सप्तमी का श्राद्ध जानें महत्व और श्राद्ध विधि
Jyotishacharya . Dr Umashankar mishr-9415087711-9235722996
आज सप्तमी का श्राद्ध है। सप्तमी श्राद्ध में उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु सप्तमी की तिथि को हुई हो. ऐसा माना जाता है कि मृत व्यक्ति का श्राद्ध अवश्य करना चाहिए. क्योंकि श्राद्ध न करने से मृतक की आत्मा को पूर्ण मुक्ति नहीं मिलती है और वह मोक्ष की प्राप्ति के लिए भटकती रहती है. धार्मिक शास्त्रों में 15 दिन पड़ने वाले पितृ पक्ष के प्रत्येक तिथि के बारे में बताया गया है. सप्तमी की तिथि को देह त्याग करने वालों को इस दिन श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करने का विधान बताया गया है।
पितृ पक्ष में पितरों का स्मरण कर उनका आभार व्यक्त किया जाता है. मान्यता है कि पितृ पक्ष में पूर्वज पृथ्वी पर आते हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं. पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करने से पितर शांत और प्रसन्न होते हैं. पितृ पक्ष में सप्तमी श्राद्ध का विशेष महत्व बताया गया है।
सप्तमी श्राद्ध विधि
=============
पंचांग के अनुसार सप्तमी की तिथि को स्नान करने के बाद पूजा स्थान पर पूर्वज की तस्वीर स्थापित करने के बाद विधि पूर्वक पूजा आरंभ करें. पूजा आरंभ करने के बाद पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें. भगवान विष्णु की पूजा करें और पितरों का स्मरण करें. पूर्वजों से गलती के लिए क्षमा मांगे और परिवार पर आर्शीवाद बनाए रखने की प्रार्थना करें. इस दिन घर की महिलाएं प्रेम और आदर पूर्वक पितरों के लिए भोजन तैयार करें और भोग लगाएं. पितरों के समक्ष अग्नि में गाय का दूध, दही, घी और खीर अर्पित करें. पितरों के लिए तैयार किए गए भोजन से चार ग्रास निकाल कर एक ग्रास गाय, दूसरा कुत्ता, तीसरा कौए और चौथा ग्रास अतिथि या मान पक्ष के समाने रखें. पूजा संपंन करने के बाद ब्राहम्ण को दान दें।
इन बातों का रखें ध्यान
सप्तमी श्राद्ध के दौरान घर में शांति का वातावरण रखना चाहिए. परिवार के सभी सदस्यों को पितृ को आदर सहित स्मरण करना चाहिए. उनके बारे में बात करनी चाहिए. उनके योगदान और किए गये कार्यों को याद करना चाहिए. इस दिन हर प्रकार की बुराई से दूर रहना चाहिए. क्रोध नहीं करना चाहिए और गलत आचरण से दूर रहे
|
|