वास्‍तु : मंदिर में किस दिशा में रखनी चाहिए गणेश-लक्ष्‍मी की मूर्ति *_ ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र आकांक्षा श्रीवास्तव_*9415087711-9140953694 मंदिर में देवी लक्ष्‍मी की मूर्ति यदि सही दिशा में हो तो विशेष लाभ और धन की प्राप्ति होती है। आइए आपको बताते हैं कि गणेश-लक्ष्‍मीजी की मूर्ति को किस दिशा में रखना सबसे उत्‍तम माना जाता है। ताकि आपके घर में सुख समृद्धि का वास हो और परिवार में सुख शांति बनी रहे।वास्‍तु में गणेश-लक्ष्‍मी की मूर्ति को शुभ-लाभ का प्रतीक माना जाता है। इसलिए इनका सही दिशा में होना बहुत ही जरूरी माना जाता है। शास्‍त्रों में बताया गया है कि मंदिर में देवी लक्ष्‍मी की मूर्ति यदि सही दिशा में हो तो विशेष लाभ और धन की प्राप्ति होती है। आइए आपको बताते हैं कि गणेश-लक्ष्‍मीजी की मूर्ति को किस दिशा में रखना सबसे उत्‍तम माना जाता है। गणेश और लक्ष्‍मी की मूर्ति रखें एक साथ हिंदू धर्म की मान्‍यताओं में गणेशजी को ज्ञान का देवता माना गया है और मां लक्ष्‍मी को धन और ऐश्‍वर्य की देवी माना जाता है। दोनों पूजाघर में एक साथ रखा जाता है और विशेष शुभ मुहूर्त जैसे दीपावली और अक्षय तृतीया पर इनकी पूजा की जाती है। ऐसी मान्‍यता है कि यदि व्‍यक्ति के पास ज्ञान नहीं होगा तो वह धन का प्रयोग गलत कार्यों में कर सकता है इसलिए गणेशजी और माता लक्ष्‍मी को पूजा के स्‍थान में साथ में रखा जाता है।मंदिर में इस दिशा में रखें गणेश-लक्ष्‍मी मंदिर में गणेश और लक्ष्‍मी जी की मूर्ति को एक साथ रखी जाती है। पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार गणेशजी और मां लक्ष्‍मी की मूर्ति को मंदिर में उत्‍तर दिशा में रखना चाहिए। इस मान्‍यता के पीछे भी एक पौराणिक कथा है। इसके अनुसार एक बार शिवजी ने गुस्‍से में आकर गणेशजी का सिर धड़ से अलग कर दिया था। फिर जब उन्‍हें पता कि यह उनके ही पुत्र हैं तो उन्‍होंने अपने दूतों को उत्‍तर दिशा में भेजकर कहा कि इस दिशा में जो सबसे पहले मिल जाए उसका ही धड़ लेकर आ जाओ। शिवजी की आज्ञा का पालन करते हुए उनके दूत ऐरावत हाथी का धड़ लेकर आए थे। उत्‍तर दिशा में सबसे पहले धड़े मिलने की वजह से गणेशजी को रखने के लिए उत्‍तर दिशा सबसे शुभ मानी जाती है।भूलकर भी न करें ऐसा कई बार ऐसा होता है कि लोग अज्ञानतावश मां लक्ष्‍मीजी की मूर्ति को गणेशजी के बाईं ओर रख देते हैं। ऐसा करने से घर की आर्थिक दशा पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। दरअसल पुरुषों के बाईं ओर उनकी पत्‍नी को बैठाया जाता है। जबकि लक्ष्‍मीजी गणेशजी की पत्‍नी नहीं हैं इसलिए उनको गणेशजी के बाईं ओर बैठाने से आपके धन की स्थिति बिगड़ने लगती है और घर में कंगाली होने लगती है। इसलिए याद से मां लक्ष्‍मी की प्रतिमा को गणेशजी के दाईं ओर ही रखें।