Navratri 2019 Day 4: हरे रंग के कपड़े पहनकर करें मां कूष्‍मांडा की उपासना मां कूष्‍मांडा (Kushmanda) को जो भी अर्पित किया जाए उसे वो प्रसन्‍नतापूर्वक स्‍वीकार कर लेती हैं. लेकिन मां कूष्‍मांडा को मालपुए का भोग अतिप्रिय नवरात्रि के चौथे दिन पूजी जाने वाली माता कूष्‍मांडा... Day 4: नवरात्रि () के चौथे दिन शक्ति की देवी मां दुर्गा (Maa Durga) के चौथे स्‍वरूप माता कूष्‍मांडा (Kushmanda) की पूजा की जाती है. हिन्‍दू मान्‍यताओं के अनुसार जब इस संसार में सिर्फ अंधकार था तब देवी कूष्‍मांडा ने अपने ईश्‍वरीय हास्‍य से ब्रह्मांड की रचना की थी. यही वजह है क‍ि देवी को सृष्टि के रचनाकार के रूप में भी जाना जाता है. इसी के चलते इन्‍हें 'आदिस्‍वरूपा' या 'आदिशक्ति' कहा जाता है. नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्‍मांडा के पूजन का विशेष महत्‍व है. पारंपरिक मान्‍यताओं के अनुसार जो भी भक्‍त सच्‍चे मन से नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्‍मांडा की पूजा करता है उसे आयु, यश और बल की प्राप्‍ति होती है. कौन हैं मां कूष्‍मांडा? 'कु' का अर्थ है 'कुछ', 'ऊष्‍मा' का अर्थ है 'ताप' और 'अंडा' का अर्थ है 'ब्रह्मांड'. शास्‍त्रों के अुनसार मां कूष्‍मांडा ने अपनी दिव्‍य मुस्‍कान से संसार में फैले अंधकार को दूर किया था. चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए माता कूष्‍मांडा को सभी दुखों को हरने वाली मां कहा जाता है. इनका निवास स्थान सूर्य है. यही वजह है माता कूष्‍मांडा के पीछे सूर्य का तेज दर्शाया जाता है. मां दुर्गा का यह इकलौता ऐसा रूप है जिन्हें सूर्यलोक में रहने की शक्ति प्राप्त है. देवी को कुम्‍हड़े की बलि प्रिय है. मां कूष्‍मांडा का रूप चेहरे पर हल्‍की मुस्‍कान लिए मां कूष्‍मांडा की आठ भुजाएं हैं. इसलिए इन्‍हें अष्‍टभुजा भी कहा जाता है. इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, कलश, चक्र और गदा है. आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है. देवी के हाथ में जो अमृत कलश है उससे वह अपने भक्‍तों को दीर्घायु और उत्तम स्‍वास्‍थ्‍य का वरदान देती हैं. मां कूष्‍मांडा सिंह की सवारी करती हैं जो धर्म का प्रतीक है. मां कूष्‍मांडा की पूजा विधि - नवरात्रि के चौथे दिन सुबह-सवेरे उठकर स्‍नान कर हरे रंग के वस्‍त्र धारण करें. - मां की फोटो या मूर्ति के सामने घी का दीपक जलाएं और उन्‍हें तिलक लगाएं. - अब देवी को हरी इलायची, सौंफ और कुम्‍हड़े का भोग लगाएं. - अब ‘ऊं कूष्‍मांडा देव्‍यै नम:' मंत्र का 108 बार जाप करें. - मां कूष्‍मांडा की आरती उतारें और क‍िसी ब्राह्मण को भोजन कराएं या दान दें. - इसके बाद स्‍वयं भी प्रसाद ग्रहण करें. मां कूष्‍मांडा का भोग मान्‍यता है क‍ि श्रद्धा भाव से मां कूष्‍मांडा को जो भी अर्पित किया जाए उसे वो प्रसन्‍नतापूर्वक स्‍वीकार कर लेती हैं. लेकिन मां कूष्‍मांडा को मालपुए का भोग अतिप्रिय है. कूष्‍मांडा मंत्र या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्‍मांडा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। ध्‍यान वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥ भास्वर भानु निभां अनाहत स्थितां चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्। कमण्डलु, चाप, बाण, पदमसुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥ पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्। मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल, मण्डिताम् प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कांत कपोलां तुंग कुचाम्। कोमलांगी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥ स्तोत्र पाठ दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्। जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥ जगतमाता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्। चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥ त्रैलोक्यसुन्दरी त्वंहिदुःख शोक निवारिणीम्। परमानन्दमयी, कूष्माण्डे प्रणमाभ्यहम्॥ कवच हंसरै में शिर पातु कूष्माण्डे भवनाशिनीम्। हसलकरीं नेत्रेच, हसरौश्च ललाटकम्॥ कौमारी पातु सर्वगात्रे, वाराही उत्तरे तथा,पूर्वे पातु वैष्णवी इन्द्राणी दक्षिणे मम। दिगिव्दिक्षु सर्वत्रेव कूं बीजं सर्वदावतु ॥