इंसान की प्रगति में सबसे बड़ी रुकावट- मन की दुर्बलता.. Jyotishacharya . Dr Umashankar Mishra-9415087711 प्रत्येक मनुष्य प्रगति करना चाहता है, आप कोई भी काम शुरू करें उसकी सुरुआत एक विचार से होती है। आप के मन के विचार ही आपकी प्रगति का पैमाना बनता है। अगर जीवन में आपकी सोच सकारात्मक हुई तो प्रगति के छोटे-छोटे चांस भी बड़े बन जाते हैं, और यही सोच अगर नकारात्मक हुई तो बड़े बड़े चांस भी उतना रिज़ल्ट नहीं दे पाते जितना उन्हें देना चाहिए थे। नकारात्मक सोच से इंसान का दिमाग जाने अनजाने में क्या कचरा इकट्ठा कर लेता है, इसका पता ही नहीं चलता। मन में बिना वजह अजीब तरह का डर संजोए रखना जिसका कोई अस्तित्व ही न हो, इसमें इंसान का मन ही शत्रु की तरह बर्ताव करता है। इंसान दूसरों की बातों को सुनकर थोड़ी देर के लिए हौसला बांधता है, लेकिन कुछ अंतराल के बाद फिर उसी स्थान पर आकर खड़ा हो जाता है, यह समस्या इतनी गंभीर है कि लोग एक दूसरे से शेयर भी नहीं कर पाते।वह अपनी ही मानसिकता में उलझे रहते हैं और प्रगति के अवसर गंवा बैठते हैं। यह सब चंद्रमा के दूषित या खराब होने के कारण होता है। और यदि चंद्रमा 6,8,12 भाव में हो या ग्रहण दोष हो या फिर पापी ग्रहों की दृष्टि भी इन सब परेशानियों को बढ़ा देता है। इसीलिए सम्पूर्ण कुंडली का विश्लेषण कर उपचार कर लेना ही बेहतर होता है। वरना सारी जिंदगी इसी तरह गुजर जाती है, और हम बेहतर भविष्य के इंतज़ार में सारा जीवन यूं ही गुजार देते हैं।