आज कार्तिक पूर्णिमा है, क्या करते हैं इस दिन, जानिए 7 खास बातें
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कार्तिक मास की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा कहते है। इस दिन को देव दिवाली भी कहते हैं क्योंकि देवउत्थान एकादशी पर देव उठ जाते हैं और तब इसके बाद वे पूर्णिमा के दिन गंगा तट पर दिवाली मनाते हैं। आओ जानते हैं इस दिन की 7 खास बातें।
🌕कार्तिक पूर्णिमा का महत्व :- इसे कार्तिक के अलावा त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन दीपदान और विष्णु पूजा का खास महत्व रहता है। इस दिन को देव दिवाली भी कहा जाता है। इस दिन पुष्कर में मेला लगता है और कार्तिक पूर्णिमा के दिन किया गया दान-पुण्य अक्षय फलों की प्राप्ति कराता है। इसीलिए इस दिन अपनी बहन, भानजे, बुआ के बेटे, मामा को भी दान स्वरूप कुछ न कुछ दान देने से घर में धन-सम्पदा बनी रहती है। पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी का पीपल के वृक्ष पर निवास रहता है।
📿7 महत्वपूर्ण कार्य करते हैं कार्तिक पूर्णिमा के दिन:-
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🚩1. नदी स्नान और दान :- कार्तिक मास में श्री हरि जल में ही निवास करते हैं। इसीलिए पूर्णिमा के दिन स्नान करना अति उत्तम माना गया है। इस दिन दानादिका दस यज्ञों के समान फल होता है। इस दिन में दान का भी बहुत ही ज्यादा महत्व होता है। अपनी क्षमता अनुसार अन्न दान, वस्त्र दान और अन्य जो भी दान कर सकते हो वह करें।
🚩2. तुलसी और छः तपस्विनी कृतिकाओं का पूजन :- इस दिन भगवान विष्णु के रूप मत्स्य अवतार, श्रीकृष्ण, देवी लक्ष्मी, तुलसी और शालिग्राम पूजा के साथ ही चन्द्रोदय के समय शिवा, सम्भूति, प्रीति, संतति अनसूया और क्षमा इन छः तपस्विनी कृतिकाओं का पूजन करें क्योंकि ये स्वामी कार्तिक की माता हैं और कार्तिकेय, खड्गी, वरुण हुताशन और सशूक ये सायंकाल में द्वार के ऊपर शोभित करने योग्य है। अतः इनका धूप-दीप, नैवेद्य द्वारा विधिवत पूजन करने से शौर्य, बल, धैर्य आदि गुणों में वृद्धि होती है। साथ ही धन-धान्य में भी वृद्धि होती है।
🚩3. दीपदान :- मान्यताओं के अनुसार देव दीपावली के दिन सभी देवता गंगा नदी के घाट पर आकर दीप जलाकर अपनी प्रसन्नता को दर्शाते हैं। इसीलिए दीपदान का बहुत ही महत्व है।
🚩4. पूर्णिमा का व्रत :- इस दिन उपवास करके भगवान का स्मरण, चिंतन करने से अग्निष्टोम यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है तथा सूर्यलोक की प्राप्ति होती है।
🚩5. शिव पूजा :- शिव के त्रिपुरारी स्वरूप की पूजा होती है। इस दिन शिवलिंग पर कच्चा दूध, शहद व गंगाजल मिलाकर चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। कार्तिकी को संध्या के समय त्रिपुरोत्सव करके- •'कीटाः पतंगा मशकाश्च वृक्षे जले स्थले ये विचरन्ति जीवाः, दृष्ट्वा प्रदीपं नहि जन्मभागिनस्ते मुक्तरूपा हि भवति तत्र' से दीपदान करें तो पुनर्जन्म का कष्ट नहीं होता।
🚩6. सत्यनारायण की कथा :- इस दिन खासकर देवी लक्ष्मी और विष्णु की संध्याकाल में पूजा की जाती है और सत्यनारायण भगवान की कथा पढ़ने और सुनने से लाभ मिलता है।
🚩7. दीपों से सजाएं घर को :- कार्तिक पूर्णिमा को घर के मुख्यद्वार पर आम के पत्तों से बनाया हुआ तोरण अवश्य बांधे और दीपावली की ही तरह चारों और दीपक जलाएं।
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