सूर्य ग्रहण दोष (Surya Grahan) Jyotishacharya . Dr Umashankar mishr-9415087711 जब सूर्य और राहु साथ किसी भाव मे आते हैं तो सूर्य ग्रहण योग बनता हैं। कुंडली में सूर्य ग्रहण दोष या सूर्य ग्रहण योग एक हानिकर प्रभाव है, जो पैदा होती है जब राहु कुंडली में कोई ग्रह के साथ बैठता है। उदाहरण के लिए, यदि राहु चंद्रमा के साथ बैठा है तो “राहु चंद्रमा या चंद्र ग्रहण दोष” मौजूद है। यदि राहु सूर्य के साथ बैठा है तो “राहु सूर्य या सूर्य ग्रहण दोष” वर्तमान और इतने पर है। सरल शब्दों में, जब राहु रूपों कुंडली या कुंडली में नकारात्मक है, यह ग्रहण दोष कहा जाता है।राहु ग्रह जो है तो दोनों पेशेवर और व्यक्तिगत किसी भी हानिकर प्रभाव उत्पन्न करता है जीवन में समस्याएं पैदा करता है। यह अतिरिक्त संघर्ष और लोगोंजब के जीवन में कठिनाई पैदा करता है। सबसे आम समस्याओं में से कुछ हैं: 1. नौकरी और व्यापार में अचानक अवांछित समस्याओं। 2. जीवन में देरी से परिणाम मिलना । 3. पुराने रोगों और बीमारियों के पैर, श्वास, गर्दन, फेफड़े और आंखों से संबंधित है। 4. मानसिक असंतुलन या अवसाद। 5. समाज और कानूनी समस्या। उपाय :- यह योग जन्मपत्रिका के जिस भाव में हो, उतनी ही मात्रा में सूर्य के शत्रु ग्रहो का समान ले, और ग्रहण अवधि में मध्यकाल में अपने सिर से सात बार एंटीक्लॉक वाइज उसारा करके किसी भी नदी के तेज बहते जल में प्रवाहित दे। कम से कम 60 ग्राम का शुद्ध चांदी का हाथी जिसकी सूंड नीचे की और हो, अपने घर पर लाकर चांदी या स्टील की कटोरी में गंगाजल भरकर उसमे खड़ा करके अपने बेड रूम में रखें। ध्यान रखे की इस हाथी पर सूर्य की रौशनी न पहुँचे। सूर्य की किरणें सीधे अपने सिर पर न पड़ने दे अर्थात अपना सिर ढक कर रखें। अपने पुश्तैनी मकान की दहलीज के नीचे चांदी का पतरा या तार बिछाए। राहु से सम्बंधित कोई भी वस्तु अपने घर पर न रखें और न ही उनका सेवन करे। जैसे कि : नीला और सलेटी रंग, तलवार, अभ्रक, खोटे सिक्के ,बंद घड़ियाँ, बारिश में भीगी लकड़ी, जंग लगा लोहा, ख़राब बिजली का समान, रद्दी, लकड़ी के कोयले, धुँआ, टूटे-फूटे खिलौने, टूटी-फूटी चप्पलें, टूटे-फूटे बर्तन, खली डिब्बे, मूली या इससे बनी वस्तु, जौ या इससे बनी कोई वस्तु, नारियल या इससे बनी कोई भी वस्तु, नीले जीव, नीले फूल या नीले रंग के कोई भी वस्तु आदि।