क्या भाग्य को बदला जा सकता है?
((-Jyotishacharya Dr Umashankar mishr 9415087711-))---
जी हां । भाग्य को बदला जा सकता है।
भारतीय ज्योतिष के अनुसार किसी व्यक्ति का भाग्य उसके पूर्व जन्म के कर्मों के आधार पर निश्चित होता है।
इस भाग्य का आंकलन (फलादेश) एक ज्योतिषी उस व्यक्ति की जन्म कुंडली या हस्त रेखाओं के द्वारा करता है।
हम अक्सर ये एक दूसरे को ये कहते या सुनते आये है, कि भाग्य की लिखनी कोई मिटा नहीं सकता,मतलब जो भाग्य में है वो होकर रहेगा ।
पर हम ये नहीं सोचते की भाग्य है क्या?भाग्य बनता कैसे है? ईश्वर कैसे ये दिमाग में लाता है क़ि इसके भाग्य में राज्य हो या दरिद्र हो?ईश्वर भी कुछ सोच रखकर ही भाग्य बनाता होगा, वो भाग्य बनाते समय किस चीज को प्रधानता देता होगा?जाहिर सी बात है वो है हमारा कर्म।
ईश्वर कर्म के हिसाब से भाग्य बना देता है,पूर्व जन्मों में या पूर्व समय में हमने जो भी कर्म किये, उन्हीं सब का फल मिलकर तो भाग्य रूप में हमारे सामने आता है।
भाग्य हमारे पूर्व कर्म संस्कारों का ही तो नाम है,और इनके बारे में एकमात्र सच्चाई यही है कि वह बीत चुके हैं। अब उन्हें बदला नहीं जा सकता। लेकिन अपने वर्तमान कर्म तो हम चुन ही सकते हैं।
यह समझना कोई मुश्किल नहीं कि भूत पर वर्तमान हमेशा ही भारी रहेगा क्योंकि भूत तो जैसे का तैसा रहेगा लेकिन वर्तमान को हम अपनी इच्छा और अपनी हिम्मत से अपने अनुसार ढाल सकते हैं।
जीव अपने कर्मों के अनुरूप स्वयं ही अपने भाग्य को बनाता है।मनुष्य अपने भाग्य का खुद ही निर्माता है ।
हमारे ऊपर किसी भी प्रकार का संकट आता है तो हम भगवान् को कोसने लगते हैं कि भगवान ने हमारा ऐसा बुरा किया परन्तु यह बहुत भारी भूल है ।
भगवान् किसी का अच्छा अथवा बुरा नहीं करते उनको किसी के प्रति प्रेम अथवा द्वेष नहीं है । हमारे किये हुये अच्छे या बुरे कर्म ही हमको सुखी या दु:खी बनाते हैं । संसार अवस्था में प्रतिक्षण सभी जीव कर्मों को तथा नोकर्मों को ग्रहण करते हैं ।
ईश्वर के बाद ईश्वर की प्रकृति महत्वपूर्ण है। जिस प्रकार प्रकृति ने रोग, शोक या अन्य घटना, दुर्घटना को प्रदान किया उसी प्रकार उसने उक्त सभी से बचने के उपाय भी दिए हैं।
प्रकृति में ही है वह उपाय जिससे आप अपनी सकारात्मक ऊर्जा का विकास कर अपने भाग्य को जागृत कर सकते हैं। भाग्य में समय और स्थान का भी बहुत महत्व होता है।
जैसे कि ---- कभी कभी आपने देखा होगा कि हम कोई नई जगह पर जाते है वह जगह हमें सूट नहीं करती है कुछ ना कुछ परेशानियां आनी शुरू हो जाती है ।
और कभी कभी हम घर से ऐसे समय पर निकलते हैं वह समय हमारे लिए सही नहीं होता और हमारे साथ में कोई भी घटना घट जाती है यह सब हमारे भाग्य पर ही निर्धारित होता है।
ईश्वर सर्वशक्तिमान है। ग्रह-नक्षत्र और देवी-देवता सभी उसके अधीन है।
प्रकृति में ही है वह उपाय जिससे आप अपनी सकारात्मक ऊर्जा का विकास कर अपने भाग्य को जागृत कर सकते हैं। भाग्य में समय और स्थान का भी बहुत महत्व होता है।
गलत स्थान पर रहने से या जाने से भी भाग्य बंद हो जाता है। भाग्य में कर्म का भी योगदान होता है। गलत कर्म करने से भी भाग्य बंद हो जाता है।
भारतीय ज्योतिष में एक दूसरा पक्ष यह भी है कि व्यक्ति वर्तमान जीवन में किये गये कर्मों से, अपने पूर्व निर्धारित भाग्य को किसी सीमा तक बदल सकता है।
लेकिन भाग्य को पूर्ण रूप से नहीं बदल सकता। इसका कारण यह है कि इस जन्म के समय, कई पूर्व जन्मों के किए गए कर्मों का संचित फल होता है।
उसको केवल एक जन्म के कर्मों से नहीं बदला जा सकता, लेकिन उनके प्रभाव को बदला जा सकता है।
आजकल बहुत से दम्पती ऐसे होते हैं, जिनके कोई संतान नहीं होती अथवा पुत्र जन्म नहीं होता। यह सब पूर्व जन्मों के कर्मों का ही फल होता है।
लेकिन उचित चिकित्सीय इलाज, ग्रह शांति अथवा माता पिता या गुरु के आशीर्वाद से कभी-कभी संतान हो जाती हैं। यह होता है अपने भाग्य को बदलना।
एक गरीब घर में जन्म लेने वाला बच्चा आगे जाकर अपने जीवन में बहुत बड़ा सम्मानीय, व्यवसायी, राजनीतिक नेता या धनवान व्यक्ति बन सकता है।
धनवान और सुख-सुविधाओं से संपन्न परिवार में जन्म लेने वाला बच्चा, वर्तमान जीवन के कुकर्मों से और गलत संगति के कारण अपने जीवन को बर्बाद भी कर लेता है।
कर्मवादी लोग कहते हैं भाग्य कुछ नहीं होता, भाग्यवादी लोग कहते हैं किस्मत में लिखा ही होता है,
कर्म कुछ भी करते रहो। भाग्यवादी और कर्मवादी लोगों की यह बहस कभी खत्म नहीं हो सकती।
लेकिन यह भी सत्य है कि भाग्य और कर्म दोनों के बीच एक रिश्ता जरूर है।कर्म अध्य्यन के समान है और भाग्य रिजल्ट के समान
नोट ---- अपने कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है बिना कर्म किए भाग्य भी बंद हो जाता है गलत काम करने से धीरे-धीरे सभी दरवाजे बंद हो जाते हैं
अपने नाम राशि के अनुसार उसे इष्ट देव की पूजा पाठ करना शुरू कीजिए सब कुछ बदलता है।
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