Aajचतुर्दशी का श्राद्ध
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स्वाभाविक मृत्यु वाले पितरों का श्राद्ध
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पितृ पक्ष के समापन से एक दिन पहले यानी चतुर्दशी तिथि को श्राद्ध की विशेष तिथि माना जाता है और इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मौत अचानक से या फिर किसी दुर्घटना में हो जाती है। आत्महत्या, भय या फिर अन्य किसी वजह से मरने वाले लोगों का श्राद्ध भी इस दिन किया जाता है। इस विशेष श्राद्ध तिथि के बारे में महाभारत के एक पर्व में भी जिक्र किया गया है। आइए जानते हैं इस बारे में अन्य खास बातें…
शस्त्रों की वजह से हुई हो मृत्यु तो-
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शास्त्रों में बताया गया है कि जिन लोगों की मृत्यु शस्त्रों की वजह से या फिर किसी जहरीले सांप के काटने से, युद्ध में या फिर आत्महत्या करने वाले लोगों का श्राद्ध चतुर्दशी के दिन किया जाता है। इसके अलावा जिन लोगों का मर्डर होता है उन लोगों का श्राद्ध भी इसी दिन किया जाना चाहिए।
महाभारत में बताई गई है यह बात
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चतुर्दशी श्राद्ध के बारे में महाभारत के एक पर्व में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को इस बारे में बताया है। उन्होंने कहा था कि जिन लोगों की स्वाभाविक मृत्यु न हुई हो, उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की चतुर्दशी पर ही करना चाहिए।
श्राद्ध विधि
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पितृ पक्ष में तर्पण और श्राद्ध करने की विशेष विधि के बारे में बताया गया है। सबसे पहले हाथ में जौ, कुशा, काला तिल और अक्षत व जल लेकर संकल्प करें। संकल्प लेने के बाद “ऊं अद्य श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त सर्व सांसारिक सुख-समृद्धि प्राप्ति च वंश-वृद्धि हेतव देवऋषिमनुष्यपितृतर्पणम च अहं करिष्ये” मंत्र का उच्चारण करें। पूजा करें और उसके बाद पितरों के निमित्त भोजन ब्राह्मणों को करवाएं और फिर गाय, कुत्ते और कौए का भोजन निकालें। माना जाता है कि पितृ पक्ष में पशु पक्षियों के रूप में हमारे पितर परिवार से मिलने आते हैं।
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