सूर्य और वास्तु के बीच अनोखा कनेक्शन, देखें कौन सा समय किस काम के लिए होता है शुभ?। -- ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र--9415087711 दिशाओं से जुड़े वास्तु के नियम सूर्य के भ्रमण और उसकी गति को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं, ताकि सूर्य की ऊर्जा आपके घर में अधिक मात्रा में प्रवेश कर सके, ताकि आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़े और सुख शांति में वृद्धि हो। आप जानिए कि घर में वास्तु के अनुसार किस कक्ष का स्थान कहां होना चाहिए।
वास्तु और सूर्य के बीच में अनोखा संबंध बताया गया है। दिशाओं से जुड़े वास्तु के नियम सूर्य के भ्रमण और उसकी गति को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं, ताकि सूर्य की ऊर्जा आपके घर में अधिक मात्रा में प्रवेश कर सके, ताकि आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़े और सुख शांति में वृद्धि हो। इसलिए यदि आप अपने घर का वास्तु सूर्य के भ्रमण की दिशाओं के आधार पर तैयार करेंगे तो आपको सर्वाधिक लाीा होगा। आइए जानते हैं वास्तु के ये नियम।सूर्योदय से पहले रात्रि 3 से सुबह 6 बजे का समय ब्रह्म मुहूर्त होता है। इस समय सूर्य घर के उत्तर-पूर्वी भाग में होता है। यह समय चिंतन-मनन और पूजापाठ के लिए सर्वोत्तम माना गया है। इसलिए आपको अपना पूजाघर ईशान कोण में बनाना चाहिए।
सुबह 6 से 9 बजे तक सूर्य घर के पूर्वी हिस्से में रहता है इसलिए घर ऐसा बनाएं कि सूर्य की पर्याप्त रोशनी घर में आ सके। माना जाता है कि सुबह का सूर्य का प्रकाश जिन घरों में प्रवेश करता है, वहां लोग बीमारियों से दूर रहते हैं। यही वजह है कि सुबह के वक्त घर के सभी खिड़की और दरवाजे खोलने के बारे में वास्तु में कहा गया है।प्रात: 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक सूर्य घर के दक्षिण-पूर्व में होता है। यह समय नहाने और भोजन पकाने के लिए उत्तम है। इस वजह से रसोई घर व स्नानघर गीले होते हैं। इनका स्थान दक्षिण-पूर्व में होना चाहिए ताकि यहां सूर्य की रोशनी मिले, तभी वे सूखे और स्वास्थ्यकर हो सकते हैं।
दोपहर 12 से 3 बजे तक विश्रांति काल यानी कि आराम का समय होता है। सूर्य अब दक्षिण में होता है, अत: शयन कक्ष इसी दिशा में बनाना चाहिए और शयन कक्ष में पर्दे गहरे रंग के होने चाहिए। कहते हैं इस वक्त सूर्य से खतरनाक पराबैंगनी किरणें निकलती हैं, तो डार्क रंग के पर्दे होने से यह आपके स्वास्थ्य को नुकसान नहीं पहुंचा सकेंगी।
दोपहर 3 से सायं 6 बजे तक अध्ययन और कार्य का समय होता है और सूर्य दक्षिण-पश्चिम भाग में होता है। अत: यह स्थान अध्ययन कक्ष या पुस्तकालय के लिए उत्तम है।शाम 6 से रात 9 तक का समय खाने, बैठने और पढऩे का होता है इसलिए घर का पश्चिमी कोना भोजन या बैठक कक्ष के लिए उत्तम होता है। इस वक्त सूर्य भी पश्चिम में होता है।
सायं 9 से मध्य रात्रि के समय सूर्य घर के उत्तर-पश्चिम में होता है। यह स्थान शयन कक्ष के लिए सबसे उपयोगी है।
मध्य रात्रि से तड़के 3 बजे तक सूर्य घर के उत्तरी भाग में होता है। यह समय अत्यंत गोपनीय होता है यह दिशा व समय कीमती वस्तुओं या जेवरात आदि को रखने के लिए उत्तम है।
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