गणेश जी को तुलसी चढ़ाना वर्जित है Jyotishacharya . Dr Umashankar mishr 9415087711 तुलसी की पूजा हर घर में प्रातःकाल में होती है। आमतौर पर इसे हर भगवान की पूजा में उपयोग में लाया जाता है लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान गणेश की पूजा में तुलसी दल का उपयोग नहीं किया जाता है। गणेशजी की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जाता है इसके पीछे ऐसी कथा प्रचलित है कि एक बार श्री गणेश गंगा किनारे तप कर रहे थे। इसी कालावधि में धर्मात्मज की नवयौवना कन्या तुलसी ने विवाह की इच्छा लेकर तीर्थयात्रा पर प्रस्थान किया। देवी तुलसी सभी तीर्थस्थलों का भ्रमण करते हुए गंगा के तट पर पंहुची। गंगा तट पर देवी तुलसी ने युवा तरुण गणेशजी को देखा जो तपस्या में विलीन थे। गणेशजी रत्नजड़ित सिंहासन पर विराजमान थे। उनके समस्त अंगों पर चंदन लगा हुआ था। उनके गले में पारिजात फूलों की स्वर्णमणि रत्नों से जड़ित अनेक हार पड़े थे। उनकी कमर में अत्यंत कोमल रेशम का पीतांबर लिपटा हुआ था। तुलसी श्री गणेश के रूप पर मोहित हो गईं और उनके मन में गणेश से विवाह करने की इच्छा जाग्रत हुई। तुलसी ने विवाह की इच्छा से उनका ध्यान भंग किया। तब भगवान श्री गणेश ने तुलसी द्वारा तप भंग करने को अशुभ बताया और तुलसी की मंशा जानकर स्वयं को ब्रह्मचारी बताकर उसके विवाह प्रस्ताव को नकार दिया। श्री गणेश द्वारा अपने विवाह प्रस्ताव को अस्वीकार कर देने से देवी तुलसी बहुत दुखी हुईं और आवेश में आकर उन्होंने श्री गणेश के दो विवाह होने का शाप दे दिया। इस पर श्री गणेश ने भी तुलसी को शाप दे दिया कि तुम्हारा विवाह एक असुर से होगा। एक राक्षस की पत्नी होने का शाप सुनकर तुलसी ने श्री गणेश से माफी मांगी। तब श्री गणेश ने तुलसी से कहा कि तुम्हारा विवाह शंखचूर राक्षस से होगा किंतु फिर तुम भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण को प्रिय होने के साथ ही कलयुग में जगत के लिए जीवन और मोक्ष देने वाली होंगी, पर मेरी पूजा में तुलसी चढ़ाना शुभ नहीं माना जाएगा। तबसे ही भगवान गणेशजी की पूजा में तुलसी वर्जित मानी जाती है।