर्तन, मिट्टी, कलश, गंगाजल (उपलब्ध न हो तो सादा जल), पत्ते (आम या अशोक के), सुपारी, जटा वाला नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र, पुष्प शारदीय नवरात्रि में घटस्थापना की विधि नवरात्रि के पहले दिन व्रती द्वारा व्रत का संकल्प लिया जाता है. इस दिन लोग अपने सामर्थ्य अनुसार 2, 3 या पूरे 9 दिन का उपवास रखने का संकल्प लेते हैं. संकल्प लेने के बाद मिट्टी की वेदी में जौ बोया जाता है और इस वेदी को कलश पर स्थापित किया जाता है. हिन्दू धर्म में किसी भी मांगलिक काम से पहले भगवान गणेश की पूजा का विधान बताया गया है और कलश को भगवान गणेश का रूप माना जाता है इसलिए इस परंपरा का निर्वाह किया जाता है. कलश को गंगाजल से साफ की गई जगह पर रख दें. इसके बाद देवी-देवताओं का आवाहन करें. कलश में सात तरह के अनाज, कुछ सिक्के और मिट्टी भी रखकर कलश को पांच तरह के पत्तों से सजा लें. इस कलश पर कुल देवी की तस्वीर स्थापित करें. दुर्गा सप्तशती का पाठ करें इस दौरान अखंड ज्योति अवश्य प्रज्वलित करें. अंत में देवी मां की आरती करें और प्रसाद को सभी लोगों में बाट दें. नवरात्रि के 9 दिन का महत्व अश्विन माह में पड़ने वाली शारदीय नवरात्रि का पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है. इसमें मां दुर्गा की प्रतिमाएं विराजित की जाती है. साथ ही कई स्थानों पर गरबा और रामलीलाओं का आयोजन किया जाता है. इस 9 दिन के महापर्व के पहले दिन घटस्थापना की जाती है और मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा भी की जाती है. अखंड ज्योति जलाई जाती है. हर स्वरूप की अलग महिमा होती है. आदिशक्ति जगदम्बा के हर स्वरूप से अलग-अलग मनोरथ पूर्ण होते हैं. यह पर्व नारी शक्ति की आराधना का पर्व है. नवरात्रि के नौ दिनों में व्रत भी रखा जाता है.पूरे नियमों के साथ मां दुर्गा की आराधना की जाती है. नवरात्रि में मां दुर्गा के आगमन की सवारी है शुभ - देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि महालया के दिन जब पितृगण धरती से लौटते हैं तब मां दुर्गा अपने परिवार और गणों के साथ पृथ्वी पर आती हैं. जिस दिन नवरात्र का आरंभ होता है उस दिन के हिसाब से माता हर बार अलग-अलग वाहनों से आती हैं. माता का अलग-अलग वाहनों से आना भविष्य के लिए संकेत भी होता है जिससे पता चलता है कि आने वाला साल कैसा रहेगा. इस साल माता का वाहन हाथी होगा क्योंकि नवरात्रि का आरंभ रविवार से हो रहा है. इस विषय में देवी भागवत पुराण में इस प्रकार लिखा गया है कि रविवार और सोमवार को नवरात्रि आरंभ होने पर माता हाथी पर चढकर आती हैं जिससे खूब अच्छी वर्षा होती है. खेती अच्छी होगी। देश में अन्न धन का भंडार बढ़ेगा. मां दुर्गा के वाहन और उनका महत्व -+- यूं तो मां दुर्गा का वाहन सिंह को माना जाता है, लेकिन हर साल नवरात्रि के समय तिथि के अनुसार माता अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं, यानी माता सिंह की बजाय दूसरी सवारी पर सवार होकर भी पृथ्वी पर आती हैं. माता दुर्गा आती भी वाहन से हैं और जाती भी वाहन से हैं. नवरात्रि का विशेष नक्षत्रों और योगों के साथ आना मनुष्य जीवन पर खास प्रभाव डालता है. ठीक इसी प्रकार कलश स्थापन के दिन देवी किस वाहन पर विराजित होकर पृथ्वी लोक की तरफ आ रही हैं इसका भी मानव जीवन पर विशेष असर होता है. देवीभाग्वत पुराण में जिक्र किया गया है कि शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे। गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता. इस श्लोक में सप्ताह के सातों दिनों के अनुसार देवी के आगमन का अलग-अलग वाहन बताया गया है. 1-अगर नवरात्रि का आरंभ सोमवार या रविवार को हो तो इसका मतलब है कि माता हाथी पर आएंगी. 2-शनिवार और मंगलवार को माता अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं. 3-गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्रि का आरंभ हो रहा हो तब माता डोली पर आती हैं. 4-बुधवार के दिन नवरात्रि पूजा आरंभ होने पर माता नाव पर आरुढ़ होकर आती हैं देश पर पड़ेगा यह असर -+- धार्मिक मान्यता के अनुसार नवरात्रि में जब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं तो ये बेहद शुभ माना जाता है. हाथी पर सवार होकर मां दुर्गा अपने साथ ढेर सारी खुशियां और सुख-समृद्धि लेकर आती हैं. मां का वाहन हाथी ज्ञान व समृद्धि का प्रतीक है. इससे देश में आर्थिक समृद्धि आयेगी। साथ ही ज्ञान की वृद्धि होगी। हाथी को शुभ का प्रतीक माना गया है. ऐसे में आने वाला यह साल बहुत ही शुभ कार्य होगा, लोगों के बिगड़े काम बनेंगे. माता रानी की पूजा अर्चना करने वाले भक्तों पर विशेष कृपा बरसेगी.