ऐसा है मां कात्यायनी का स्वरूप
महर्षि कात्यायन के यहां पुत्री के रूप में उत्पन्न होकर मां कात्यायनी ने महिषासुर का वध किया था। मां के स्वरूप की बात करें तो तीन नेत्रों से सुशोभित है। मां कात्यायनी का वाहन सिंह है और यह चार भुजाओं वाली हैं। पुराणों के अनुसार मां कि इन 4 भुजाओं में अस्त्र-शस्त्र और कमल का पुष्प सुशोभित है। इन्हें ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी माना गया है।
देती हैं मन चाहे वर का वरदान
मान्यता है कि गोपियों नें कृष्ण की प्राप्ति के लिए मां कात्यायनी की ही पूजा की थी। यही कारण है कि कुवांरी कन्याओं को मां के इस स्वरूप का पूजन करने के लिए कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र की भी बात करें तो मां के इस स्वरूप का सीधा सम्बन्ध बृहस्पति से बताया गया है जिन्हें विवाह के लिए पूजा जाता है
मां कात्यायनी की पूजा सदैव लाल रंग के वस्त्र धारण करके करना चाहिए। प्रात काल स्नान आदि करके पीले रंग के फूल और पीले रंग का नैवेद्य मां को चढ़ाना चाहिए। भोग की बात करें तो मां को शहद बड़ा प्रिय है तो आप शहद से बनी चीज या मां को शहद का भोग लगा सकते हैं। मां को महकने वाले फूल अर्पित करें
ज्योतिषाचार्य के अनुसार कोई भी विवाह योग्य कन्या मां कात्यायनी की पूजा कर सकती है। इसके लिए किसी विशेष अनुमती या दान-दक्षिणा की अनुमती नहीं होती। मान्यता ये भी है कि एक विशेष मंत्र का जाप करने से मां कात्यायनी मन चाहे वर और प्रेम विवाह का वरदान देती हैं।
1. कात्यायनी, महामाया महायोगीन्यधीश्वरी
नंद गोप सुतं देवी पति में कुरुते नम:
या
2. चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहन.
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी.
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