पितरों की मृत्यु तिथि अज्ञात होने पर इस तरह करें श्राद्ध, होगी उचित फल की प्राप्ति............ Jyotishacharya . Dr Umashankar Mishra 9415 0 87711 92357 22996 श्राद्ध पक्ष के इस अवधि में पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। जिससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त हो सके और उन्हें मोक्ष मिल सके। लेकिन कई बार पितरों की मृत्यु की तिथि मालूम नहीं होती और यदि बिना तिथि के ही पितर संबंधित कार्य करते हैं तो इससे कोई भी लाभ प्राप्त नहीं होता है।
यदि आपके साथ भी यह समस्या है यानी कि अपने पूर्वजों की मृत्यु की तिथि से अंजान। तो इसके लिए आपको कुछ खास उपाय करने होंगे ताकि आपके द्वारा की गई पूजा से आपके पितरों को मोक्ष मिले एवं आपको उनका आशीर्वाद प्राप्त हो। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में...
तिथि ज्ञात न होने पर ये करें उपाय
- अकाल मृत्यु अथवा अचानक मृत्यु को प्राप्त हुए पूर्वजों का श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को करना चाहिए।
- सुहागिन माताओं का देहांत होने पर उनका श्राद्ध नवमी तिथि को किया जाना फलदायी होता है।
- पितरों की मृत्यु तिथि का ज्ञान न हो तो ऐसी स्थिति में अमावस्या के दिन सभी का श्राद्ध कर देना चाहिए।
- ब्राम्हण को भगवान का स्वरूप माना गया है इसलिए श्राद्ध के बाद पूर्वजों की मोक्ष प्राप्ति के लिए उन्हें भोजना कराना चाहिए।
ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के समय यमराज भी पितरों को अपने परिजनों से मिलने के लिए मुक्त कर देते हैं। अगर आप श्राद्ध के दिन अपने पितर का स्मरण करते हैं तो वह घर आते हैं और आपके द्वारा चढ़ाया गया भोजन पाकर तृप्त होते हैं।
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