मंगल + राहु =??
अंगारक योग/दोष----
Jyotishacharya . Dr Umashankar mishr-9415087711-9235722996
------मंगल जो कि अग्नि का कारक ग्रह है, राहु नामक वायुवीय ग्रह के साथ संयोग कर अपने दुष्प्रभाव में भारी बढ़ोत्तरी कर लेता है। ऐसे में पीड़ित जातक हिंसात्मक, कुप्रवृत्तियों में संलग्न, आचरणहीन, व्यभिचार में रत, दूसरों का बुरा चाहने वाला स्वार्थी किस्म का बन जाता है। ऐसे जातकों की एक और खासियत होती है कि वे दूसरों के धन पर आश्रित होकर भी उन्हीं का अहित कर बैठते हैं।
-------किन्तु यहां पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि जब कुंडली में अंगारक योग बनाने वाले मंगल, तथा राहु अथवा केतु में से किसी के शुभ होने की स्थिति में जातक को अधिक अशुभ फल प्राप्त नहीं होते और कुडली में मंगल तथा राहु केतु दोनों के शुभ होने की स्थिति में इन ग्रहों का संबंध अशुभ फल देने वाला अंगारक योग न बना कर शुभ फल देने वाला अंगारक योग बनाता है।
-----दूसरी ओर किसी कुंडली के तीसरे घर में शुभ मंगल का शुभ राहु अथवा शुभ केतु के साथ संबंध हो जाने से कुंडली में बनने वाला अंगारक योग शुभ फलदायी होगा जिसके प्रभाव में आने वाले जातक उच्च पुलिस अधिकारी, सेना अधिकारी, प्रशासनिक अभिकर्ता आदि भी बन सकते हैं जो अपनी आक्रमकता तथा पराक्रम का प्रयोग केवल मानवता की रक्षा करने के लिए और अपराधियों को दंडित करने के लिए करते हैं। किन्तु इसी भाव मे अगर यह योग अशुभता में है तो मुश्किलें भी बढा सकता है।
-----यदि फिर भी किसी जातक को अंगारक योग के दुष्प्रभाव से जूझना पड़ रहा है तो विधिपूर्वक हनुमत आराधना से ये दोनों ग्रह पीड़ामुक्त होंगे तथा राहु के बीज मंत्र का उच्चारण सहित मंगल व राहु के लिए निर्दिष्ट दान करना सही रहेगा। राहू शांति पूजा लाभदायक हो सकती है, मंगल शांति पूजा भी की जा सकती हैं!
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