एक व्यक्ति की कुंडली में ग्रह, नक्षत्र, दोष और गुण के आधार पर उसके पूरे जीवन की भविष्यवाणी की जाती है।
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कुंडली में कुछ ऐसे दोष बताए गए हैं, जो व्यक्ति के जीवन को बुरी तरह से प्रभावित कर देते हैं।
कई बार शादी होते-होते रुक जाती है, तो कभी मेहनत करने के बाद भी जॉब में प्रमोशन नहीं मिलता है।
इतना ही नहीं, कुंडली में मौजूद दोष आपकी सेहत, रिलेशनशिप और पढ़ाई पर भी गहरा प्रभाव डाल सकते हैं।
ज्योतिष में सूर्य ग्रह को आत्मा का कारक कहा गया है। इसके चिकित्सीय और आध्यात्मिक लाभ को पाने के लिए लोग प्रातः उठकर सूर्य नमस्कार करते हैं।
हिन्दू पंचांग के अनुसार रविवार का दिन सूर्य ग्रह के लिए समर्पित है जो कि सप्ताह का एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।
हिन्दू ज्योतिष में सूर्य ग्रह जब किसी राशि में प्रवेश करता है तो वह धार्मिक कार्यों के लिए बहुत ही शुभ समय होता है।
इस दौरान लोग आत्म शांति के लिए धार्मिक कार्यों का आयोजन कराते हैं तथा सूर्य की उपासना करते हैं।
विभिन्न राशियों में सूर्य की चाल के आधार पर ही हिन्दू पंचांग की गणना संभव है।
जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करता है तो उसे एक सौर माह कहते हैं।
राशिचक्र में 12 राशियाँ होती हैं। अतः राशिचक्र को पूरा करने में सूर्य को एक वर्ष लगता है। अन्य ग्रहों की तरह सूर्य वक्री नहीं करता है।
सूर्य हमारे जीवन से अंधकार को नष्ट करके उसे प्रकाशित करता है। यह हमें सदैव सकारात्मक चीज़ों की ओर प्रेरित करता है।
इसकी किरण मनुष्यों के लिए आशा की किरण होती हैं। साथ ही यह हमें ऊर्जावान रहने की प्रेरणा देता है जिससे हम अपने उद्देश्य को पाने के लिए अनवरत रूप से कार्य करते रहे हैं।
सूर्य को नवग्रह का सबसे महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है। इसके पीछे वजह एक नहीं अनेक है।
सूर्य ऊर्जा का स्रोत है और इसी स्रोत के जरिये तीनों लोक संचालित भी होते हैं। सूर्य अन्य ग्रहों को भी विशिष्ट ऊर्जा प्रदान करता है।
यही कारण है कि सूर्य को मुखिया माना गया है। सूर्य का रथ सात घोड़े खींचते हैं, जो सात चक्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
सूर्य को जगत पिता कहा गया है, क्योंकि इसकी शक्ति से समस्त ग्रह चलायमान है।
सूर्य प्रभावी हो तो जातक अपने जीवन में यश प्राप्त करता है। इसके साथ ही वह ओजस्वी व प्रतापी होता है।
महिला की कुंडली में सूर्य को पति के सफलता के लिए देखा जाता है।
ज्योतिष में सूर्य के नाम से भी राशियों को संबोधित किया जाता है जिसे सूर्य राशि कहा जाता है।
यदि जातक की कुंडली में सूर्य की महादशा चल रही हो तो रविवार के दिन जातक को अच्छे फल मिलते हैं।
ज्योतिष में सूर्य सिंह राशि का स्वामी माना गया है और मेष राशि में यह उच्च होता है, जबकि तुला राशि सूर्य (sun) की नीच राशि मानी जाती हैं।
कुंडली में सूर्य के मजबूत होने पर व्यक्ति को हर तरह सुख-सुविधा, धन-दौलत और वैभव की प्राप्ति होती है. लेकिन वहीं अगर जातक की कुंडली में सूर्य कमजोर हो तो व्यक्ति को सफलता आसानी के साथ नहीं मिलती है. ऐसे लोगों के सामने हमेशा ही आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
वैदिक ज्योतिष शास्त्र की गणना के अनुसार सूर्य मेष राशि में उच्च के होते हैं और तुला राशि में नीच के माने गए हैं. कुंडली में सूर्य के शुभ योग से अच्छी नौकरी, व्यापार में मुनाफा, बड़ा घर और बड़ी गाड़ी का सपना पूरा होता है.
सूर्य दोष किसी भी व्यक्ति के जन्म के समय ही लग जाता है। मगर इसका प्रभाव कब पड़ेगा यह ग्रहों की दशा पर निर्भर करता है। वैसे सूर्य को कोई अस्त नहीं कर सकता है। केवल राहु और केतु में ही सूर्य को अस्त करने की क्षमता होती है।
'सूर्य अगर 6, 8 या 12 के भाव में चला जाए या फिर नीच की राशि में हो, तो वह कमजोर हो जाता है। वहीं जब सूर्य किसी भाव में राहु के साथ हो तो सूर्य ग्रहण दोष लग जाता है।
यह दोष पिता की ओर से आता है, इसलिए सूर्य ग्रहण दोष के साथ ही पितृदोष का सामना भी करना पड़ता है।'
जिन लोगों की जन्म कुंडली में सूर्य अशुभ स्थिति में विराजमान हैं उनके लिए सूर्य पीड़ादायक रहते हैं
सूर्य की अशुभता को दूर करने के लिए इन उपायों का पालन करने से लाभ मिलेगा.
सूर्य हमारे शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाता है। अगर आपकी सेहत हमेशा खराब बनी रहती है,
तो आपको रोज सुबह स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए। इससे आप कई तरह की बीमारियों से खुद को बचा पाएंगे।
सूर्य अगर केतु के साथ किसी भाव में फंस गया है, तो आपको हर बुधवार को गणेश जी की उपासना करनी चाहिए और उन्हें लड्डू एवं इलायची का भोग लगाना चाहिए।
इससे नौकरी में आ रही समस्याएं कम हो जाएंगी।
अगर आपके घर में एक के बाद एक सदस्य बीमार पड़ रहे हैं, तो आपको हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए और उनके चरणों का तिलक माथे पर लगाना चाहिए।
आपको बता दें कि हनुमान जी सूर्य देव को अति प्रिय हैं।
सूर्य को मजबूत करने के लिए तांबे के लोटे से जल, गंगाजल, चावल, लाल फूल, लाल चन्दन मिला कर अर्घ्य दें
जल देते समय ‘ऊं अदित्याये नमः’ अथवा ‘ॐ घ्रिणी सूर्याय नमः’ का जाप करे ।
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