।।🏵️ 🏵️।। ।।🙏ॐ नमः शिवाय🙏।। ((-Jyotishacharya Dr Umashankar mishr-9415087711-)) पितृ पक्ष श्राद्ध पर्व की सभी तिथियां श्राद्ध पक्ष हर साल आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू हो कर आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक रहता है। पितृपक्ष में पितरों का ध्यान और तर्पण की विधि की जाती है। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि पितृगण देवताओं के समान ही आशीर्वाद और शाप देने की क्षमता रखते हैं। इनकी प्रसन्नता से परिवार में उन्नति और सफलता आती है और नाराजगी से परिवार में कोई न कोई परेशानी बनी रहती है। पितृ पक्ष इस बार 30 सितंबर दिन शनिवार से आरंभ हो रहे हैं और अंतिम श्राद्ध अमावस्या 14 अक्टूबर दिन शनिवार को होगा। पितृपक्ष का आरंभ 30 सितंबर से हो रहा है लेकिन 29 सितंबर को पूर्णिमा का श्राद्ध आरंभ हो जाता है। इसके बाद आश्विन कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि दिन शनिवार 30 सितंबर 2023 से पितरों को जल दिया जाएगा। इसमें किसी भी पक्ष में जिस तिथि को व्यक्ति की मृत्यु हुई हो, उनके नाम से श्राद्ध और ब्राह्मण भोज करवाया जाता है, जबकि पूरे पक्ष में उनके नाम का जल दिया जाता है। संपूर्ण पक्ष में श्राद्ध की तिथियां :- Aaj-पूर्णिमा श्राद्ध – 29 सितंबर शुक्रवार 1--प्रतिपदा श्राद्ध – 30 सितंबर शनिवार 2--द्वितीया – 01अक्टूबर रविवार 3--Tritiya tithi -2 October Somwar 4--चतुर्थी श्राद्ध – 02अक्टूबर सोमवार 5--पंचमी श्राद्ध – 03अक्टूबर मंगलवार 6--षष्ठी श्राद्ध – 04 अक्टूबर बुधवार 7--सप्तमी श्राद्ध – 05 अक्टूबर गुरुवार 8--अष्टमी श्राद्ध – 06अक्टूबर शुक्रवार 9--नवमी श्राद्ध- 07अक्टूबर शनिवार 10--नवमी श्राद्ध – 08 अक्टूबर रविवार (मतृनवमी) 11--दशमी श्राद्ध – 09 अक्टूबर सोमवार 12--एकादशी श्राद्ध –10 अक्टूबर मंगलवार 13--द्वादशी श्राद्ध- 11 अक्टूबर बुधवार 14--त्रयोदशी श्राद्ध – 12 अक्टूबर गुरुवार 15--चतुर्दशी श्राद्ध- 13अक्टूबर शुक्रवार 16--अमावस्या श्राद्ध- 14अक्टूबर शनिवार *नोट: #श्राद्ध नियम के अनुसार दोपहर के समय पितरों के नाम से श्राद्ध और ब्राह्मण भोजन करवाया जाता है। शास्त्रों में सुबह और शाम का समय देव कार्य के लिए बताया गया है। #शास्त्रों के अनुसार चतुर्दशी तिथि को केवल अपमृत्यु यानी अप्राकृतिक रूप से जिनकी मृत्यु हुई हो,केवल उन लोगों का ही श्राद्ध करने का विधान है। #अमावस्या को सर्वपितृ श्राद्ध भी कहा जाता है। इस दिन अमावस्या तिथि में मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों के अलावा जिनकी मृत्यु की तिथि का पता नहीं हो, जिनका श्राद्ध पक्ष में मृत्यु तिथि पर श्राद्ध नहीं हुआ हो उनका भी श्राद्ध कर्म किया जा सकता है।