सूर्याष्टक स्तोत्र/www.astroexpertsolutions.com 94150 87711
ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र
आदि देव: नमस्तुभ्यम प्रसीद मम भास्कर । दिवाकर नमस्तुभ्यम प्रभाकर नमोअस्तु ते ॥
सप्त अश्व रथम आरूढम प्रचंडम कश्यप आत्मजम । श्वेतम पदमधरम देवम तम सूर्यम प्रणमामि अहम ॥
लोहितम रथम आरूढम सर्वलोकम पितामहम । महा पाप हरम देवम त्वम सूर्यम प्रणमामि अहम ॥
त्रैगुण्यम च महाशूरम ब्रह्मा विष्णु महेश्वरम । महा पाप हरम देवम त्वम सूर्यम प्रणमामि अहम ॥
बृंहितम तेज: पुंजम च वायुम आकाशम एव च । प्रभुम च सर्वलोकानाम तम सूर्यम प्रणमामि अहम ॥
बन्धूक पुष्प संकाशम हार कुण्डल भूषितम । एक-चक्र-धरम देवम तम सूर्यम प्रणमामि अहम ॥
तम सूर्यम जगत कर्तारम महा तेज: प्रदीपनम । महापाप हरम देवम तम सूर्यम प्रणमामि अहम ॥
सूर्य-अष्टकम पठेत नित्यम ग्रह-पीडा प्रणाशनम । अपुत्र: लभते पुत्रम दरिद्र: धनवान भवेत ॥
आमिषम मधुपानम च य: करोति रवे: दिने । सप्त जन्म भवेत रोगी प्रतिजन्म दरिद्रता ॥
स्त्री तैल मधु मांसानि य: त्यजेत तु रवेर दिने । न व्याधि: शोक दारिद्रयम सूर्यलोकम गच्छति ॥
ग्रहण के समय इस स्तोत्र का पाठ करने से जीवन की ग्रहण से संबंधित राशि से संबंधित नक्षत्र से संबंधित समस्त दोषों का शमन हो जाता है और भाग्योदय का रास्ता खुलेगा
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