रुद्राभिषेक क्या है?----- Jyotishacharya Dr Umashankar mishr----9415087711
भगवन शिव का आशीर्वाद पाने के लिए लोग उनकी पूजा करते हैं और शिवलिंग पर मंत्रों का जाप करते हुए विशेष वस्तुएं अर्पित करते हैं अर्थार्थ चढ़ाते हैं। इस पूजन विधि जिससे शिवजी की पूजा कर सभी समस्याओं का नाश होता है उसे रुद्राभिषेक कहा जाता है।
रुद्राभिषेक के लाभ
शिव पुराण में रुद्राभिषेक की विधि हेतु सम्पूर्ण सूचि दी गई है जिससे ये पता चलता है की आप जिस उद्देश्य से पूजा कर रहे हैं उसके लिए आपको किस द्रव्य का इस्तेमाल करना चाहिए। यहाँ पर रुद्राभिषेक के १८ लाभ बताये गए हैं जो की नीचे दी गई सूचि में हैं –
जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है।
पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गोदुग्ध से रुद्राभिषेक करें।
धनवृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक करें।
पुत्र की कामना वाले व्यक्ति शकर मिश्रित जल से अभिषेक करें। ऐसे तो अभिषेक साधारण रूप से जल से ही होता है।
असाध्य रोगों को शांत करने के लिए कुशोदक से रुद्राभिषेक करें।
सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होता है।
सहस्रनाम मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है।
भवन-वाहन के लिए दही से रुद्राभिषेक करें।
इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है।
पातकों को नष्ट करने की कामना होने पर भी शहद से रुद्राभिषेक करें।
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें।
गोदुग्ध से तथा शुद्ध घी द्वारा अभिषेक करने से आरोग्यता प्राप्त होती है।
तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ज्वर की शांति हेतु शीतल जल/ गंगाजल से रुद्राभिषेक करें।
शकर मिले दूध से अभिषेक करने पर जड़बुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है।
रुद्राभिषेक से योग्य तथा विद्वान संतान की प्राप्ति होती है।
शहद के द्वारा अभिषेक करने पर यक्ष्मा (तपेदिक) दूर हो जाती है।
प्रमेह रोग की शांति भी दुग्धाभिषेक से हो जाती है।
रुद्राभिषेक मंत्र/श्लोक
ॐ नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नम: शंकराय च
मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च ॥
ईशानः सर्वविद्यानामीश्व रः सर्वभूतानां ब्रह्माधिपतिर्ब्रह्मणोऽधिपति
ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोय् ॥
तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि।
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
अघोरेभ्योथघोरेभ्यो घोरघोरतरेभ्यः सर्वेभ्यः
सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररुपेभ्यः ॥
वामदेवाय नमो ज्येष्ठारय नमः श्रेष्ठारय नमो
रुद्राय नमः कालाय नम:
कलविकरणाय नमो बलविकरणाय नमः
बलाय नमो बलप्रमथनाथाय नमः
सर्वभूतदमनाय नमो मनोन्मनाय नमः ॥
सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः ।
भवे भवे नाति भवे भवस्व मां भवोद्भवाय नमः ॥
नम: सायं नम: प्रातर्नमो रात्र्या नमो दिवा ।
भवाय च शर्वाय चाभाभ्यामकरं नम: ॥
यस्य नि:श्र्वसितं वेदा यो वेदेभ्योsखिलं जगत् ।
निर्ममे तमहं वन्दे विद्यातीर्थ महेश्वरम् ॥
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिबर्धनम्उ
र्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् ॥
सर्वो वै रुद्रास्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु ।
पुरुषो वै रुद्र: सन्महो नमो नम: ॥
विश्वा भूतं भुवनं चित्रं बहुधा जातं जायामानं च यत्।
सर्वो ह्येष रुद्रस्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु रुद्राभिषेक और पूजन पाठ, और कुंडली, गृह दोष, समस्त बाधा निवारण के लिए संपर्क करें -----------
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